राजस्थान में क्यों नहीं रुक रहीं हिंसक साम्प्रदायिक घटनाएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 03:22 AM

why not stop violent communal incidents in rajasthan

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भारतीय जनता पार्टी के सबसे नरमपंथी और आधुनिक नेताओं में से एक माना जाता था। वह एक भूतपूर्व  राज परिवार से संबंधित हैं और उन्हें अच्छी शिक्षा हासिल करने का मौका मिला है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में उनके...

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भारतीय जनता पार्टी के सबसे नरमपंथी और आधुनिक नेताओं में से एक माना जाता था। वह एक भूतपूर्व  राज परिवार से संबंधित हैं और उन्हें अच्छी शिक्षा हासिल करने का मौका मिला है। 

इसके बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में उनके शासनकाल में राजस्थान में सबसे बदतर किस्म की साम्प्रदायिक घटनाएं हुई हैं। यह तो केवल अटकल ही लगाई जा सकती है कि जिस प्रशासन की वह मुखिया हैं या तो वह पूरी तरह नालायक है या फिर वह इन घटनाओं को अंजाम देने वालों के प्रति इसलिए नरमी का रुख अपना रही हैं कि वह किसी खास जगह से निर्देश ले रहे हैं लेकिन एक बात तय है कि इस प्रकार की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही। 

राष्ट्रीय चेतना को झकझोरने वाली ताजातरीन घटना है 6 दिसम्बर के दिन एक मुस्लिम व्यक्ति अफराजुल खान की नृशंस हत्या, जोकि सोशल मीडिया पर देखना भी बहुत भयावह लगता है। इस व्यक्ति को पहले तो काफी घायल किया गया और फिर शंभु लाल रैगर द्वारा कथित रूप में जिंदा जला दिया गया। इस व्यक्ति ने इस पूरे प्रकरण की फिल्म बनाने के लिए अपने 14 वर्षीय भांजे को भी साथ लिया हुआ था और वह लव जेहाद तथा इस्लाम के विरुद्ध जहर उगल रहा था। 

यह वीडियो इतना दिल दहला देने वाला है कि किसी भी समझदार व्यक्ति के लिए इसे देख पाना आसान नहीं। रैगर को गिरफ्तार कर लिया गया है। वह स्पष्ट तौर पर अफराजुल का जानकार था। इसीलिए वह उसे बहला-फुसलाकर एक वीरान स्थान पर ले गया और अपने हंसिया (दातरी) से उस पर कई वार किए। गंभीर घावों और खून बहने के कारण कमजोर हो चुके इस व्यक्ति के मरने से पहले ही उसने उस पर पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। स्पष्ट है कि यह एक पूर्व नियोजित नृशंस हत्या थी क्योंकि वह इसे जघन्य हत्या की वीडियो रिकाॄडग करने के लिए अपने अवयस्क भांजे को भी साथ लेकर गया था। अपने इस कुकृत्य दौरान वह लगातार हिन्दुत्व का राग अलापता रहा और यह आरोप लगाता रहा कि अफराजुल ‘लव जेहाद’ के रास्ते पर चल रहा है। लगभग 45 वर्ष आयु का मृतक 3 बेटियों का बाप था और किसी भी व्यक्ति ने यह दावा नहीं किया कि उसका किसी महिला या लड़की के साथ कोई अफेयर था।

यह घटना और घटना का वीडियो जो दोषी और उसके भांजे ने तैयार किया है, ने उन सभी लोगों की अंतर्रात्मा को झकझोर दिया है जिन्होंने इसे देखा है। जनता के दबाव के कारण राजस्थान पुलिस को उसे गिरफ्तार करना पड़ा और इसने उसे ‘पागल व्यक्ति’ करार दिया है। लेकिन राजस्थान में साम्प्रदायिक भावनाओं का संकेत देने वाली यह कोई एकमात्र घटना नहीं। गत कुछ वर्षों से प्रदेश में साम्प्रदायिक घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है। इन जघन्य साम्प्रदायिक घटनाओं में से एक थी कथित गौ भक्तों द्वारा एक दलित डेयरी मालिक पहलू राम की हत्या। उसने अपनी मौत से पहले ही जिस दोषी को नामित किया था उसको पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया और जो गिरफ्तार किए गए हैं उन्हें भी पुलिस ने जमानत पर छोड़ दिया है। 

उत्तर प्रदेश और राजस्थान दोनों मिल कर देश में साम्प्रदायिक घटनाओं के मामले में शर्मनाक कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। ऐसे मामलों में देश के 5 प्रमुख अपराधी राज्यों में अपना स्थान बनाए रखने के लिए राजस्थान को मध्य प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। 2016 में यू.पी. में ऐसी 162 घटनाएं रिकार्ड की गई थीं जबकि 19 लोगों की मौत हुई थी। ऐसी घटनाओं के मामले में अग्रणी 5 राज्यों में से 3 में भाजपा का शासन है जबकि कर्नाटक में कांग्रेस तथा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सत्तारूढ़ है। 

बेशक राजस्थान की मुख्यमंत्री ने इस घटना की निंदा की है तो भी घृणित तथ्य यह है कि उन्होंने इस प्रकार का वातावरण अपने राज्य में बनने क्यों दिया? गुजरे समय में जितनी भी साम्प्रदायिक घटनाएं हुई हैं उनके दौरान वह बिल्कुल निर्लिप्त भाव से मौन साधे रही हैं। इसी मौन से रैगर जैसे तत्वों का हौसला बढ़ गया और वे यह मानने लगे कि मुस्लिमों पर हमले करके वे देश और धर्म की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं। 

यह पूर्णतया स्पष्ट है कि राजस्थान में इस समय ऐसा वातावरण बना हुआ है जो मुस्लिमों के विरुद्ध हिंसा का मार्ग आसान बना रहा है। यह कहा जाता है कि गौरक्षा के नाम पर बने रक्षक दल तथा जाति और सामुदायिक गरिमा के आधार पर बने हुए संगठनों को खुली छूट मिल गई लगती है। साम्प्रदायिक शक्तियों को राज्य सरकार द्वारा प्रदान वरदहस्त का एक अन्य उदाहरण है हाल ही के दिनों में राजपूत समुदाय द्वारा डाले गए दबाव के मद्देनजर ‘पद्मावती’ फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का इसका फैसला। खुद फिल्म देखने या स्वयंभू रणवीर सेना के सदस्यों को इसे देखने की अनुमति दिए बिना ही राज्य सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी। यू.पी. और मध्य प्रदेश जैसे अन्य भाजपा शासित राज्यों ने भी इसी कदम का अनुसरण किया। 

ऐसे कुकृत्यों द्वारा भारत के सामाजिक ताने-बाने को अकल्पनीय एवं ङ्क्षनदनीय नुक्सान पहुंचाया जा रहा है। हम तो केवल यही उम्मीद और प्रार्थना कर सकते हैं कि जो लोग देश को दुनिया के कुछ धर्मांध मुस्लिम देशों के समकक्ष बनाने पर तुले हैं, वे कुछ बुद्धिमत्ता से काम लें।-विपिन पब्बी

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