भागवत ट्विटर पर आने को क्यों मजबूर हुए

Edited By ,Updated: 07 Jul, 2019 05:00 AM

why bhagwat was forced to come to twitter

यूं तो संघ अपने 95वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है, पर उसके चेहरे पर उम्र की कोई शिकन तक नहीं है, बल्कि अपने चेहरे-मोहरे को एक नए रूप में प्रस्तुत करने में जुटा है। सर संघचालक डा. मोहन भागवत आने वाले दिनों में संघ को एक प्रगतिशील व युवा चेहरा-मोहरा...

यूं तो संघ अपने 95वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है, पर उसके चेहरे पर उम्र की कोई शिकन तक नहीं है, बल्कि अपने चेहरे-मोहरे को एक नए रूप में प्रस्तुत करने में जुटा है। सर संघचालक डा. मोहन भागवत आने वाले दिनों में संघ को एक प्रगतिशील व युवा चेहरा-मोहरा देने की कवायद में जुटे हैं। संघ से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अपने लोगों के समक्ष उद्बोधन देते हुए भागवत कई बार यह चिंता जता चुके हैं कि संघ की शाखाओं से युवाओं का मोहभंग हो रहा है। 

अत: संघ की सोच कैसे परिमार्जित हो, आधुनिक और विज्ञान सम्मत हो, इस बारे में भागवत पहले भी अपने विचार रख चुके हैं। सोशल मीडिया खासकर ट्विटर व फेसबुक को लेकर संघ के मन में शुरू से कुछ भ्रांतियां थीं, पर जब भागवत को ऐसा लगने लगा कि सोशल और डिजीटल मीडिया से जुड़े बगैर युवा दिलों में पैठ नहीं बनाई जा सकती तो एक दिन यूं अचानक अपने 6 अन्य सहयोगियों के साथ उन्होंने भी ट्विटर पर आने का फैसला कर लिया। ट्विटर ज्वाइन करते ही भागवत के 12 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स बन गए। 

भागवत के साथ-साथ भैयाजी जोशी, कृष्ण गोपाल और सुरेश सोनी जैसे संघ विचारकों ने अपना ट्विटर अकाऊंट खोल लिया। हालांकि संघ का आधिकारिक ट्विटर हैंडल पहले से मौजूद था, पर सोशल मीडिया की उपस्थिति और इसके इस्तेमाल को लेकर भागवत सदा सशंकित रहे हैं। यहां तक कि संघ के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ और ‘ऑर्गेनाइजर’ के सम्पादकों के समक्ष भागवत सोशल मीडिया के बढ़ते चलन को लेकर अपनी असहमति भी जता चुके थे। 

बकौल भागवत-सोशल मीडिया लोगों में ‘मैं, मेरा और मुझे’ जैसी स्वार्थी सोच को आज बढ़ा रहा है। लोग इस माध्यम से अपनेनिजी विचार दूसरों पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं। पर लगता है संघ प्रमुख को इंटरनैट क्रांति की ताकत के आगे झुकना पड़ रहा है। संघ के ट्विटर पर 13 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, संघ के फेसबुक पेज पर भी 53 लाख से ज्यादा लाइक्स हैं। जहां दुनिया भर में हर महीने 32 करोड़ से ज्यादा लोग ट्विटर के इस्तेमाल से जुड़े हों तो संघ इसकी अनदेखी का जोखिम भला कैसे उठा सकता है। 

रण छोड़ तेजस्वी के समक्ष तेजप्रताप का तांडव
लालू परिवार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। अपनी टूटती पार्टी और बिखरते परिवार को बचाने की बेचैनी रांची जेल में बैठे लालू के चेहरे पर साफ  नजर आ रही है। 23 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद से ही लालू के घोषित राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव लगातार अज्ञातवास में थे। 

