क्या नरेश गोयल ‘जैट एयरवेज’ को बचा सकेंगे

Edited By Pardeep,Updated: 21 Aug, 2018 04:38 AM

will naresh goyal save jet airway

जैट एयरवेज के संस्थापक चेयरमैन 69 वर्षीय नरेश गोयल अपने जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं-लड़ाई अपनी विरासत तथा एयरलाइन को बचाने की, जिसे उन्होंने 25 वर्षों तक चलाया है। विपरीत परिस्थितियां जैट एयरवेज के विमानों को सुगमतापूर्वक उड़ान भरने में मदद...

जैट एयरवेज के संस्थापक चेयरमैन 69 वर्षीय नरेश गोयल अपने जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं-लड़ाई अपनी विरासत तथा एयरलाइन को बचाने की, जिसे उन्होंने 25 वर्षों तक चलाया है। 

विपरीत परिस्थितियां जैट एयरवेज के विमानों को सुगमतापूर्वक उड़ान भरने में मदद नहीं कर रहीं। कुछ समय पहले एयरलाइन ने अपने पायलटों तथा इंजीनियरों को अपना वेतन 30 प्रतिशत कटौती के साथ लेने को कहा था। स्थिति की अनिश्चितता बताने के लिए एक वरिष्ठ कार्याधिकारी ने अन्य कार्याधिकारियों को 60 दिनों की एक कार्य सूची सौंपी। बाद में एयरलाइन ने कहा कि कार्य सूची में अत्यावश्यकता की भावना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया था। 

मगर कोई भी यह बताने को तैयार नहीं कि एयरलाइन गम्भीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। इसके 8100 करोड़ रुपए के ऋण की लागत का शोधन अत्यंत ऊंचा है। तेल कीमतें आसमान छू रही हैं और वेतन प्रतिस्पर्धा बाजार में है। कम लागत की तथा अन्य एयरलाइंस की ओर से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा भी जैट एयरलाइन की कीमतों के वांछित स्तर को बनाए रखने की इच्छा में भी बाधक बन रही है। संक्षेप में कहें तो भारतीय आकाश में कई खिलाड़ी हैं जो लम्बे समय तक टिके रहना चाहते हैं। दाव पर एक एयरलाइन है जिसे गोयल ने बनाया और एक ऐसे उपमहाद्वीप में 25 वर्षों तक उड़ाए रखा, जहां बहुत-सी निजी एयरलाइंस समाप्त हो चुकी हैं। 

जैट एयरलाइंस के कम संख्या वाले निवेशकों ने कभी भी धन नहीं कमाया। 2005 में प्रति शेयर 1100 रुपए का आई.पी.ओ., या आबू धाबी की एयरलाइन एतिहाद, जिसकी 24 प्रतिशत शेयर हिस्सेदारी है, का अप्रैल 2013 में 2050 करोड़ रुपए में अधिग्रहण किया गया, ने केवल जैट एयरलाइन की शेयरों की कीमत में गिरावट ही देखी। इसकी ट्रेडिंग के पहले दिन जैट एयरवेज का मूल्य 11266 करोड़ रुपए था। जैट का बाजार पूंजीकरण अब 3419 करोड़ रुपए है, इसके प्रारम्भिक सूचीबद्ध मूल्यांकन का लगभग 30 प्रतिशत। ऐसी परिस्थिति में नए निवेश प्राप्त करना वास्तव में एक चुनौती होगी। 

ऐसा नहीं है कि केवल जैट एयरवेज को ही तकलीफ सहन करनी पड़ रही है। कोटक इंस्टीच्यूशनल इक्विटीज ने अपनी 6 अगस्त की रिपोर्ट में कहा था कि वे काफी दुविधा में हैं। ब्रोक्रेज फर्म ने कहा कि भारतीय विमानन कम्पनियां एक ऐसे समय में अपनी कीमतें बढ़ाने में असफल रही हैं, जब घरेलू यात्रा शुल्क में मजबूत वृद्धि जारी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख एयरलाइन कम्पनीज तो गत दो वर्षों के दौरान मुद्रास्फीति के साथ अपनी रफ्तार भी नहीं बनाए रख सकीं, इनपुट लागतों में तीव्र वृद्धि को तो छोड़ ही दें। 

