क्यों नहीं सुन पाए मोदी देविका के ‘मन की बात’

Edited By Pardeep,Updated: 16 May, 2018 03:33 AM

why did not listen to modis talk of mind

मुम्बई में 26/11 के दुर्दांत आतंकवादी हमले में जीवित पकड़े गए हवेली लक्खे की (पाकिस्तानी पंजाब) के मूल निवासी अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाले प्रत्यक्षदर्शियों में सबसे कम उम्र की गवाह देविका रोटावन से अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक...

मुम्बई में 26/11 के दुर्दांत आतंकवादी हमले में जीवित पकड़े गए हवेली लक्खे की (पाकिस्तानी पंजाब) के मूल निवासी अजमल कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने वाले प्रत्यक्षदर्शियों में सबसे कम उम्र की गवाह देविका रोटावन से अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तो फोन पर बात करते हुए लादेन का अस्तित्व 6 माह में मिटाने का वायदा पूरा कर डाला लेकिन ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का मंत्र जाप करने वाले नरेंद्र मोदी ने इस निर्भीक बच्ची द्वारा भेजे गए पत्रों व ई-मेल संदेशों में मुलाकात के लिए व्यक्त की गई इच्छा पर अभी तक प्रतिक्रिया तक व्यक्त नहीं की। 

हाल ही में श्रीगंगानगर के प्रखर समाजसेवी महेश पेड़ीवाल के विशेष आग्रह पर मुम्बई से आई देविका ने अपने मन की पीड़ा उजागर करते हुए कहा कि अजमल कसाब ने सैंकड़ों निर्दोष व्यक्तियों को जब मारा, काश! उस वक्त मेरे हाथ में बंदूक होती तो उसे मौके पर ही भून डालती। 26/11 वाले दिन वह 9 वर्ष 10 माह की थी। पिता नटवर लाल व भाई जयेश के साथ वह मुम्बई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर पुणे के लिए गाड़ी पकडऩे पहुंची थी। उसका भाई वाशरूम में गया कि अचानक गोलीबारी शुरू हुई। हर तरफ चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थीं। देविका के पांव में भी गोली लगी।

देविका के पांव पर गोली लगने के कारण उसके 6 आप्रेशन हुए, लोहे की रॉड भी डाली गई। तंग गली में 10&10 फुट के कमरे (खोली) में रहते हुए देविका तपेदिक से ग्रस्त हो गई। पिता ड्राई-फ्रूट बेचने का काम छोटी-सी दुकान पर करते थे, वह भी बंद हो गया। पैतृक गांव सुमेरपुर (राजस्थान) गए तो रिश्तेदारों ने ज्यादा दिन रुकने से मना कर दिया। उन्हें डर था कि कहीं आतंकवादी न आ धमकें। पहली बार अदालत में 3 जनों के बीच मौजूद कसाब को देविका ने पहचाना, तो परिवार को धमकियां मिलने लगीं। कभी हैदराबाद तो कभी पाकिस्तान से धमकी भरे फोन आते। गवाही से मुकरने के लिए पापा को करोड़ों रुपए का लालच भी दिया गया। तपेदिक के कारण देविका की पढ़ाई पिछड़ गई। उसने अब दसवीं कक्षा की परीक्षा दी है। 

परिवार की आर्थिक दशा के बारे में पिछले वर्ष मीडिया में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई तो श्रीगंगानगर से महेश पेड़ीवाल 2 लाख रुपए भेंट करने मुम्बई पहुंचे। तब महाराष्ट्र सरकार ने 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी। कुछ अन्य संस्थाएं भी मदद के लिए आगे आईं। तब जाकर लम्बे अर्से से बकाया कर्ज चुकाना संभव हुआ। उसका लक्ष्य आई.पी.एस. के लिए कोचिंग पाने का भी है। मुम्बई में रह पाना संभव नहीं। बार-बार देविका के मन में यही बात आती है कि आतंकवाद के विरुद्ध हर मोर्चे पर कमर कसने का आह्वान करने एवं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 वर्ष बीत जाने पर भी इस बहादुर बेटी की सुध क्यों नहीं ले पाए!-राज सदोष

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