पेरिस क्यों जल उठा

Edited By Pardeep,Updated: 06 Dec, 2018 05:40 AM

why is paris waking up

मई 1968 में छात्रों के रोष प्रदर्शनों के बाद गत सोमवार को पैरिस में सर्वाधिक भीषण दंगे दिखाई दिए, जिनसे निपटने के तरीकों पर विचार करने के लिए फ्रांस के प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप ने विपक्ष के साथ मुलाकात की। सप्ताहांत के दौरान प्रदर्शनकारियों के...

मई 1968 में छात्रों के रोष प्रदर्शनों के बाद गत सोमवार को पैरिस में सर्वाधिक भीषण दंगे दिखाई दिए, जिनसे निपटने के तरीकों पर विचार करने के लिए फ्रांस के प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप ने विपक्ष के साथ मुलाकात की। सप्ताहांत के दौरान प्रदर्शनकारियों के झुंडों ने सड़कों पर उत्पात मचाते हुए दंगा विरोधी पुलिस के साथ भी लड़ाई की क्योंकि वे पॉश इलाकों तथा कैफेज में घुस गए थे, वाहनों को आग लगा दी तथा फ्रांसीसी राजधानी के कुछ सर्वाधिक पवित्र तथा वैश्विक पहचान वाले लैंडमाक्र्स को नुक्सान पहुंचाया। 

बड़ी संख्या में बुकिंग्स कैंसिल होने के कारण होटलों को बड़ा नुक्सान पहुंचा और स्टॉक मार्कीट का सूचकांक बढ़ गया। चूंकि प्रदर्शनकारियों ने आपूर्ति को बाधित कर दिया था, प्रमुख तेल कम्पनी टोटल ने बताया कि उसके बहुत से फिलिंग स्टेशन शुष्क पड़े हैं। रविवार को राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई जिसने आपातकाल लगाने का सुझाव दिया जो नवम्बर 2015 में पैरिस आतंकवादी हमलों तथा 2005 में उपनगरीय गरीब क्षेत्रों में युवाओं के प्रदर्शन के बाद तीसरी बार होता। हालांकि सरकार के एक मंत्री ने सोमवार को कहा कि यह विकल्प अब मेज पर नहीं है। 

17 नवम्बर को देश भर के छोटे नगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 3,00,000 लोग उच्च दृश्यता वाली जैकेटें पहने हुए ड्राइवरों के नेतृत्व में एक असामान्य प्रदर्शन में शामिल हुए, जो रहन-सहन की बढ़ती लागतों तथा विशेषकर आटोमोबाइल ईंधनों पर ऊंचे करों को लेकर विरोध कर रहे थे जिसकी घोषणा राष्ट्रपति मैक्रों ने इस वर्ष के शुरू में की थी। प्रारम्भ में ऑनलाइन शुरू हुए प्रदर्शन थमे नहीं बल्कि गत शनिवार को और भी उग्र हो गए जब प्रदर्शनकारी कुछ सबसे अमीर इलाकों की सड़कों तथा पैरिस के महत्वपूर्ण स्थानों पर निकल आए, जिन्हें आंसू गैस, पानी की बौछारों, रबड़ बुलेट्स तथा स्टन ग्रेनेड्स का सामना करना पड़ा लेकिन वे डटे रहे। सोमवार को ‘यैलो वैस्ट्स’ ने कई हाईवेज को अवरुद्ध कर दिया, मुख्य रूप से दक्षिणी फ्रांस में और माॢसले के नजदीक एक प्रमुख तेल डिपो तक पहुंच गए। 

फ्रांसीसियों को करों में कटौती का इंतजार
पैरिस में प्रधानमंत्री फिलिप के साथ मुलाकात करने के बाद सैंटर-राइट लेस रिपब्लिकन पार्टी के नेता लॉरेंट वाकुएज ने कहा कि सरकार जनता के गुस्से की थाह पाने में असफल रही है। उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी (तेल) करों में कटौती की प्रतीक्षा कर रहे हैं। फ्रांस में प्रदर्शन के दौरान अब तक 3 लोग मारे जा चुके हैं तथा 260 से अधिक घायल हुए हैं। 400 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 

आंदोलन के समर्थक अधिकतर सामान्य लोग हैं जो मध्यम तथा कामगार वर्ग से संबंध रखते हैं लेकिन इनमें कुछ ऐसे भी तत्व शामिल हैं जिनकी पहचान ‘अतिवादी’ तथा ‘आवारा’ के तौर पर की गई। उनमें सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हैं जो देश भर से आए, अधिकतर बड़े शहरों के बाहरी इलाकों से। उनका आंदोलन अचानक शुरू हुआ था तथा 3 सप्ताह बाद भी ‘यैलो वैस्ट्स’ का कोई स्पष्ट नेता नहीं है। पहचाने जाने वाले नेताओं के अभाव ने सरकार का काम उनसे निपटने को लेकर और भी कठिन बना दिया। संगठित होने के लिए आंदोलन अभी भी अधिकतर सोशल मीडिया पर निर्भर है। 

जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं निश्चित तौर पर उनके जीवन पर बढ़ती लागतों का दुष्प्रभाव पड़ा है। हालांकि भारत सहित कई देशों में लाखों लोगों की तुलना में उन्हें ‘गरीब’ नहीं कहा जा सकता। शुरू में जो प्रदर्शनकारी बाहर निकले वे डीजल तथा पैट्रोल की ऊंची कीमतों तथा समाज में बढ़ रही असमानता को लेकर गुस्से में थे। फ्रांस में सर्वाधिक लोकप्रिय आटोमोबाइल ईंधन डीजल गत एक वर्ष के दौरान 23 प्रतिशत महंगा हो गया है, जिसकी औसत कीमत प्रति लीटर लगभग 121 रुपए है। 

