Edited By ,Updated: 16 Sep, 2021 06:21 AM
विवादास्पद पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के मुद्दे पर अपने अडिय़ल रवैये से केंद्र सरकार घिर गई है। यद्यपि किसी के मन में भी यह संदेह नहीं है कि जासूसी सॉ टवेयर का इस्तेमाल एक सरकारी
विवादास्पद पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के मुद्दे पर अपने अडिय़ल रवैये से केंद्र सरकार घिर गई है। यद्यपि किसी के मन में भी यह संदेह नहीं है कि जासूसी सॉ टवेयर का इस्तेमाल एक सरकारी एजैंसी द्वारा किया गया। सरकार ने एक कड़ा रुख अपनाया है कि वह इस प्रश्र पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी कि इसने सॉ टवेयर का इस्तेमाल किया है। इसराईली कंपनी, जिसने सॉ टवेयर को विकसित किया है, ने स्पष्ट कहा है कि उसने सॉ टवेयर विश्व भर की सरकारों को बेचा है। यहां तक कि साफ्टवेयर की कीमत इतनी अधिक है कि व्यक्ति अथवा कार्पोरेट्स इसे खरीदना गवारा नहीं कर सकते।
सरकार ने संसद के मानसून सत्र को यूं ही धुलने दिया जब विपक्षी दलों ने इस मामले पर चर्चा को लेकर दृढ़ता दिखाई और अब सॉ टवेयर के इस्तेमाल के मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट की जिज्ञासा के चलते उसे भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार का रवैया अपनी इस नीति के अनुरूप है कि वह किसी भी दबाव में नहीं आएगी और न ही कोई नीति-निर्णय वापस लेगी क्योंकि वह यह आभास नहीं देना चाहती कि सरकार ‘कमजोर’ है। यह रवैया इसके कई कदमों से स्पष्ट है जिसमें किसानों द्वारा लगभग एक वर्ष से जारी आंदोलन भी शामिल है।
सुप्रीमकोर्ट को सरकार के अधिवक्ता को ‘सांप निकलने के बाद लकीर न पीटने’ के लिए कहना पड़ा कि वह क्यों आरोपों को लेकर अतिरिक्त शपथ पत्र दाखिल नहीं करती और कहा कि वह केवल यह जानना चाहती है कि ‘क्या सरकार द्वारा कानून के अंतर्गत स्वीकृत किसी भी अन्य तरीके से सॉ टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं?’
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना ने जस्ट्सि सूर्यकांत तथा जस्टिस हिमा कोहली पर आधारित एक पीठ की अध्यक्षता करते हुए महाधिवक्ता तुषार मेहता से कहा, ‘‘हम एक बार फिर इस बात पर जोर देते हैं कि हमें किसी भी तरह से उन मुद्दों के बारे में जानने में रुचि नहीं है जो रक्षा अथवा किसी भी अन्य राष्ट्रीय हितों से जुड़े मुद्दों से संबंधित हैं।
हमें आरोपों के मद्देनजर केवल यह ङ्क्षचता है कि किसी सॉ टवेयर का इस्तेमाल कुछ विशेष नागरिकों, पत्रकारों, वकीलों आदि के खिलाफ किया गया, यह जानने में है कि क्या इस सॉ टवेयर का इस्तेमाल सरकार द्वारा किया गया, कानून के अंतर्गत स्वीकृत किसी भी अन्य तरीके से।’’ सरकार ने अपने महाधिवक्ता के माध्यम से यह स्टैंड लिया है कि ऐसा कोई भी खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा। यदि इसने और इसकी किसी भी एजैंसी ने सॉ टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया है तो सरकार को सॉ टवेयर के इस्तेमाल से इंकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
महत्वपूर्ण प्रश्र, जिसका सरकार उत्तर नहीं देना चाहती वह यह कि कैसे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित राजनीतिज्ञ अथवा प्रमुख पत्रकार या वकील तथा जज अथवा व्यवसायी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी तरह खतरा हैं। वैसे जिन लोगों के फोन टैप किए गए उनमें वह महिला भी शामिल थी जिसने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन प्रताडऩा के आरोप लगाए। हालांकि बाद में गोगोई, जो बाद में राज्यसभा के लिए नामांकित किए गए, के खिलाफ आरोप वापस ले लिए गए। कैसे ऐसे लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं? महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार एक समिति गठित करना चाहती है लेकिन कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया कि क्या वह राजनेताओं, जजों, वकीलों, पत्रकारों आदि को निशाना बनाने के प्रश्न का उत्तर देगी।
याचिकाकत्र्ता, जिनमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया भी शामिल है, इसे व्यक्तियों के निजता के अधिकार सहित मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं जिनके नाम जांच में सामने आए हैं। सुप्रीमकोर्ट ने अपने आदेशों को आरक्षित रखा है लेकिन जहां तक ऐसे लोगों के टैलीफोन टैप करने का मामला है जो किसी भी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं कर सकते, को लेकर सरकार के साफ बाहर निकलने को लेकर सतर्क है।-विपिन पब्बी