क्या उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी

Edited By ,Updated: 07 Jan, 2019 10:29 PM

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उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा के बाद कांग्रेस-राकांपा ने भी महाराष्ट्र में अपने गठबंधन की घोषणा कर दी है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी का उत्तर प्रदेश राज्य नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर राज्य में अकेले चुनाव लडऩे के लिए...

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा के बाद कांग्रेस-राकांपा ने भी महाराष्ट्र में अपने गठबंधन की घोषणा कर दी है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी का उत्तर प्रदेश राज्य नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर राज्य में अकेले चुनाव लडऩे के लिए दबाव बना रहा है और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) सहित छोटे दलों के साथ गठबंधन करने का सुझाव दे रहा है। 

इस बीच राहुल गांधी इस संबंध में ब्लाक स्तर से लेकर राज्य नेतृत्व तक से विचार-विमर्श कर रहे हैं तथा अधिकतर पार्टी कार्यकत्र्ताओं ने उन्हें अकेलेे चुनाव लडऩे का सुझाव दिया है क्योंकि तीन उत्तरी राज्यों के चुनाव परिणाम यह रुझान दर्शाते हैं कि उच्च जातियां, मुसलमान, दलित तथा मध्य वर्ग कांग्रेस पार्टी का समर्थन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के नेताओं को ब्राह्मणों, मुसलमानों, दलितों तथा मध्य वर्ग के समर्थन का विश्वास है लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ लडऩे के लिए उत्तर प्रदेश सहित देश भर में महागठबंधन चाहता है। 

राज्य कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव 
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित दिल्ली कांग्रेस की कमान सम्भाल सकती हैं। यह घटनाक्रम अजय माकन द्वारा शुक्रवार 4 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा देने के बाद पैदा हुआ। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ सम्भावित गठबंधन को लेकर दीक्षित की स्वीकार्यता ने उनके यह पद प्राप्त करने के अवसरों को और बल दिया है। अजय माकन ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देकर दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया था। इस बात की आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही हैं कि आम आदमी पार्टी के साथ सम्भावित गठबंधन को लेकर माकन के केन्द्रीय नेतृत्व के साथ मतभेद थे। 

इस बात की चर्चा है कि राज्याध्यक्ष के साथ करीब से काम करने के लिए पार्टी सम्भवत: किसी मुसलमान, अनुसूचित जाति, जाट अथवा ओ.बी.सी. या वैश नेता को कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त कर सकती है। कार्यवाहक अध्यक्ष की दौड़ में जिन नामों की चर्चा है उनमें हारून यूसुफ, योगानंद शास्त्री, राज कुमार चौहान, जय किशन, देवेन्द्र यादव शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तथा मुम्बई में राज्य नेतृत्व में फेरबदल को लेकर अपने पार्टी नेताओं के साथ सलाह कर रहे हैं। राहुल गांधी लोकसभा चुनावों से पूर्व कई राज्यों में शीघ्र राज्य प्रभारियों की नियुक्ति भी करेंगे। 

सपा-बसपा गठबंधन 
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ बैठक के  बाद दोनों ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ लडऩे के लिए गठबंधन बनाने पर सहमति जताई। हालांकि उन्होंने 3 सीटें रालोद को देने तथा अमेठी व रायबरेली से न लडऩे का फैसला किया, जहां से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा यू.पी.ए. की चेयरपर्सन सोनिया गांधी चुनाव लड़ती हैं। फिलहाल उन्होंने राज्य में 80 लोकसभा सीटों में से 24 सीटों बारे निर्णय किया है, जिनमें से 12-12 पर सपा तथा बसपा लड़ेंगी। 

सपा फिरोजाबाद, मैनपुरी, बदायूं, रामपुर, बलिया, मुरादाबाद, सम्भल, इटावा, कन्नौज, फूलपुर, गोरखपुर तथा कैराना से लड़ेगी। बसपा बांसगांव, लालगंज, आगरा, मिसरिख, अम्बेदकर नगर, मछली शहर, बिजनौर, संत कबीर नगर, भदोही, सहारनपुर, बस्ती, बाराबंकी तथा कौशांबी से लड़ेगी जिनमें से अधिकतर निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। रालोद बागपत तथा मथुरा से चुनाव लड़ेगी। बाकी सीटों पर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बराबर तथा मैत्रीपूर्ण बंटवारा होगा। सीटों की घोषणा मायावती तथा डिम्पल यादव के जन्मदिन पर की जाएगी। 

मायावती के लिए प्रधानमंत्री पद अभियान 
बसपा प्रमुख मायावती के 63वें जन्म दिन पर पार्टी नेताओं तथा उनके समर्थकों द्वारा उनको आगामी प्रधानमंत्री तथा  गैर-कांग्रेस व गैर-भाजपा तीसरे मोर्चे  की नेता के तौर पर पेश करने के लिए एक अभियान शुरू करने की तैयारी है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव तीसरे मोर्चे के लिए प्रचार कर रहे हैं और पहले ही मुख्यमंत्री नवीन पटनायक व ममता बनर्जी से मिल चुके हैं तथा मायावती तथा अखिलेश यादव से मिलने के लिए दिल्ली आए लेकिन उस समय उनकी मुलाकात हो नहीं सकी। 

अब वह शीघ्र उनसे मिलने जाएंगे तथा 15 जनवरी को मायावती का जन्म दिन समारोह सम्भवत: 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए पाॢटयों के चुनाव अभियान की शुरूआत सिद्ध होगा और उसी समय प्रस्तावित सपा-बसपा गठबंधन से पर्दा उठाया जाएगा जिस पर नवम्बर 2018 से ही बात चल रही थी। वर्तमान में मायावती कड़ी मेहनत कर रही हैं और तीसरे मोर्चे के गठजोड़ हेतु क्षेत्रीय दलों से सम्पर्क कर रही हैं। 

तृणमूल कांग्रेस बनाम भाजपा 
भाजपा की रथयात्रा को अदालत द्वारा आज्ञा देने से इंकार के बाद तृणमूल कांग्रेस तथा भाजपा के बीच लड़ाई का एक नया दौर शुरू हो गया है। अब दोनों पाॢटयां पश्चिम बंगाल के किसानों को आकर्षित करने में व्यस्त हैं। केन्द्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ का मुद्दा उठाया है लेकिन ममता बनर्जी ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा है कि इस योजना पर मात्र 20 प्रतिशत खर्च करने के बाद केन्द्र इसे अपनी योजना कहने का दावा कैसे कर सकता है। ममता के अनुसार 49 प्रतिशत किसान पहले से ही इस योजना में हैं तथा बाकियों को भी शीघ्र लाभ मिलेंगे।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘कृषक बंधु योजना’ की घोषणा की है, जिसमें किसान की मौत हो जाने के बाद उसके परिवार को 2 लाख रुपए तथा अन्य राहत लाभ मिलेंगे। 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच के किसानों को इस योजना से लाभ मिलेंगे तथा राज्य सरकार भी साल में दो बार किसानों को प्रति एकड़ पांच हजार रुपए की राहत देगी। एक बार रबी की फसल की कटाई के समय तथा दूसरी बार खरीफ की कटाई के समय। अब भाजपा का राज्य नेतृत्व तथा कार्यकत्र्ता ममता बनर्जी के इस अभियान का मुकाबला करने की योजना बना रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के किसान दिनों-दिन गरीब होते जा रहे हैं तथा केन्द्र सरकार 2022 तक किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि कर देगी। - राहिल नोरा चोपड़ा

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