जहां वैश्विक स्तर पर तेल कीमतों में हालिया सप्ताहों के दौरान गिरावट आई है, वहीं मैक्रों की सरकार ने इस वर्ष डीजल तथा पैट्रोल पर हाइड्रोकार्बन टैक्स में क्रमश: 7.6 सैंट तथा 3.9 सैंट की वृद्धि कर दी है और अगले वर्ष 1 जनवरी से डीजल पर 6.5 सैंट तथा पैट्रोल पर 2.9 सैंट प्रति लीटर और वृद्धि करने की घोषणा की है। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग इस वृद्धि पर रोक लगाने की है। इस बीच नवीनतम समाचारों के अनुसार पैट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के कारण हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद फ्रांसीसी सरकार ने पैट्रोलियम टैक्स और कीमतों में बढ़ौतरी का फैसला फिलहाल टाल दिया है लेकिन प्रदर्शनकारी विरोध जारी रखने की बात कह रहे हैं। 

प्रदर्शनकारियों को समर्थन
राष्ट्रपति तथा उनकी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन और अधिक फैल तथा उग्र हो गए हैं। दोनों को ही ‘अमीर हितैषी’ बताया जा रहा है और मैक्रों को अपना पद छोडऩे के लिए कहा जा रहा है। इसके साथ ही ‘क्रांति’ की भी बात हो रही है। प्रदर्शनकारियों को जनता के समर्थन की दर बहुत ऊंची है। शनिवार की हिंसा के बाद करवाए गए हैरिस इंटरएक्टिव सर्वेक्षण में 70 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने कहा कि वे ‘यैलो वैस्ट्स’ का समर्थन करते हैं। इलेब द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में लगभग 75 प्रतिशत ने इस संबंध में हामी भरी जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक मैक्रों के मतदाता थे। 

सोमवार को नीस में 1000 किशोर छात्रों, जिनमें से अधिकतर ने पीली जैकेटें पहन रखी थीं, ने ‘मैक्रों त्यागपत्र दो’ के नारे लगाए। देश भर में छात्रों द्वारा लगभग 100 स्कूलों को पूरी तरह अथवा आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया गया। फ्रांस की सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी यूनियन सी.जी.टी. ने न्यूनतम मजदूरी, पैंशन तथा सामाजिक सुविधाओं में ‘तुरंत’ वृद्धि की मांग को लेकर 14 दिसम्बर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है। सी.जी.टी. ने कहा है कि वह यैलो वैस्ट्स के ‘जायज गुस्से’ में सांझीदार है। तेल ईंधन पर ऊंचे कर मैक्रों के स्वच्छ ईंधन के लिए अभियान का हिस्सा हैं ताकि डीजल से चलने वाले वाहनों को कम प्रदूषण फैलाने वाले मॉडल्स से बदल कर जलवायु परिवर्तन से निपटा जाए, जो उनका एक नीति लक्ष्य है, जिसे उन्होंने नहीं बदलने बारे कहा है। 

पहले झुकने से इंकार करते हुए राष्ट्रपति ने शनिवार को कहा था कि प्रदर्शनकारी केवल अफरा-तफरी फैलाना चाहते हैं और अधिकारियों पर हमले करना, व्यावसायिक स्थानों को नुक्सान पहुंचाना और राहगीरों व पत्रकारों को धमकियां देने को तार्किक नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि ‘आर्क डी ट्रायम्फ’ को नुक्सान पहुंचाया गया है। 

एक अलग तरह की चुनौती
बी.बी.सी. की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां मैक्रों ने दिखाया है कि वह प्रदर्शनकारियों से नहीं डरते और कर्मचारी कानूनों, रेल कर्मचारियों की पैंशनों में कठिन सुधारों को आगे बढ़ा रहे हैं, वहीं यैलो वैस्ट्स के सामने यह देखते हुए एक अलग तरह की चुनौती है कि उनके पास कोई आधिकारिक नेता, संगठन अथवा किसी पार्टी के साथ संबद्धता नहीं है। रिपोर्ट में समाज विज्ञानियों के हवाले से कहा गया है कि आंदोलन, राजनीतिक मतभेदों से आगे निकल गया है, मैक्रों के लिए खतरनाक क्योंकि जब तक विपक्ष लैफ्ट तथा राइट में बंटा रहता है तब तक उनकी ताकत के लिए ‘चुनौती’ नहीं होगी। फ्रांसीसी क्रांति से पहले इस तरह का आंदोलन नहीं देखा गया था जो एक गम्भीर राजनीतिक प्रश्र खड़ा करता है। 

बी.बी.सी. की रिपोर्ट के अनुसार सत्ता विरोधी गुस्सा 2019 के यूरोपियन चुनावों में मैक्रों को नुक्सान पहुंचा सकता है, जिसमें दक्षिणपंथियों ने लगातार अच्छी कारगुजारी दिखाई है। रिपब्लिकन्स के अतिरिक्त सुदूर वामपंथी जीन-लुक मेलेंचोन तथा सुदूर दक्षिणपंथी मैरीन ली पेन ने यैलो वैस्ट्स का समर्थन किया है।

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