Edited By Pardeep,Updated: 11 Sep, 2019 09:42 PM
मुखौटा कंपनियों के जरिये होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, हांगकांग, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर और मॉरीशस जैसी दस छोटी अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार कर चोरी के...
नई दिल्लीः मुखौटा कंपनियों के जरिये होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, हांगकांग, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर और मॉरीशस जैसी दस छोटी अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार कर चोरी के लिए मुखौटा कंपनियों के जरिए होने वाले एफडीआई यानी ‘फैंटम' प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 85 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी इन्हीं देशों की है। कर चोरी के मकसद से बनायी गयी बिना कारोबारी गतिविधियों वाली मुखौटा कंपनियों के जरिए किए जाने वाले एफडीआई को फैंटम एफडीआई कहा जाता है।
रिपोर्ट तैयार करने वाले जैनिक डैमगार्ड, थॉमस एल्काजेर और नील्स जोहानसन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर ‘फैंटम' एफडीआई का आकार 15 हजार अरब डॉलर है, जो चीन और जर्मनी के सम्मिलित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर है। कर चोरी को रोकने के अंतरराष्ट्रीय उपायों के बाद भी ‘फैंटम' एफडीआई लगातार बढ़ रहा है और वास्तविक एफडीआई को पीछे छोड़ दे रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि एक दशक से भी कम समय में वैश्विक एफडीआई में फैंटम एफडीआई की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है। एफडीआई के लिए यह वृद्धि अनोखी है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, महज छह लाख आबादी वाले देश लक्जमबर्ग से अमेरिका के बराबर तथा चीन से बहुत अधिक एफडीआई आता है। लक्जमबर्ग से चार हजार अरब डॉलर का एफडीआई हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार ‘फैंटम' एफडीआई में लक्जमबर्ग और नीदरलैंड की लगभग आधी हिस्सेदारी है। यदि इनके साथ हांगकांग, ब्रिटिश वर्जन आइलैंड, बरमुडा, सिंगापुर, केमैन आईलैंड, स्विट्जरलैंड, आसरलैंड और मॉरीशस को सूची में जोड़ लिया जाये तो कुल ‘फैंटम' एफडीआई में इनकी 85 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जाएगी।