‘भाजपा’ में शामिल होंगे सचिन पायलट?

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2020 02:17 AM

will sachin pilot join bjp

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराने में असफल रहने के बाद सचिन पायलट के पास कोई विकल्प बाकी नहीं बचा है। इसलिए वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पहला यह कि यदि उनकी योजना अपनी पार्टी बनाने की है तब उन्हें यह देखना होगा कि राजस्थान की राजनीति

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराने में असफल रहने के बाद सचिन पायलट के पास कोई विकल्प बाकी नहीं बचा है। इसलिए वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पहला यह कि यदि उनकी योजना अपनी पार्टी बनाने की है तब उन्हें यह देखना होगा कि राजस्थान की राजनीति में तीसरी पार्टी के लिए कोई स्थान नहीं है और ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में 2 पार्टी सिस्टम ही कामयाब रहा है। 

दूसरी बात यह है कि सचिन गुर्जरों को अपनी पार्टी में ला सकते हैं मगर पिछले चुनावों में ज्यादातर गुर्जरों ने भाजपा का साथ दिया था तथा भाजपा ने भी उनसे  मुख्यमंत्री पद देने का कभी भी वायदा नहीं किया है। इसके अलावा सचिन को यह भी मालूम है कि भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कोई ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देखी है। जब तक वसुंधरा राजे सिंधिया तथा गजेन्द्र सिंह शेखावत की भाजपा में सशक्त पकड़ है तब तक  सचिन के लिए कोई मौका नहीं है। सचिन के पास कोई भविष्य नहीं मगर भाजपा में शामिल होने के अलावा उनके पास कोई विकल्प भी नहीं। 

भाजपा से नाराज गुर्जर
हरियाणा में ओमप्रकाश धनकड़ की भाजपा प्रमुख के तौर पर नियुक्ति के बाद हरियाणा के गुर्जर भाजपा हाईकमान के निर्णय से नाराज हैं। इससे पहले सांसद तथा केंद्र में राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर को राज्य भाजपा के प्रमुख पद के लिए उनका नाम सुझाया गया है मगर जाटों के दबाव के बाद जोकि हरियाणा में गैर-जाट मुख्यमंत्री होने के कारण नाराज हैं, भाजपा हाईकमान ने कृष्णपाल गुर्जर के स्थान पर एक जाट नेता धनकड़ के नाम का निर्णय किया।  राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार गुर्जर समुदाय की नाराजगी न केवल हरियाणा में बल्कि यू.पी. दिल्ली तथा राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों में भी प्रभाव डालेगी।  इसके अलावा इसका असर मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा उप चुनावों पर भी पड़ेगा जहां पर गुर्जर ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में बहुमत में हैं। 

जूनियर गहलोत युवा कांग्रेस प्रदर्शन से जुड़े
भाजपा के साथ हाथ मिलाने के कारण  उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के कैबिनेट से बाहर होने के बाद राजस्थान की कांग्रेस इकाई ने भाजपा के खिलाफ राज्य भर में शनिवार को प्रदर्शन किए। जयपुर में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खचडिय़ा ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया। वहां पर राजनीतिक समारोह में कम दिखाई देने वाले मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत नजर आए। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह उन चीजों को राजस्थान में दोहरा रही है जिसे वह कर्नाटक तथा मध्यप्रदेश में कर चुकी है। वैभव ने राजस्थान के गवर्नर के विधानसभा सत्र को बुलाए जाने से इंकार करने के लिए उनकी ङ्क्षनदा की और कहा कि यह लोकतंत्र को एक और झटका है। 

राखी के लिए सत्कार
क्योंकि यू.पी. सरकार राज्य में मॉल्स में शराब की दुकानों को खोलने का मन बना चुकी है। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। भाजपा महासचिव सरोज पांडे की राखी को लेकर चुनावों से पूर्व किए गए वायदों को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बहन सरोज पांडे आज आपका भाई भूपेश यह वायदा कर रहा है कि छत्तीसगढ़ में शराब पर पूर्ण पाबंदी लगेगी। हम इस निर्णय को लागू करने के लिए कार्य कर रहे हैं। 

आम आदमी पार्टी में अंदरुनी कलह
आम आदमी पार्टी (आप) नेता तथा विधानसभा सदस्य राघव चड्डा का पार्टी तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व मीडिया एडवाइजर ने अनादर किया है। दिल्ली असैंबली की शांति तथा सौहार्द कमेटी के चेयरमैन होने के साथ-साथ राघव के पास अन्य कई ओहदे हैं। एक पैनल ऑनलाइन द्वेषपूर्ण भाषण की शिकायतों की जांच कर रहा है। बुधवार को दिल्ली असैंबली की शांति तथा सौहार्द के लिए कमेटी की अध्यक्षता राघव चड्डा ने की। इस कमेटी ने सिख तथा जाट समुदाय से मिली उन शिकायतों को प्राप्त किया जिसमें त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लवदेव ने टिप्पणी की थी। 

बिप्लवदेव ने कहा था कि जाट तथा सिख बंगालियों से कम बुद्धिमान हैं। आप के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत तथा जरनैल सिंह ने भी देव की इस टिप्पणी का विरोध किया तथा उनके तत्काल इस्तीफे की मांग कर डाली। उन्होंने भाजपा से माफी मांगने की मांग भी की। हालांकि देव  ने मंगलवार को माफी मांग ली थी। केजरीवाल के पूर्व सहायक नगेन्द्र शर्मा ने अब कमेटी की जांच को नकार दिया है।  उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह इसके अधिकार क्षेत्र से परे है तथा पूर्णतय: समय की बर्बादी है इनको छोड़ दिल्ली के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। पार्टी के मीडिया मैनेजर ने शर्मा की उस टिप्पणी को नजरअंदाज कर दिया, जो पार्टी में अधिक अनुभवी विधायकों की कीमत पर राघव चड्ढा के उदय पर ‘आप’ के प्रति बढ़ती नाराजगी को दर्शाती थी।-राहिल नोरा चोपड़ा


 

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