क्या एक और करुणानिधि बन पाएंगे स्टालिन

Edited By ,Updated: 11 May, 2021 04:10 AM

will stalin be able to become another karunanidhi

तमिलनाडु के सिवाय एक ही कैबिनेट में आप स्टालिन, नेहरू और गांधी को कहां खोज सकते हैं? स्वतंत्रता के एकदम बाद कई लोगों ने अपने बच्चों का नाम स्वतंत्रता सेनानियों के नामों पर रखा। पूर्व

तमिलनाडु के सिवाय एक ही कैबिनेट में आप स्टालिन, नेहरू और गांधी को कहां खोज सकते हैं? स्वतंत्रता के एकदम बाद कई लोगों ने अपने बच्चों का नाम स्वतंत्रता सेनानियों के नामों पर रखा। पूर्व द्रमुक प्रमुख तथा तमिलनाडु के पूर्व मु यमंत्री एम. करुणानिधि ने अपने तीसरे बेटे का नाम स्टालिन रखा जिसका जन्म रूसी नेता जोसफ स्टालिन की मौत के कुछ दिनों बाद हुआ था। 

दिलचस्प बात यह है कि ‘स्टालिन’ नाम ने मास्को में उस समय समस्याएं पैदा कर दीं जब द्रमुक प्रमुख ने वहां की यात्रा की। ‘‘जैसे ही मैं रशियन एयरपोर्ट पर पहुंचा तो उन्होंने मेरा नाम पूछा, जब मैंने कहा कि मेरा नाम स्टालिन है तो एयरपोर्ट पर कई लोगों ने मेरी ओर देखना शुरू कर दिया। इस बात का खुलासा स्टालिन ने एक समाचार पत्र से किया। उन्होंने आगे कहा कि जब अधिकारियों ने मेरा पासपोर्ट जांचा तो उन्होंने मुझसे अनेकों सवाल पूछे। उसके बाद मुझे अंदर जाने की अनुमति मिली। यह बात स्टालिन ने अपनी 1989 की यात्रा को लेकर कही। 

अपने पिता करुणानिधि द्वारा सिखाए गए राजनीतिक गुरों के बाद स्टालिन मुख्यमंत्रियों की वंशावली क्लब में शामिल हो गए। द्रविडि़यन पार्टियों की अपनी एक अलग पहचान होती है। यदि द्रमुक पर अन्नादुरई और करुणानिधि का प्रभाव था तो अन्नाद्रमुक की शक्ति इसके करिश्माई नेता एम.जी.आर. और जयललिता के हाथों में थी। स्टालिन बारे लोगों का यह मत था कि क्या वह करुणानिधि के बाद के काल में पार्टी का नेतृत्व कर पाएंगे या नहीं मगर उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया फिर चाहे 2019 के लोकसभा चुनाव रहे हों या 2021 के विधानसभा चुनाव। 

फोर्ट सेंट जॉर्ज के ऊपर शासन करने के लिए स्टालिन ने पांच दशकों का इंतजार किया। स्टालिन पर उनके पिता की छाया रही। करुणानिधि ने स्टालिन को बड़े ध्यानपूर्वक संभाला और अपने 2009 से लेकर 2011 तक के कार्यकाल के दौरान उन्हें उपमु यमंत्री बनाया। स्टालिन ने आहिस्ता-आहिस्ता पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। हालांकि तब करुणानिधि जिंदा थे। 2021 के चुनावों में भाग्य पलट गया। उनकी कड़ी मेहनत ने यह पद प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई। 

अब आगे स्टालिन की क्या चुनौतियां हैं? उन्होंने 500 लोकप्रिय वायदे किए, अब पब्लिक उन्हें पूरा करने की उनसे आशा रखती है। इन वायदों में घरेलू महिला प्रमुख के लिए हजार रुपए की बेसिक आय भी शामिल है। इसके अलावा छात्रों के लिए शिक्षा लोन को खत्म करना और विधवाओं को 1500 रुपए पैंशन देना भी शामिल है। 50 वर्ष की ऊपर की आयु की सिंगल महिलाओं के लिए कई अन्य लोक-लुभावन स्कीमें भी शामिल हैं। नई सरकार को जमीनी स्तर की हकीकतों को जानना होगा और ऐसी सभी स्कीमों के लिए धन जुटाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। 

