100 रुपए के इन नोटों की वजह से देश में हो सकती है कैश की किल्लत!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 May, 2018 02:38 PM

100 rupees due to these notes the cash in the country can happen

कैश की कमी के चलते कई राज्यों में 100 रुपए के पुराने और मटमैले नोटों की वजह से संकट और गहरा सकता है। बैंकर्स का कहना है कि 200 और 2000 रुपए के नोटों की तरह 100 रुपए मूल्य के नोटों, खासकर जो ए.टी.एम. कैसेट में फिट हो सकें,

नई दिल्ली: कैश की कमी के चलते कई राज्यों में 100 रुपए के पुराने और मटमैले नोटों की वजह से संकट और गहरा सकता है। बैंकर्स का कहना है कि 200 और 2000 रुपए के नोटों की तरह 100 रुपए मूल्य के नोटों, खासकर जो ए.टी.एम. कैसेट में फिट हो सकें, की सप्लाई भी कम है। उन्होंने कहा, 'ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि 100 रुपए के उपलब्ध अधिकतर नोट मटमैले और ए.टी.एम. में डालने लायक नहीं हैं।

बैंकों ने RBI से किया आग्रह
बैंकर्स ने भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) से इस समस्या पर तुरंत ध्यान देने का आग्रह किया है। एक पब्लिक सेक्टर बैंक के करंसी मैनेजर ने कहा, 'आर.बी.आई. 100 रुपए के नए नोट तेजी से लाए नहीं तो 500 रुपए के नोटों पर आने वाले दिनों में अत्यधिक दबाव होगा।' 

नोटबंदी के तुरंत बाद आर.बी.आई. ने 100 रुपए के नोटों की सप्लाई को बड़ी मात्रा में बढ़ाया था। 2016-17 में (नोटबंदी से पहले) 100 रुपए के 550 करोड़ पीस नोट चलन में थे और आर.बी.आई. ने इसे बढ़ाकर 573.8 करोड़ कर दिया। हालांकि, बैंकर्स कहते हैं कि यह पर्याप्त नहीं था क्योंकि 100 रुपए के नोटों का इस्तेमाल 2000 रुपए के नोटों के चेंज के रूप में हुआ (जब 500 रुपए के नोट आसानी से उपलब्ध नहीं थे)। 

आर.बी.आई. ने कहा कि 2015-16 में मांग के मुकाबले 44 करोड़ पीस कम सप्लाई की गई थी। 2017-18 के लिए डेटा अगस्त में उपलब्ध होगा। 

मटमैले नोट का इस्तेमाल बढ़ा
बैंकर्स के मुताबिक, नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत को दूर करने के लिए 100 रुपए के मटमैले नोट का इस्तेमाल ज्यादा हुआ। उसके बाद से सिस्टम में यह नोट उपलब्ध हैं। अब बैंकों के लिए इन नोटों को संभालना भारी हो रहा है क्योंकि, इन्हें बाजार में जारी करना और ए.टी.एम. में डालना दोनों की मुश्किल है। इसके अलावा, पिछले दो साल में 100 के नोट का डिस्पोजल करीब आधा हो गया है।

मटमैले नोटों का बड़ा हिस्सा मौजूद
आर.बी.आई. के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में 100 रुपए के 258.6 करोड़ पीस ही डिस्पोज किए गए। जबकि उससे पहले दो वित्त वर्ष में 510 करोड़ पीस से ज्यादा डिस्पोज किए गए थे। मतलब यह कि बाजार और चलन में मौजूद करेंसी में 100 रुपए के नोट का हिस्सा 10 फीसदी से बढ़कर 19.3 फीसदी हो गया। इनमें मटमैले नोट शामिल हैं।

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