आक्रोश के आवेग में उफनती युवा पीढ़ी

Edited By ,Updated: 26 Jun, 2022 05:55 AM

young generation booming in the impulse of resentment

नवीनीकरण के उल्लास में न चाहते हुए भी बहुत-सी जटिलताएं अपने कुछ विरूपित रूपों सहित समाज में बलपूर्वक स्थान बनाने लगी हैं। अभूतपूर्व सफलताओं की चाह अनजाने ही जीवन में

नवीनीकरण के उल्लास में न चाहते हुए भी बहुत-सी जटिलताएं अपने कुछ विरूपित रूपों सहित समाज में बलपूर्वक स्थान बनाने लगी हैं। अभूतपूर्व सफलताओं की चाह अनजाने ही जीवन में तनाव ले आई, जो दिमागी असंतुलन का सबब बनने लगा। बदलती जीवनशैली के संदर्भ में आत्मसंतुष्टि को देखा जाए तो भौतिकतावाद की अपेक्षाओं में अवसाद, आक्रोश व अधीरता तुलनात्मक स्तर पर कहीं अधिक बढ़ चुकी है। 

इसमें दोराय नहीं कि तकनीकी विकास व आधुनिकीकरण ने घर-परिवार के मायने भी बदल कर रख दिए हैं। बाल विकास पर इसका विशेष प्रभाव पड़ा है। बचपन की मासूमियत तथा किशोरावस्था के अल्हड़पन में विलासिता एवं आक्रामकता दिखने लगी है। गत दिनों एक सिरफिरे युवा द्वारा टैक्सास में अंजाम दी गई बर्बर घटना ने समूचे विश्व को स्तब्ध कर डाला। भयावहता के ऐसे अनेक उदाहरण आज वैश्विक समाज के समक्ष यक्ष प्रश्न बन कर उभर रहे हैं। 

मनोचिकित्सकों के अनुसार, अकस्मात आवेग का अनियंत्रित स्तर आमतौर पर उन लोगों में अधिक देखने को मिलता है, जिनमें खुश रहने की प्रवृत्ति नहीं होती अथवा किसी कारणवश जिन्हें प्रसन्न रहने का अवसर नहीं मिल पाता। उनकी मस्तिष्क कोशिकाएं क्रोध के प्रति इतनी संवेदनशील हो जाती हैं कि जरा-सी बात पर सक्रियता की संभावना बनी रहती है। सामने वाला सोच भी नहीं पाता कि आकस्मिक उपजा यह आवेश उसके लिए जानलेवा तक साबित हो सकता है। 

बच्चों में क्रोध की प्रवृत्ति आयु के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। वर्ष 2014 में ‘इंडियन जर्नल साइकोलॉजिकल मैडिसन’ में प्रकाशित एक अनुसंधान के अनुसार, लड़कों में लड़कियों के मुकाबले अधिक गुस्सा देखने को मिलता है। ‘क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ऑफ इंडिया’ के आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा दौर में भारत का नाम भी उन देशों में शुमार होने लगा है, जहां लोगों का मामूली बात पर भड़क जाना आम दिखने में आता है। प्रतिवर्ष 30-32 फीसदी हत्याएं इसी अनियंत्रित क्रोध का ही परिणाम होती हैं। 

बच्चों की गुस्सैल प्रवृत्ति के पीछे मोबाइल, लैपटॉप आदि आधुनिक गैजेट्स की मुख्य भूमिका है, जिन्हें मनोरंजन के नाम पर माता-पिता स्वयं उनके हाथ में थमा देते हैं। जीतने की होड़ में काल्पनिक प्रतिद्वंद्वी को मारने का सिलसिला कब बढ़ती उम्र के साथ बच्चे के असामान्य व्यवहार का अभिन्न भाग बन जाता है, पता चलने तक बहुत देर हो चुकी होती है। 

निस्संदेह, गेम की यह लत शारीरिक तथा मानसिक क्षमता को प्रभावित करने के साथ कई बार भयावह परिस्थितियों की निर्माता भी बन जाती है। हालिया उदाहरणों में लखनऊ के एक किशोर ने बड़ी बेरहमी से अपनी मां को मार डाला, क्योंकि वह उसे ‘पबजी गेम’ खेलने से रोकती थी। आंध्र प्रदेश में एक किशोर ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उपरोक्त गेम में हारने पर तथाकथित मित्रमंडली ने उसका मजाक उड़ाया था। 

पारिवारिक वातावरण का बच्चे के स्वभाव पर सीधा असर पड़ता है। माता-पिता के तनावपूर्ण संबंध, बच्चे के प्रति दुव्र्यवहार आदि बालमन को विशेष रूप से प्रभावित करते हैं और प्रवृत्ति के रूप में जड़ें जमाने लगते हैं। अभिभावकों की अति व्यस्तता एवं संयुक्त परिवारों के विघटन से उपजा एकाकीपन भी कोमल हृदयों के लिए प्रतिकूलताएं लेकर आता है। विशेषत: 11 से 16 वर्ष की आयु के नाजुक दौर के मध्य यदि अभिभावकों द्वारा संतान पर समुचित ध्यान केंद्रित न किया जाए तो भविष्य में परिस्थितियों को दोष देना निरर्थक होगा। उन्हें अधिक से अधिक समय देना व प्रकृति तथा समाज से जोड़े रखना नितांत आवश्यक है। 

योग, खेल-कूद, मैडीटेशन, संगीत-साधना आदि सार्थक क्रियाओं द्वारा रासायनिक स्रावों को सकारात्मक दृष्टि से संतुलित बनाए रखना काफी हद तक संभव है। युवा राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं, आवश्यकता है तो केवल उनके उचित मार्गदर्शन की। अभिभावकों, शिक्षकों तथा समाज की यथोचित भूमिका निर्वहन के साथ ही सरकारों का भी यह सर्वोपरि दायित्व बनता है कि अमानुषिक व्यवहार को बढ़ावा देने वाले तकनीकी प्रसार पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करें। युवा पीढ़ी के बलिष्ठ कंधों पर आने वाले कल की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। लेकिन कत्र्तव्य निर्वाह तभी संभव होगा, जब भावी राष्ट्र प्रणेता मानसिक, बौद्घिक तथा शारीरिक आधार पर पूर्णत: संतुलित एवं स्वस्थ हों। अत: अत्यावश्यक है कि बहुआयामी विकास प्रक्रिया में व्यावहारिक तौर पर मानवीय व्यवहार एवं संवेदनाओं को भी प्राथमिक श्रेणी में रखा जाए।-दीपिका अरोड़ा
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!