पार्टी के कई बड़े नेताओं और गठबंधन साथी जीतन राम मांझी की सार्वजनिक ङ्क्षचताओं के बावजूद तेजस्वी का कोई अता-पता नहीं था तो उनके बारे में मशहूर करवा दिया गया कि वह ‘रण छोड़’ हैं। फिर अचानक 4 जुलाई को यकबयक तेजस्वी विधानसभा में अवतरित होते हैं और बताते हैं कि वह दिल्ली में अपने घायल पैर का इलाज करवा रहे थे। इसके अगले ही रोज 5 जुलाई को राजद का 22वां स्थापना दिवस था, पर तेजस्वी उसमें भी नहीं आए। लालू इसमें आना चाहते थे पर उन्हें बेल ही नहीं मिली। लालू परिवार की एकमात्र सदस्य राबड़ी देवी ने अपने पार्टी सहयोगियों रघुवंश प्रसाद सिंह, शिवानंद तिवारी, रामचंद्र पूर्वे, आलोक मेहता व अन्य के साथ पार्टी मुख्यालय में दीप प्रज्वलित किया। इसके बाद केक भी काटा गया। 

केक कटते ही एक बड़ा ड्रामा हुआ, राबड़ी के बड़े पुत्र तेजप्रताप शिव के अवतार में जटाधारी व हाथों में त्रिशूल लिए वहां अचानक अवतरित हो गए। उनके आते ही उनके लिए समर्थकों ने जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। इसी धमाचौकड़ी के दरम्यान तेजप्रताप अपनी जटाओं को संभालते सीधे अपने पिता लालू के कमरे में पहुंचे और उनकी कुर्सी पर जम गए। संदेश साफ है, यह एक बड़े घमासान का ऐलान है। 

राहुल के डिनर पर उनके चहेते
संसद में सत्ता पक्ष जहां अपनी सरकार 2.0 का पहला पूर्णकालिक बजट पेश करने की गहमा-गहमी में उलझा था, वहीं राहुल गांधी अपने खास विश्वासपात्र सांसदों के साथ भविष्य की रणनीतियां बुनने में मशगूल थे। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इसी क्रम में राहुल ने कोई 3 दिन पहले अपने नई दिल्ली स्थित आवास पर अपने खास भरोसेमंद व सांसदों को डिनर पर आमंत्रित किया, जहां असम के युवा सांसद गौरव गोगोई ने एक नई कांग्रेस की रूपरेखा की अवधारणाओं को सामने रखा तो तमिलनाडु  से कांग्रेसी सांसद ज्योतिमनि ने इस बात पर चिंता जताई कि तमिलनाडु जैसे राज्य जो कभी कांग्रेस के मजबूत गढ़ में शुमार होते थे, आज वहां भी कांग्रेस को द्रमुक जैसे दलों की बैसाखी की जरूरत पड़ गई है। कहते हैं उस डिनर में केरल से कांग्रेस की सांसद रेम्या हरिदास बोलते-बोलते अचानक बेहद भावुक हो गईं और उन्होंने राहुल से कहा, ‘‘सर, हम जैसे तो आपसे प्रेरणा पाकर ही राजनीति में आए हैं, कांग्रेस में हमारी उम्मीदें आप से ही हैं, पर आप हमें छोड़ कर जा रहे हो!’’ 

कहते हैं इस पर राहुल ने रेम्या को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं, बल्कि अब तक उन्होंने दिन-रात एक कर कांग्रेस के लिए काम किया, पर पार्टी के कई सीनियर नेताओं की वजह से उन्हें लांछन सहने पड़े। राहुल ने आगे कहा कि अब कांग्रेस उनके लिए काम करेगी। बता दें कि यहां इशारों-इशारों में राहुल ने बता दिया कि अब पार्टी के सभी अहम निर्णय कोर कमेटी लेगी और सफलता या असफलता दोनों के दायित्वों को भी इस कोर कमेटी को ही अपनाना होगा। बताते हैं कि बातों ही बातों में राहुल ने अपने खास चहेते सांसदों के समक्ष यह जतला दिया कि जब भी उनके नेतृत्व में कांग्रेस को कोई बड़ी जीत मिली, पार्टी के सीनियर नेताओं ने उस पर अपना हक जता दिया, हार मिली तो वह राहुल के मत्थे मढ़ दिया। 

