क्या फिर से राजनीति में वापसी करेंगी शशिकला

Edited By ,Updated: 22 Jun, 2021 05:50 AM

will sasikala return to politics again

क्या वी.के. शशिकला जोकि किसी समय तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की निकटतम सहयोगी थीं, वापसी करेंगी? यह एक सवालिया चिन्ह है क्योंकि राज्य में राजनीति बड़ी

क्या वी.के. शशिकला जोकि किसी समय तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की निकटतम सहयोगी थीं, वापसी करेंगी? यह एक सवालिया चिन्ह है क्योंकि राज्य में राजनीति बड़ी तेजी से बदल रही है। ‘चिन्नमा’ के नाम से पुकारी जाने वाली शशिकला ने अपने पिछले चार दशकों में कई उतार-चढ़ाव देखे।

जयललिता की परछाई के तौर पर उन्होंने सत्ता का स्वाद भी चखा। वह कभी भी समझ नहीं पाईं कि वह तो केवल परछाई मात्र हैं और जयललिता नहीं हैं। उन्होंने पार्टी को अपने हाथों में लिया और लगभग 2017 में जयललिता की वारिस बन गईं मगर भाजपा ने उनकी योजनाओं को मिट्टी में मिला दिया और उन्हें चार साल कर्नाटक में जेल में बिताने पड़े। 

2017 में फरवरी माह में एक सुबह शशिकला जयललिता की समाधि पर रुकीं हालांकि इस दौरान वह बेंगलुरु जेल जाने की राह पर थीं। उन्होंने यादगारी स्थल पर 3 बार अपनी हथेली से थपथपाया और कसम खाई कि वह अपने दुश्मनों से बदला अवश्य लेंगी। अब अपनी रिहाई तथा तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में अन्नाद्रमुक के सत्ता खोने के बाद वह फिर से सक्रिय राजनीति में लौटने के लिए तैयार हैं। पार्टी कैडरों में से एक के साथ फोन पर हुई बातचीत में शशिकला ने कथित तौर पर राजनीति में वापसी की अपनी योजनाएं प्रकट कीं। 

अपने भविष्य के बारे में शशिकला कुछ संदेह वाले संकेतों को भेज रही हैं। वर्ष 2021 महत्वपूर्ण तौर से 2017 नहीं है। चार वर्षों में बहुत कुछ बदल चुका है। उनके द्वारा चुने गए नेता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम (ओ.पी.एस.) तथा ई. पलानीस्वामी (ई.पी.एस.) ने पार्टी को हथिया लिया और वे दोनों ही शशिकला की वापसी नहीं चाहते। इससे पूर्व शशिकला दोनों नेताओं के साथ अलग-अलग सत्ता की खींचातानी में फंसी रहीं। 

ई.पी.एस. और ओ.पी.एस. दोनों में झगड़ा बढ़ रहा है। विधानसभा चुनावों को हारने तथा शशिकला की वापसी की योजनाओं ने पार्टी में एक बार फिर हलचल मचा दी है। दोनों ही नेता (ई.पी.एस. और ओ.पी.एस.) विपक्ष का नेता बनने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। पलानीस्वामी ने जंग जीत ली क्योंकि ज्यादातर विधायक पश्चिम क्षेत्र से थे जहां पर उनके पास सशक्त समर्थन है। हाल ही के चुनावी घाटे में ओ.पी.एस. और ई.पी.एस. के मध्य दिखाई देते समीकरणों से शशिकला वापसी के लिए उत्साहित हैं। 

हालांकि 2027 तक वह चुनाव नहीं लड़ सकतीं मगर पार्टी प्रमुख के लिए कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है। यह भी रहस्यमय कहानी बनी हुई है कि आखिर क्यों शशिकला ने मार्च में राजनीति से संन्यास ले लिया और अब वह एक बार फिर से वापसी क्यों करना चाहती हैं? 

इसके लिए शशिकला ने एक उचित समय चुना है क्योंकि सत्ता के खोने के बाद अन्नाद्रमुक राजनीतिक उथल-पुथल में जद्दोजहद कर रही है। विशेष तौर पर ई.पी.एस. के कैडर शशिकला के सत्ता के केंद्र बिंदू में फिर से उभरने का विरोध कर रहे हैं। अन्नाद्रमुक में वापसी के लिए ई.पी.एस. शशिकला के लिए एक बहुत बड़ी बाधा हैं क्योंकि ई.पी.एस. को पार्टी में अपनी स्थिति का ही खतरा दिखाई पड़ता है। 

शशिकला तथा उनकी पार्टी के ही एक आदमी के साथ फोन वार्तालाप के वायरल हुए ऑडियो क्लिप ने भी हलचल मचाई। लीक हुए ऑडियो क्लिप में शशिकला कहती हैं कि, ‘‘हम निशिं्चत तौर पर पार्टी में जगह बनाएंगे, मैं वापसी करूंगी।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘आपको किसी प्रकार की ङ्क्षचता नहीं करनी चाहिए। निश्चत तौर पर पार्टी में हम सभी मुद्दों को सुलझा लेंगे। मैं वापस लौटूंगी और निश्चित तौर पर लौटूंगी। तुम अपना ध्यान रखो और सुरक्षित रहो।’’ अब शशिकला अपने समर्थकों को एक काफी बड़ा संकेत भेज चुकी हैं कि इंतजार करो, वह लौटेंगी। 

क्या शशिकला अपने लक्ष्य को पा लेंगी? हालांकि उम्र उनके आड़े आ रही है। जो लोग शशिकला को जानते हैं उनका कहना है कि उनके पास विकल्प हैं और वह निश्चित ही मंच पर फिर से लौटेंगी। दूसरी बाधा उनकी अपनी ही भ्रष्ट छवि है। उनका पहला प्रयास ए.एम.एम.के. जोकि उनके भतीजे टी.टी.वी. दिनाकरण की पार्टी से समझौता करने का है जो विधानसभा चुनावों में बुरी तरह से पिट गए। हालांकि शुरू में दिनाकरण ने 2017 में आर.के. नागर उपचुनावों को जीता मगर शशिकला खुद अपना स्थान राजनीति में खोज रही हैं। 

हालांकि उन्होंने अपनी सजा भुगत ली मगर अदालतों में उनके खिलाफ कई अन्य केस भी हैं। संपत्तियों को खरीदने तथा नकली करंसी के मामले में अभी भी वह उलझी हुई हैं। केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों ही उनकी दुश्मन हैं। 

चौथा, भीतरी सूत्रों के अनुसार शशिकला जल्दबाजी में नहीं क्योंकि उनका लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। तब तक वह भाजपा की ‘गुड बुक’ में आना चाहेंगी और अपने भतीजे के साथ वह पैसे का खेल खेलेंगी। इसके लिए वह अन्नाद्रमुक को बांटना चाहेंगी या अपने भतीजे की पार्टी ए.एम.एम.के. का विस्तार करना चाहेंगी। चिन्नमा का भविष्य अब अधर में लटका हुआ है और यह कई घटकों पर निर्भर करता है। तीन वर्षों का समय बड़ा ल बा है और कोई एक भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि तब क्या होगा?-कल्याणी शंकर

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