इसलिए यह केवल गोयल की समस्या नहीं है। यद्यपि उनके विपरीत इंडिगो की मूल इंटरग्लोब एविएशन, टाटा-सिया की एयर विस्तारा और यहां तक कि सरकारी एयर इंडिया जैसे जैट एयरवेज के सहयोगियों के प्रोमोटर काफी अमीर हैं और भारतीय आकाश में दम तोडऩे से पहले काफी लम्बी लड़ाई लड़ सकते हैं। मगर जैट एयरवेज को नुक्सान यह है कि इसकी सांझेदार एतिहाद बहुत बुरी तरह से पिछड़ रही है और अतीत में किए गए अधिग्रहणों, जैसे कि एलीटालिया, जिसने कभी लाभ नहीं दिया, के कारण घाटा उठा रही है। गोयल मुश्किल सौदे करने के लिए जाने जाते हैं। 

एक ‘वन मैन नैटवर्किंग आर्मी’, जब वह किसी चीज पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लेते हैं तो अपना सर्वश्रेष्ठ दिए बिना पीछे नहीं हटते। इसलिए अब चर्चा लायल्टी प्रोग्राम जैट प्रिविलेज की हिस्सेदारी निजी इक्विटी फर्मों को बेचने की है मगर ऐसा नहीं लगता कि यह एयरलाइन को बचाने के लिए पर्याप्त होगा। गत वर्ष के अंतिम समय में गोयल को एहसास हुआ कि उन्हें शीघ्रतापूर्वक नए गठबंधन बनाने होंगे। इंडिगो तथा एयर विस्तारा जैसी निजी कम्पनियां लम्बी दूरी तक उड़ान भरने के लिए जानी जाती हैं। फिर एयर इंडिया भी उनकी नजर में थी। उन्होंने शीघ्रतापूर्वक अपनी सांझेदारियां बदलने का निर्णय लिया। 

गत वर्ष नवम्बर के अंत में गोयल अंतत: एयर फ्रांस-के.एल.एम. के साथ एक वाणिज्यिक समझौता करने में सफल रहे, जिसके बारे में जैट एयरवेज पर नजर रखने वालों का मानना है कि इसे और विस्तार दिया जा सकता है। समझौते की घोषणा करने के बाद एयर फ्रांस-के.एल.एम. के तत्कालीन चेयरमैन जीन-मार्क जानैलाक ने कहा कि गोयल सौदे करना पसंद करते हैं और इस मामले में काफी निर्मम हैं। वह व्यवसाय, अपनी कम्पनी को जानते हैं और अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए। उन्होंने इस एयरलाइन को अपनी खुद की उद्यमशील दूरदृष्टि से बनाया है। इस नजरिए से हम अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि वह कैसे सौदेबाजी करते हैं। इसके लिए कुछ प्रयास चाहिएं और यह दिन में 24 घंटे तथा सप्ताह में सातों दिन होता है। 

यही बात एतिहाद के मामले में भी सच थी। गोयल ने जैट एयरवेज का मूल्य बढ़ा-चढ़ाकर बताया और एक कीमत (1.5 अरब डालर), जो एतिहाद द्वारा आफर की गई कीमत से 3 गुना अधिक थी, पर समझौता करने से पूर्व 3.5 अरब डालर का बड़ा मूल्यांकन करने को कहा। गोयल के करीबी लोग इस बात से इंकार करते हैं कि वह अपना हिस्सा बेच रहे हैं। उनके करीबी एक व्यक्ति ने कहा कि अपने जीवन में वह इसे कभी नहीं बेचेंगे। गोयल, जिन्होंने 1967 में विमानन क्षेत्र में अपना करियर अपने मामा सेठ चरणदास राम लाल की ट्रैवल एजैंसी ईस्ट-वैस्ट एजैंसीज में एक कैशियर के तौर पर शुरू किया, को उस एयरलाइन से काफी भावनात्मक लगाव है जिसे उन्होंने बनाया तथा उड़ान भरने में मदद की।

अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर उनके एक पूर्व सहयोगी, जो अब एक प्रतिद्वंद्वी एयरलाइन में काम करते हैं, ने बताया कि हम उस व्यक्ति को जानते हैं और यदि कोई जैट एयरलाइंस को बचा सकता है तो वह गोयल हैं। मगर परेशानी केवल यह है कि जब इंडस्ट्री पतन की ओर अग्रसर है और जब एजैंट्स एयरलाइन को नहीं बेचते और यात्री टिकट नहीं खरीदते तो नकदी के बहाव की जीवनरेखा तेजी से रुक जाएगी। मगर महत्वपूर्ण प्रश्र यह है कि क्या वह एक रचनात्मक सौदा कर पाएंगे और नए निवेशकों के आने के लिए कुछ जगह बना पाएंगे?-एस. जॉन

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!