किसके साथ जाएंगे नीतीश
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद अगर नरेन्द्र मोदी के बाद किसी नेता के आभामंडल में नाटकीय बदलाव आया है तो वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। कहते हैं चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई दफे नीतीश से संवाद स्थापित करने की कोशिश की, नीतीश के एक दुलारे पत्रकार टर्न राजनेता ने यह खबर मीडिया में लीक कर दी। जब राजद नेता तेजस्वी यादव अपने अज्ञातवास से बाहर आए तो इस खबर ने उन्हें हिला कर रख दिया। कहते हैं आग-बबूला होते तेजस्वी ने अपने विश्वासपात्रों के समक्ष कहा कि राहुल गांधी के ऐसे प्रयासों से उन्हें धक्का लगा है, वैसे भी राज्य में कांग्रेस उनके ऊपर एक बोझ की तरह थी। अगर नीतीश जी से बात करनी है तो वह सीधे इस बाबत उनसे बात कर सकते हैं। जब इस बड़ी कशमकश की खबर नीतीश को लगी तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह बयान देकर मामले पर पानी डालना चाहा कि उन्हें कोई भी फोन कर सकता है, पर फोन पर आना नहीं आना उनकी च्वाइस है। 

एक देश एक चुनाव
प्रधानमंत्री मोदी के तरकश से निकला यह एक ऐसा तीर है, जिसके बारे में मोदी के धुर विरोधी भी मानते हैं कि पी.एम. का ‘एक देश, एक चुनाव’ का तीर सटीक निशाने पर लगा है। विपक्षी दल भी खुले रूप से इसके विरोध में इसीलिए सामने नहीं आ पा रहे कि मोदी ने अपने इस आह्वान से देश को यह समझाना चाहा कि इससे बड़े पैमाने पर चुनावी खर्चों पर लगाम लगेगी। पर मोदी एक तीर से कई निशाने साधना चाहते हैं। वह जानते हैं कि उनके ‘एक देश एक चुनाव’ का सपना बगैर संविधान संशोधन के पूरा नहीं हो पाएगा और अगर यह संविधान संशोधन परवान चढ़ता है तो यह राज्यों के लिए भी लागू हो जाएगा। इसके लागू होते ही जम्मू-कश्मीर में भी धारा 370 खुद-ब-खुद समाप्त हो जाएगी और विपक्षी दलों को भी इसके विरोध का मौका नहीं मिल पाएगा। 

लौट के योगी घर को आए
एक वक्त था जब यू.पी. के मुख्यमंत्री योगी को प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक विरासत का असली उत्तराधिकारी माना जा रहा था। याद करिए जब जून, 2017 में अपना राज्यसभा का पर्चा दाखिल करने भाजपाध्यक्ष अमित शाह लखनऊ गए थे तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐलान कर दिया था कि भले ही वह राज्यसभा में आ जाएं पर मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे क्योंकि पार्टी को सुचारू रूप से चलाना ही उनकी पहली प्राथमिकता है। पर 2019 आते-आते सियासी परिदृश्य बदला, शाह न सिर्फ गांधीनगर से चुन कर लोकसभा में पहुंचे, बल्कि देश के गृह मंत्री भी बने। 

भगवा सियासत की स्लेट पर लिखी इबारत अब बेहद साफ थी कि वह न सिर्फ मोदी के असली राजनीतिक वारिस बन गए, बल्कि उनकी कैबिनेट में मोदी के बाद सबसे शक्तिशाली भी हैं। बदलते सियासी घटनाक्रमों से प्रेरणा लेकर अब योगी ने अपने को यू.पी. तक ही सीमित रखने का अघोषित फैसला ले लिया है। उनकी नजरें अब राज्य के 2022 में आने वाले विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं, जिसमें उन्हें हर हाल में विजयी होना है। 

अत: पिछले कुछ समय से योगी अपना राज-काज चलाने में खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं और इन भंगिमाओं से लैस नजर आ रहे हैं कि अगले 10 वर्ष तक उन्हें यू.पी. की ही बागडोर संभालनी है। इसके लिए यकबयक वह भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के प्रयासों में जुट गए हैं, राज्य की मशीनरी को भी वह और चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहते हैं। इस चुनाव से पहले तक वह केवल केन्द्र की योजनाओं को परवान चढ़ाने में जुटे थे, अब उन्होंने राज्य की योजनाओं की भी सुध लेनी शुरू कर दी है।-मिर्च-मसाला त्रिदीब रमण 
 

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!