पूरी दुनिया पर 164 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज, मंडरा रहा मंदी का खतरा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Apr, 2018 07:10 PM

164 trillion dollars all over the world hitting the threat of recession

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि दुनिभार में सार्वजनिक और निजी कर्ज काफी तेजी से बढ़ रहा है, उससे वैश्विक मंदी का खतरा मंडराने लगा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक वैश्विक कर्ज बढ़कर 164 ट्रिलियन डॉलर यानी

नई दिल्लीः अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि दुनिभार में सार्वजनिक और निजी कर्ज काफी तेजी से बढ़ रहा है, उससे वैश्विक मंदी का खतरा मंडराने लगा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक वैश्विक कर्ज बढ़कर 164 ट्रिलियन डॉलर यानी 164 लाख करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच चुका है। अगर इस कर्ज को भारतीय मुद्रा में बदले तो यह करीब 10,66,000000 करोड़ रुपए (करीब 10,660 लाख करोड़ रुपए) है। 

बढ़ता हुआ कर्ज वैश्विक मंदी का सबब
इसको लेकर IMF ने चेतावनी दी है कि अगर इसे जल्दी ही उतारा नहीं गया तो ट्रेंड को इतना खतरा होगा कि तमाम देशों को अपना कर्जा चुकाने में मुश्किल आ सकती है। इससे होने वाली मंदी से निपटने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ता हुआ कर्ज वैश्विक मंदी का सबब बन सकता है।

अमेरिका भी हुआ था दिवालिया
IMF हर 6 महीने में एक फिस्कल मॉनिटर रिपोर्ट जारी करता है इसी रिपोर्ट के आधार पर मुद्रा कोष ने ये चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016 में ग्लोबल पब्लिक और प्राइवेट कर्ज बढ़ते हुए अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है और ये दुनिया की जी.डी.पी. का 225 फीसदी है। इससे पहले साल 2009 में वैश्विक कर्ज अपने उच्च स्तर पर था, जिसके कारण उस दौरान अमेरिका भी दिवालिया हो गया। हालांकि भारत उस दौरान दिवालिया होने से बच गया था।

पब्‍लि‍क और प्राइवेट कर्ज का हाई लेवल बना जोखि‍म
मुद्रा कोष के फिस्कल अफेयर्स डिपार्टमेंट के प्रमुख विटोर गैस्पर ने कहा कि 164 ट्रिलियन का आंकड़ा एक बहुत ही विशाल संख्या होती है। जब हम आसान जोखिमों की बात करते हैं उनमें से एक बड़ा जोखिम पब्लिक और प्राइवेट कर्ज का उच्च स्तर है। दुनिया में निजी कर्ज बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है खासकर चीन में। दुनियाभर के कुल निजी खर्च का करीब 3 चौथाई हिस्सा तो सिर्फ चीन का है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत ज्यादा कर्ज से देशों के खर्च बढ़ाने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ेगा।

मुद्रा कोष से देशों से अपने फिस्कल डेफिसिट को लेकर निर्णायक कदम उठाने का सुझाव दिया है। कोष ने अमेरिका से गुजारिश की है कि वह अपनी फिस्कल पॉलिसी को फिर से तय करे। अमेरिका का फिस्कल डेफिसिट जिस गति से बढ़ रहा है, उस हिसाब से वह 2020 में 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। IMF के मुताबिक कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कुल कर्ज और जी.डी.पी. का अनुपात खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।

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