Edited By Supreet Kaur,Updated: 06 Jul, 2018 12:44 PM
एक तरफ जहां भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनावी वायदे ‘सभी के लिए घर’ को पूरा करने के लिए जोर-शोर से काम कर रही है वहीं पूरे देश में करीब 1.64 लाख सस्ती लागत वाले घर खाली पड़े हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार वाला...
नई दिल्लीः एक तरफ जहां भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनावी वायदे ‘सभी के लिए घर’ को पूरा करने के लिए जोर-शोर से काम कर रही है वहीं पूरे देश में करीब 1.64 लाख सस्ती लागत वाले घर खाली पड़े हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार वाला दिल्ली खाली घरों की सूची में सबसे ऊपर है।
सर्वोच्च 5 राज्यों में दिल्ली में 36,623 घर, महाराष्ट्र में 35,517, तेलंगाना में 18,086 और 10,863 घरों के साथ उत्तर प्रदेश शामिल है। इन 5 राज्यों का प्रतिशत पूरे देश के खाली घरों के मुकाबले 70 फीसदी बनता है। पूर्व यू.पी.ए. सरकार की तरफ से खाली सस्ते घरों को बेचने में अभी मौजूदा मोदी सरकार संघर्ष कर रही है। ये वे घर हैं जो अलग-अलग आवास योजनाओं जैसे जवाहरलाल नेहरू नैशनल अर्बन रिन्यूएबल मिशन (जे.एन.एन.यू.आर.एन.) और राजीव आवास योजना (आर.ए.वाई.) के अंतर्गत बनाए गए हैं। इसके बाद मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जून 2015 ‘सभी के लिए घर’ मिशन शुरू किया गया और फिर सभी योजनाओं को प्रधानमंत्री आवास योजना (पी.एम.ए.वाई.) में शामिल करके 4 स्तरों में 2 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा गया।
घर और शहरी मामलों के मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों से अनुसार मई 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी उस समय करीब 2.5 लाख घर खाली थे। सस्ते घरों के खाली रहने के मुख्य कारण प्रोजैक्ट के रिहायशी इलाकों से बहुत ज्यादा दूरी, कारोबारी संस्थानों से दूरी है। ज्यादातर प्रोजैक्ट यू.पी.ए. सरकार के सत्ता में बाहर होने के बाद भी अधूरे हैं।