दूसरी चुनौती यह है कि स्टालिन ने बढ़ रही महामारी के मध्य अपना चार्ज संभाला है। हालांकि उनके पूर्ववर्ती पलानीस्वामी ने महामारी से निपटने के लिए इतने बुरे कार्य भी नहीं किए मगर स्टालिन के समक्ष एक बड़ी चुनौती है। सौभाग्यवश तमिलनाडु के पास कुशल नौकरशाह हैं जो शासन चलाने में उनकी मदद कर सकते हैं। कोविड-19 मामलों पर निगाह रखते हुए और अपने आपको तीसरी लहर के लिए तैयार करने हेतु स्टालिन को और चुनौतियां झेलनी होंगी जिनमें वैक्सीनेशन मुहिम को लागू करना भी  शामिल है।

राज्य में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और वैक्सीन,  ऑक्सीजन और अस्पताल बैंडों की भारी किल्लत है। राज्य की वित्तीय हालत भी एक समस्या है। मार्च 2021 में राज्य का ऋण 5.7 लाख करोड़ पर खड़ा है। फरवरी में पूर्व मु यमंत्री पलानीस्वामी ने वित्तीय घाटे वाला एक अंतरिम बजट पेश किया था। आर्थिक ढलान पर कर संग्रह भी कम हुआ है। 

पार्टी ने स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण देने का वायदा किया है और इसके अलावा अगले 5 वर्षों में प्रतिवर्ष 10 लाख नौकरियां देने का वायदा भी मतदाताओं से किया है। मनरेगा के कार्य दिनों को 100 से 150 तक बढ़ाने का भी वायदा स्टालिन ने किया है। शिक्षा क्षेत्र को लेकर भी कई चुनौतियां हैं। कोविड-19 महामारी ने स्कूलों तथा कालेजों को ऑनलाइन क्लासें चलाने के लिए बाध्य किया है। ज्यादातर स्कूल और कालेज बंद पड़े हैं और यहां पर एन.ई.ई.टी. परीक्षा के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। शिक्षा पर भी ध्यान देना बेहद अहम है। 

केंद्र के साथ तालमेल रखना भी चुनौती से कम नहीं। हिन्दी थोपने के खिलाफ हालांकि स्टालिन ने अपना नेतृत्व दिखाया है। आॢटकल 370 और सी.ए.ए. को लेकर स्टालिन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वे केंद्र के साथ भिडऩा नहीं चाहते। स्टालिन के समक्ष अगली चुनौती 8 दलों के गठबंधन को आपस में जोडऩे की है। स्टालिन गठबंधन के नेता के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। अगले चुनावों तक सभी गठबंधन सहयोगियों को एक धागे में पिरोकर रखना भी एक चुनौती है। स्टालिन को पारिवारिक समस्याओं से भी उभरना है। स्टालिन उद्यानिधि को पार्टी में आगे बढ़ाना चाहते हैं। अपने पिता की मौत के बाद द्रमुक ने स्टालिन को सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति माना है। 

उनके पास वर्षों का अनुभव है फिर चाहे राजनीति हो या प्रशासन। 1996 में वह चेन्नई के मेयर रहे, 2006 में स्थानीय प्रशासन के लिए मंत्री, 2009 से लेकर 11 तक उपमु यमंत्री भी रहे। उन्होंने राष्ट्रीय दलों के साथ भी अपने मधुर संबंध बनाए मगर एक और करुणानिधि बनने के लिए स्टालिन को लंबा रास्ता तय करना होगा।-कल्याणी शंकर
  

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