नेहरू की भूलें क्या मोदी ठीक कर पाएंगे

Edited By ,Updated: 16 Jul, 2020 04:08 AM

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हमारे देश भारत का विभाजन 15 अगस्त 1947 को हुआ था। पंडित जी चाहते तो देश का विभाजन रुक सकता था।  जब भारत के देशभक्त क्रांतिकारियों, सामाजिक एवं धार्मिक नेताओं एवं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही जनता को यह विश्वास हो गया था कि भारत देश आजाद होने वाला...

हमारे देश भारत का विभाजन 15 अगस्त 1947 को हुआ था। पंडित जी चाहते तो देश का विभाजन रुक सकता था।  जब भारत के देशभक्त क्रांतिकारियों, सामाजिक एवं धार्मिक नेताओं एवं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही जनता को यह विश्वास हो गया था कि भारत देश आजाद होने वाला है, ठीक उसी समय मोहम्मद अली जिन्ना एवं  लार्ड माऊंटबेटन तथा अन्य मुसलमान नेता विभाजन का विचार कर रहे थे और पाकिस्तान बनाने पर अडिग थे। इधर महात्मा गांधी ने घोषणा की कि पाकिस्तान का निर्माण मेरी लाश पर होगा। उधर पंडित नेहरू जी भारत के विभाजन के लिए बड़े उतावले हो रहे थे।

उनका मानना था कि अब हम बूढ़े हो चुके हैं जेल में जाने की भी हिम्मत नहीं है। जब पाकिस्तान की स्थापना का ऐलान हुआ तो मोहम्मद अली जिन्ना के इशारे पर हिंदुओं तथा सिखों पर सामूहिक अत्याचार, माताओं और बहनों का सामूहिक बलात्कार, लूटपाट, आगजनी एवं कत्लेआम चरम सीमा पर पहुंच गया। देश के विभाजन के पहले एवं बाद में लगभग 30 लाख लोग मारे गए। वीर सावरकर, हिंदू महासभा, आर्य समाज, सनातन धर्म सभा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा अन्य हिंदू संस्थाओं ने कभी भी विभाजन को स्वीकार नहीं किया। यदि पंडित नेहरू महात्मा गांधी जी की बात को मान लेते तो देश का विभाजन रुक सकता था। 

पंडित नेहरू जी की दूसरी भयंकर भूल
हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था। दुर्भाग्य से पाकिस्तान ने 22 अक्तूबर 1947 को कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और पाक सेना ने लगभग 83000 वर्ग किलोमीटर  भूमि  पर कब्जा  कर लिया। लगभग 50,000 ङ्क्षहदू-सिख मारे गए थे। जब भारत की सेना श्रीनगर में पहुंची तो उसने कश्मीर का बहुत-सा भाग पाकिस्तानी सेना से मुक्त करा लिया था। जब भारत की सेना आगे बढ़ रही थी तो पंडित जी ने एक भयंकर भूल कर डाली। युद्ध विराम की एकतरफा घोषणा कर डाली। सेना के बढ़ते कदमों को रोक दिया। सेना के अधिकारियों ने कुछ दिन और मांगे। उनके परामर्श को भी नहीं माना। कश्मीर समस्या को यू.एन.ओ. की सुरक्षा परिषद में भेज दिया। जम्मू-कश्मीर का जो भू-भाग पाकिस्तान के कब्जे में है उसे पाक अधिकृत कश्मीर कहते हैं। 

पाकिस्तान ने 1963 में एक संधि के अंतर्गत 
पाक अधिकृत कश्मीर की हजारों वर्ग मील जमीन चीन को भेंट कर दी है। चीन कश्मीर में वह लद्दाख को अपना हिस्सा मानता है और शेष प्रदेश को पाकिस्तान का भाग मानता है। मोदी जी ने अपने संबोधन में कई बार कहा है कि हमें पाक अधिकृत कश्मीर को शीघ्रातिशीघ्र वापस लेना ही है। 

पंडित जी की तीसरी भयंकर भूल
कश्मीर में शेख अब्दुल्ला के कहने पर धारा 370 लगाई गई थी जिसको नरेन्द्र मोदी ने अपने अनथक प्रयासों से यह धारा समाप्त कर दी और जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बना दिया। पंडित नेहरू जी ने अपने जीवन काल में आजादी के बाद अनेकों गलतियां कर डालीं जिसको ठीक करने में मोदी जी को थोड़ा समय तो लगेगा ही। 

