‘क्या पाकिस्तान अब भी हाफिज सईद का परित्याग नहीं करेगा’

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2020 03:40 AM

will pakistan still not abandon hafiz saeed

निरंतर कई महीनों तक अंतर्राष्ट्रीय पाबंदियों को न झेलने के डर से पाकिस्तान ने अनेकों आतंकियों को गिरफ्तार किया था तथा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से संबंधित सैंकड़ों सम्पत्तियों को जब्त या फिर सील किया गया था। मगर लोगों ने इन कार्रवाइयों को केवल आंख...

निरंतर कई महीनों तक अंतर्राष्ट्रीय पाबंदियों को न झेलने के डर से पाकिस्तान ने अनेकों आतंकियों को गिरफ्तार किया था तथा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से संबंधित सैंकड़ों सम्पत्तियों को जब्त या फिर सील किया गया था। मगर लोगों ने इन कार्रवाइयों को केवल आंख में धूल झोंकने जैसा बताया था। जमात-उद-दावा (जे.यू.डी.) जैसे प्रमुख आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई थी। मगर इस बार पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे घुटने टेके हैं। हालांकि यह फैसला पाकिस्तानी अदालत का है मगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह बहुत महत्व रखता है। 

मुम्बई के 26/11 हमलों के मास्टर माइंड और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद को पाकिस्तान के पंजाब की एक अदालत में टैरर फंङ्क्षडग के 2 मामलों में 10.5 साल की सजा सुनाई। मुम्बई में आतंकी घटना में 166 लोगों की जान चली गई  थी और इस हमले ने भारत सहित पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। कोर्ट ने सईद की सम्पत्ति भी जब्त करने का निर्देश दिया है और उस पर 1.1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इसके अतिरिक्त सईद के दो दोस्तों जफर इकबाल और यहिया मुजाहिद को साढ़े 10 साल की जेल की सजा सुनाई है जबकि अब्दुल रहमान मक्की (सईद का साला) को भी 6 महीने की सजा सुनाई गई है। आतंकरोधी विभाग ने जमात-उद-दावा के खिलाफ 41 केस दर्ज किए हैं जिनमें से 24 में फैसला आ चुका है। 

अदालत की कार्रवाई के दौरान अदालत परिसर में मीडिया को प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। पिछले साल फरवरी में हाफिज सईद को लाहौर में ए.टी.सी. द्वारा टैरर फंङ्क्षडग के मामले में 11 साल की सजा सुनाई गई थी। अमरीका ने उसके सिर पर 10 मिलियन अमरीकी डालर का ईनाम  रखा है। इसके अलावा अमरीका ने सईद को विशेष वैश्विक आतंकी घोषित कर रखा है। 2008 में इसे यू.एन. सिक्योरिटी कौंसिल रैजोल्यूशन 1267 के अंतर्गत  एक आतंकी होने के लिए सूचीबद्ध किया गया था। 

हाफिज सईद को पिछली दिसम्बर में दोषी पाया गया था तथा उसका ट्रायल 2 महीनों से भी कम समय में  पूर्ण कर लिया गया था। यह अपने आप में पाकिस्तान के लिए एक रिकार्ड है। पाकिस्तानी सुरक्षा प्रशासन के साथ निकट संबंध होने के बाद कई लोगों ने यह सवाल उठाए कि क्या हाफिज का सही में पाकिस्तानी प्रशासन द्वारा परित्याग कर दिया जाएगा? पाकिस्तान ने सईद को अमरीका में  9/11 हमलों के बाद अनेकों बार गिरफ्तार किया। मगर उस पर कभी भी विशेष आरोप नहीं लगाए और अंत में उसे रिहा कर दिया गया। ऐसे भी मौके आए कि जब उसे अनेकों बार घर में नजरबंद करके रखा गया। 

