क्या कांग्रेस लोकसभा वाला अपना दबदबा बरकरार रख पाएगी

Edited By ,Updated: 15 Nov, 2024 05:37 AM

will congress be able to maintain its dominance in the lok sabha

लोकसभा  चुनाव में पंजाब के 4 विधायकों की जीत के कारण पंजाब विधानसभा की 4 रिक्त सीटों के लिए 20 नवंबर को उपचुनाव हो रहे हंै। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 13 में से 7 सीटें जीतकर अपना दबदबा कायम किया और आम आदमी पार्टी अपने दावों के उलट सिर्फ 3...

लोकसभा  चुनाव में पंजाब के 4 विधायकों की जीत के कारण पंजाब विधानसभा की 4 रिक्त सीटों के लिए 20 नवंबर को उपचुनाव हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 13 में से 7 सीटें जीतकर अपना दबदबा कायम किया और आम आदमी पार्टी अपने दावों के उलट सिर्फ 3 सीटें ही जीत सकी, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को बराबर की टक्कर दी। वहीं पंजाब की सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल-बादल इन चुनावों में एक सीट तो जीतने में कामयाब रही, लेकिन वोट प्रतिशत में काफी पीछे रह गई और भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन भाजपा ने अपना वोट प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा लिया। इसे 6 से बढ़ाकर 18 फीसदी कर लिया।

मौजूदा चुनाव में अकाली दल बादल के चुनाव न लडऩे के ऐलान से बाकी पार्टियों का आंकड़ा गड़बड़ा गया है। चुनाव मैदान में उतरी तीनों प्रमुख पाॢटयां अभी तक यह अनुमान नहीं लगा पाई हैं कि अकाली दल के पारंपरिक वोट बैंक को कौन-सी पार्टी पाएगी। इसी वजह से कांग्रेस पार्टी के विपक्षी नेता प्रताप सिंह बाजवा को सबसे ज्यादा ङ्क्षचता अकाली दल के चुनाव न लडऩे के फैसले की है, क्योंकि अगर अकाली दल बादल और बसपा चुनाव मैदान में होते तो अकाली दल का वोट बैंक उनके प्रतिद्वंद्वी दलों में से किसी के पास नहीं जा सकता था और 4 या 5 कोणों वाले मुकाबले में कांग्रेस के लिए चुनावी माहौल काफी आसान होता। 

इसी वजह से बाजवा, बादल के चुनाव न लडऩे के फैसले को अकाली दल का भाजपा के साथ आंतरिक समझौता बता रहे हैं। इन स्थितियों को देखते हुए हम उप-चुनाव वाले 4 विधानसभा क्षेत्रों के बारे में संक्षिप्त विश्लेषण कर रहे हैं। अगर हम डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र पर नजर डालें तो बाजवा द्वारा व्यक्त की गई अकाली दल और भाजपा के बीच समझौते की आशंका सही नहीं लगती क्योंकि उस विधानसभा क्षेत्र का अकाली दल सुच्चा सिंह लंगाह के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन कर रहा है। और आश्चर्य की बात है कि अभी तक अकाली दल के आलाकमान की ओर से लंगाह के इस फैसले के खिलाफ या पक्ष में कोई बयान नहीं आया है जिससे जानकार अंदाजा लगा रहे हैं कि लंगाह को अकाली दल के हाईकमान की सहमति मिल गई है। 

इससे पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे ‘आप’ प्रत्याशी गुरदीप रंधावा के हौसले बुलंद हैं। मुकाबला इस बात से और दिलचस्प हो गया है कि भाजपा ने पिछली बार अकाली दल की टिकट पर कांग्रेस को टक्कर देने वाले रविकरण सिंह काहलों को अपना उम्मीदवार बना लिया है, जिसके चलते अब तक के चुनावों में 14 में से 9 बार जीत हासिल कर चुकी कांग्रेस को अपने उम्मीदवार जितेंद्र रंधावा को चुनाव जिताने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

उप-चुनाव में गिद्दड़बाहा सबसे चर्चित सीट है। इस सीट पर तीनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों का कद बड़ा माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने अकाली दल छोड़कर ‘आप’ में शामिल हुए हरदीप ढिल्लों उर्फ डिंपी ढिल्लों को टिकट दिया है, जो पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार से महज 1349 वोटों से हार गए थे, जबकि भाजपा ने 3 बार जीत चुके पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यहां से 3 बार जीत चुके पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह राजा वडिंग़ की पत्नी अमृता वङ्क्षडग़ को भी उम्मीदवार बनाया है। प्रकाश सिंह बादल के करीबी मनप्रीत बादल और उनके समर्थक निकट भविष्य में भाजपा और अकाली दल बादल के बीच समझौता होने का दावा कर भाजपा के साथ-साथ अकाली दल के वोट भी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। इस सीट से अमृता वङ्क्षडग़, डिम्पी ढिल्लों और मनप्रीत बादल के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है।

बरनाला क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के बागी उम्मीदवार गुरदीप सिंह बाठ के मैदान में उतरने के कारण आम आदमी पार्टी के लिए सिरदर्द का कारण बना हुआ है। वहीं बड़े नेताओं, मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, मीत हेयर, अमन अरोड़ा और बरिन्द्र गोयल के लिए इज्जत का सवाल बना हुआ है क्योंकि इस क्षेत्र को ‘आप’ की राजधानी कहा जाता है। ‘आप’ ने हरिंदर सिंह धालीवाल को टिकट दिया है, जो मंत्री मीत हेयर के करीबी हैं, जबकि बागी उम्मीदवार बाठ को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। ‘आप’ के बागी उम्मीदवार की वजह से भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार इस सीट पर जीत हासिल करने का दावा कर रहे हैं। विधायक रह चुके भाजपा प्रत्याशी केवल ढिल्लों बरनाला के शहरी वोटों के दम पर ही जीत का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप ढिल्लों भी आम आदमी पार्टी में फूट का फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। चब्बेवाल से इस बार आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में जीते लोकसभा सदस्य राज कुमार चब्बेवाल के बेटे इशांक चब्बेवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। 

आम आदमी पार्टी सत्ताधारी पार्टी होने और उम्मीदवार के पिता के लोकसभा सदस्य होने का फायदा उठाकर यह चुनाव जीतने की उम्मीद कर रही है। कांग्रेस ने रणजीत कुमार को मैदान में उतारा है, जिन्होंने पिछली बार बसपा से लोकसभा 
चुनाव लड़ा था और भाजपा ने सोहन सिंह ठंडल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने पिछली बार अकाली दल बादल से विधानसभा चुनाव लड़ा था। सोहन सिंह ठंडल 4 बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों को ‘आप’ से ज्यादा मेहनत करनी होगी।

कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस के प्रदेश आलाकमान ने इन चुनावों में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। दोनों बड़े नेता वडिंग़ और रंधावा अपनी-अपनी पत्नियों के निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर नहीं निकल सके। इसलिए आम चुनाव में कांग्रेस के लिए अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखना और लोकसभा में अपना दबदबा कायम रखना एक चुनौती बनी हुई है।-इकबाल सिंह चन्नी (भाजपा प्रवक्ता पंजाब)
 

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