कोको द्वीप समूह (आईलैंड)
पंडित नेहरू ने सन् 1950 में भारत का कोको द्वीप समूह म्यांमार को गिफ्ट दे दिया। यह आइलैंड कोलकाता से केवल 900 किलोमीटर की दूरी पर है। म्यांमार ने कुछ समय बाद चीन को किराए पर दे दिया जहां चीन आज भी भारत की गतिविधियों पर नजर रखता है।

नेपाल और भारत विलय
नेपाल पहले हिंदू राष्ट्र था जो बाद में कम्युनिस्ट बना। सन् 1952 में नेपाल के राजा विक्रम शाह थे। नेपाल के राजा ने पंडित नेहरू जी से नेपाल को भारत में विलय की बात कही। उस समय पंडित जी ने विलय के लिए इंकार कर दिया।  

संयुक्त राष्ट्र संघ में  स्थायी सीट
पंडित नेहरू को सन् 1953 में अमरीका ने यू.एन.ओ.  में स्थायी सदस्य बनने के लिए कहा था। लेकिन नेहरू जी ने बिना सोचे-समझे चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे दी। यह पंडित जी की महान गलतियों में एक है। 

कबाव वैली
कबाव वैली संसार के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। कबाव वैली को भारत का दूसरा कश्मीर भी कहते हैं। कबाव वैली लगभग 11000 स्क्वेयर कि.मी. में फैली हुई है। पंडित जी ने दोस्ती की याद में बर्मा को दे दी। बर्मा ने कबाव वैली का अधिक भाग चीन को दे रखा है। चीन आए दिन भारत से मुठभेड़ करता रहता है। यह  पंडित जी की महान गलतियों में से एक है।

एडविना के साथ पंडित जी की मित्रता
हम जानते हैं कि पंडित नेहरू जी एक महान राजनीतिज्ञ, कुशल राजनेता थे परन्तु एडविना से दोस्ती के बाद पंडित जी ने अपने बहुत सारे राज एडविना को बता दिए जो  देश के लिए बहुत घातक सिद्ध हुए जिसके  कारण चीन भारत के अंदर घुस आया।

पंचशील समझौता (1959) एवं तिब्बत को चीन का भाग कह दिया
हमारा देश 1947 में स्वतंत्र हुआ। सन् 1949 में माओ की चीन में सरकार बनी थी। सन् 1950 में चीन ने तिब्बत पर सीधी सैनिक कार्रवाई करके तिब्बत को अपने कब्जे में ले लिया। पंडित नेहरू जी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। तिब्बत भारत और चीन में बफर स्टेट का काम करता रहा है। जैसे ही नेहरू जी ने 1954 में चीन को पंचशील समझौते के लिए मनाया तब नेहरू जी ने तिब्बत को चीन का हिस्सा करार दे दिया था जो नेहरू जी की महान गलतियों (हिमालयन बलंडर) में एक है। सन् 1962 से पहले तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में था। वह कभी चीन का भाग नहीं रहा। 

सन् 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो चीनी सेना इसी रास्ते से आक्रमण करने के लिए आई थी। हम ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ के नारे लगा रहे थे। मुझे याद है कि मैं उस समय फाइनल ईयर एम.बी.बी.एस. का विद्यार्थी था।  उस समय पंडित जी का बयान आया ‘थ्रो चाइनीज बियांड मैकमोहन लाइन’ यह मिलिट्री को आज्ञा देकर विदेश चले गए थे। पंडित जी गलती पर गलती कर रहे थे। भारत-चीन युद्ध (1962) में भारत परास्त हो गया था। इस हार के कारणों को सही प्रकार जानने के लिए लै. जनरल हैडरसन और कमांडैंट ब्रिगेडियर भारत सरकार की अगुवाई में एक समिति का गठन किया गया जिसमें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया था। आज भी चीन ने भारत का 14000 स्क्वेयर कि.मी.  भाग पर अपना कब्जा किया हुआ है जिसको चीन से छुड़ाना है। मैं समझता हूं मोदी है तो मुमकिन है।-डा. बलदेव राज चावला(पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, पंजाब)
 

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