1.71 लाख हेल्थ क्लेम अटके, बीमा कंपनियों ने नहीं किया 6,649 करोड़ के दावों का भुगतान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 May, 2021 01:34 PM

1 71 lakh health claims stuck insurance companies did not pay

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और बीमा नियामक इरडा के सख्त निर्देशों के बावजूद बीमा कंपनियां कोरोना इलाज के खर्चों का भुगतान नहीं कर रही हैं। अस्पतालों की ओर से भेजे गए 1.71 लाख दावे बीमा कंपनियों के पास अटके पड़े हैं।

बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और बीमा नियामक इरडा के सख्त निर्देशों के बावजूद बीमा कंपनियां कोरोना इलाज के खर्चों का भुगतान नहीं कर रही हैं। अस्पतालों की ओर से भेजे गए 1.71 लाख दावे बीमा कंपनियों के पास अटके पड़े हैं। एक ओर जहां रेगुलेटर जल्द से जल्द बीमा के दावों को पास करने की बात कह रहा है, वहीं इस तरह के मामले से लोग परेशान हैं। कुल 6,649 करोड़ रुपए के दावे किए गए हैं।

11 लाख दावे बीमा कंपनियों को मिले
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) के आंकड़ों के मुताबिक, मे़डिकल खर्च से संबंधित कुल 1.71 लाख हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के तहत 6,649 करोड़ रुपए के दावे किए गए हैं। यह दावे बीमा कंपनियों के पास अभी तक मंजूर नहीं हो पाए हैं। 28 अप्रैल तक कुल 11 लाख कोविड-19 के दावे बीमा कंपनियों के पास किए गए। इसमें से 9 लाख 30 हजार 729 दावों को सेटल किया गया। इनकी कुल रकम 8,918.57 करोड़ रुपए थी।

दावों के पेमेंट में हो रही है देरी
कुछ बीमा कंपनियों ने बताया कि दावों के पेमेंट में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि अस्पतालों ने जो बिल बनाया है, वह उनके मुताबिक नहीं है। उसमें ढेर सारे चार्जेस ऐसे लगाए गए हैं, जो कि बीमा के क्लेम में नहीं आते हैं। बीमा कंपनियों का कहना है कि कोरोना में अस्पताल मनमाने चार्ज लगा रहे हैं। इसमें वे अस्पतालों की साफ-सफाई का भी चार्ज लगा रहे हैं, जो कि बीमा के दायरे में नहीं आता है।

नेटवर्क में जो अस्पताल नहीं हैं, वहां कैशलेस की दिक्कत है
साथ ही जो अस्पताल बीमा कंपनियों के नेटवर्क में नहीं हैं, वहां पर कैशलेस की सुविधा नहीं है। ऐसे अस्पतालों में मरीज को पहले पैसा देना होता है, फिर वह बीमा कंपनी से उसे लेता है। देश भर में ऐसे ज्यादा अस्पताल हैं, जो बीमा कंपनियों के नेटवर्क में नहीं है। बीमा कंपनियों के नेटवर्क में बड़े अस्पताल हैं जो कि कोरोना के मरीजों से पूरी तरह से भरे हैं और उनमें जगह नहीं है। इसलिए मरीजों को छोटे अस्पतालों में जाना पड़ रहा है।

इरडा दे चुका है जल्द अप्रूवल कर निर्देश 
बीमा नियामक ने पिछले दिनों कंपनियों को निर्देश दिया था कि कैशलेस इलाज के अप्रूवल को एक घंटे के भीतर मंजूरी मिल जानी चाहिए। बीमा कंपनियों का कहना है कि हमारी तरफ से तय राशि का अप्रूवल भेज दिया जाता है लेकिन अस्पतालों ने अपनी ओर से कोविड-19 इलाज का खर्च बढ़ा दिया है। इस प्रकार सेटलमेंट में दिक्कतें आ रही हैं।

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