यह मौका तब आया जब भारत सरकार ने  2001 में अपनी संसद के ऊपर हुए हमले के बाद सईद पर मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया और उसके बाद 2006 में मुम्बई ट्रेन धमाकों के बाद भी उसे कई बार घर में नजरबंद रखा गया। 2008 से लेकर 2009 के बीच हाफिज सईद को अनेकों बार नजरबंद रखा गया। उस पर आरोप लगे कि लश्कर-ए-तोयबा ने 2008 के मुम्बई धमाकों को अंजाम दिया। इन सब मौकों पर पाकिस्तानी सरकार ने कभी भी उसके खिलाफ आरोप नहीं लगाए। इसके स्थान पर पाकिस्तान सरकार निरंतर ही उसकी नजरबंदी को बढ़ाने की फाइल को आगे बढ़ाती रही और अदालत उसे अंतत: आजाद छोड़ती रही। क्या इस बार स्थिति कुछ अलग होगी या फिर से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों की आंखों में धूल झोंक दी जाएगी। पाकिस्तानी सरकार इस समय बेहद दबाव में है। सईद पर कुछ अलग निर्णय लेने के लिए उसे सौ बार सोचना होगा। 

इस्लामाबाद फाइनांशियल एक्शन टास्क फोर्स से बहुत दबाव भी था कि वह लश्कर-ए-तोयबा को वित्तीय सहायता देना बंद करे। पाकिस्तान पर यह भी दबाव था कि उस पर और प्रतिबंध लग सकते हैं यदि वह सभी मापदंडों को पूरा करने में असफल रहता है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जिसने कि अलकायदा तथा तालिबान से संबंध होने के लिए लश्कर-ए-तोयबा को काली सूची में डाला था, में एक याचिका दायर कर  कहा था कि वह हाफिज सईद को प्रशासन द्वारा उसके जब्त किए गए खातों में से 1.5  लाख रुपए प्रति माह के फंड को निकालने की अनुमति दे। 

हाफिज मोहम्मद सईद के बेटे तलहा सईद पर पिछले वर्ष एक जानलेवा हमला किया गया। इस हमले में लश्कर के 7 अन्य समर्थक भी घायल हुए थे। लाहौर की मस्जिद में एक धार्मिक बैठक को निशाना बनाकर हमला किया गया था। इस हमले के लिए हाफिज सईद तथा उसके संगठन ने भारत की खुफिया एजैंसी ‘रॉ’ पर शक जताया था। तलहा को उसके पिता हाफिज का वारिस समझा जाता है जो लश्कर के वित्तीय कार्यों को नियंत्रित करता है। इसी बात को लेकर आतंकी संगठन के वरिष्ठ नेताओं में गुस्सा भी था। 

पाकिस्तान जांच करने का दिखावा करता है। इससे पहले पाकिस्तान की उच्च जांच एजैंसी फैड्रल इन्वैस्टीगेशन एजैंसी (एफ.आई.ए.) ने यह माना था कि 26/11 मुम्बई आतंकी हमले में उसके 11 आतंकी शामिल थे। इस हमले को पाकिस्तान की धरती से अंजाम दिया गया था। सूची में 1210 हाई प्रोफाइल तथा मोस्ट वांटेड आतंकियों के नाम हैं। मगर यह और भी आश्चर्यजनक बात है कि पाकिस्तान में हाफिज सईद, मसूद अजहर तथा दाऊद इब्राहीम को इस सूची में शामिल नहीं किया था। दाऊद इब्राहीम के बारे में पाकिस्तान ने कभी भी इस बात को नहीं माना कि वह उनके देश में है। यह जग जाहिर है कि दाऊद कराची में रहता है। 

वास्तव में दाऊद संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची में शामिल है जिसमें उसके घर का पता कराची दिया गया है। इस सूची में बलूचिस्तान से 161 मोस्ट वांटेड आतंकी, खैबर पख्तूनख्वा से 737, सिंध से 100, पंजाब से 122, इस्लामाबाद से 32 तथा पाक अधिकृत कश्मीर से 30 आतंकी शामिल हैं। इस सूची में एम.क्यू.एम. नेता अल्ताफ हुसैन के नाम का भी उल्लेख है जो लंदन में रहता है। इसके अलावा पाकिस्तान की विपक्षी पार्टी पी.एम.एल.एन. नेता नसीर भट्ट का नाम भी है।-प्रवीण निर्मोही

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