भारत की 73 प्रतिशत संपत्ति पर 1 प्रतिशत अमीरों का कब्जा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 05:32 AM

1  of indians own possession on 73  of property

भारत की कुल संपत्ति के 73 प्रतिशत हिस्से पर देश के 1 प्रतिशत अमीरों का कब्जा है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश में आय के मामले में असमानता बढ़ती जा रही है। देश के मध्यम-निम्र वर्ग की 1 प्रतिशत तो अमीरों की 13 प्रतिशत की दर से दौलत बढ़ रही है। यानी...

दावोस: भारत की कुल संपत्ति के 73 प्रतिशत हिस्से पर देश के 1 प्रतिशत अमीरों का कब्जा है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश में आय के मामले में असमानता बढ़ती जा रही है। देश के मध्यम-निम्र वर्ग की 1 प्रतिशत तो अमीरों की 13 प्रतिशत की दर से दौलत बढ़ रही है। यानी अमीर और अमीर होते जा रहे हैं। यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय राइट्स समूह ऑक्सफेम के एक सर्वे से सामने आई। 

सर्वे के मुताबिक देश की कुल आबादी में से 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में केवल 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल के ऑक्सफेम सर्वे से यह खुलासा हुआ था कि देश के महज 1 प्रतिशत अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का 58 प्रतिशत हिस्सा है। पिछले साल पूरी दुनिया में सृजित कुल संपत्ति का 82 प्रतिशत हिस्सा दुनिया के सिर्फ  एक प्रतिशत अमीरों के पास है, जबकि 3.7 अरब लोगों की संपत्ति न के बराबर बढ़ी है। सर्वे के अनुसार वर्ष 2017 के दौरान भारत के एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति में 20.9 लाख करोड़ रुपए की बढ़ौतरी हुई है। यह राशि वर्ष 2017-18 के केन्द्र सरकार के कुल बजट के बराबर है। 

अमीरों के हाथों में सिमट रही है संपत्ति 
ऑक्सफेम ने कहा कि रिपोर्ट रिवॉर्ड वर्क नॉट वैल्थ दर्शाती है कि कैसे ग्लोबल इकोनॉमी अमीरों को एक बड़ी संपत्ति का मालिक बना रही है, जबकि बाकी के करोड़ों लोग गरीबी से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आगे कहा गया कि 2017 में हर 2 दिन पर एक आदमी के अमीर बनने की दर से अमीरों की संख्या में तेज इजाफा देखा गया। उनकी संपत्ति 2010 के बाद से औसतन 13 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ी है। यह किसी सामान्य वर्कर के वेतन में होने वाली वृद्धि से 6 गुना ज्यादा की तेजी है। एक सामान्य वर्कर के वेतन में बढ़ौतरी का सालाना औसत केवल 2 प्रतिशत रहा है। 

हर किसी को फायदा पहुंचाने वाली बने इंडियन इकोनॉमी 
ऑक्सफेम इंडिया ने भारत सरकार से अपील की कि देश की इकोनॉमी हर किसी को फायदा पहुंचाने वाली बने न कि केवल कुछ लोगों को। यह भी अपील की गई कि भारत लेबर की बहुतायत वाले सैक्टर्स को प्रोत्साहन, कृषि में इन्वैस्टमैंट और सामाजिक सुरक्षा स्कीमों को प्रभावी तरीके से लागू करते हुए तेज ग्रोथ को प्रमोट करे। ऑक्सफेम ने यह भी मांग की है कि कर चोरी को लेकर सरकार कड़े उपाय करे। 

अमीरों की बढ़ती संख्या असफल इकोनॉमिक सिस्टम का सूचक 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत के अमीरो में से 37 प्रतिशत को दौलत विरासत में मिली है। उनके पास देश के अरबपतियों की कुल दौलत का 51 प्रतिशत हिस्सा है। ऑक्सफेम इंडिया की सी.ई.ओ. निशा अग्रवाल ने कहा कि यह चेतावनीजनक स्थिति है कि भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ का फायदा केवल कुछ लोगों को ही मिल पा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में अमीरों की बढ़ती संख्या संपन्न इकोनॉमी का नहीं, बल्कि एक असफल इकोनॉमिक सिस्टम का सूचक है। जो लोग कड़ी मेहनत कर रहे हैं, देश के लिए अन्न उगा रहे हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहे हैं, फैक्टरियों में काम कर रहे हैं, वे अपने बच्चों की शिक्षा, परिवार के सदस्यों के लिए दवाएं खरीदने और दिन में दो बार का खाना जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आय के मोर्चे पर बढ़ती खाई लोकतंत्र को कमजोर करती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। 

‘समावेशी वृद्धि सूचकांक’ में भारत पाकिस्तान से भी नीचे
समावेशी वृद्धि सूचकांक में भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 62वें स्थान पर है। इस मामले में भारत चीन (26वां) और पाकिस्तान (47वां) से भी पीछे है। डब्ल्यू.ई.एफ.) ने आज अपनी सालाना शिखर बैठक शुरू होने से पहले यह सूची जारी की। नॉर्वे दुनिया की सबसे समावेशी आधुनिक विकसित अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वहीं लिथुआनिया उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर है। डब्ल्यू.ई.एफ. की वार्षिक शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित दुनिया के कई शीर्ष नेता भाग ले रहे हैं। डब्ल्यू.ई.एफ. ने कहा कि इस सूचकांक में रहन- सहन का स्तर, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊपन और भविष्य की पीढिय़ों को और कर्ज के बोझ से संरक्षण आदि पहलुओं को शामिल किया जाता है।

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