Edited By Supreet Kaur,Updated: 08 Oct, 2018 11:50 AM
सरकार की सूची से 18 लाख निदेशकों को हटा दिया गया है, क्योंकि वे अपने ग्राहकों को जाने (केवाईसी) मानक का अनुपालन करने में असफल रहे हैं। इसका मतलह यह हुआ कि इन निदेशकों का डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) निष्क्रिय कर दिया गया है। बहरहाल हटाए...
नई दिल्लीः सरकार की सूची से 18 लाख निदेशकों को हटा दिया गया है, क्योंकि वे अपने ग्राहकों को जाने (केवाईसी) मानक का अनुपालन करने में असफल रहे हैं। इसका मतलह यह हुआ कि इन निदेशकों का डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) निष्क्रिय कर दिया गया है। बहरहाल हटाए गए निदेशक सरकार को जुर्माना जमा कर अपने केवाईसी अद्यतन करा सकते हैं और अपना डीआईएन फिर से सक्रिय करा सकते हैं।
कंपनी के बोर्ड में शामिल निदेशक, जिन्होंने फिर से डीआईएन सक्रिय कराए हैं, उनके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि भविष्य में एेसी चूक होती है तो एेसे निदेशकों पर प्रतिबंध लग सकता है और सभी कंपनियों के निदेशक मंडल को इस अनुपालन को गंभीरता से लेना होगा। कुल 32 लाख निदेशकों में शेष में अपने केवाईसी अद्यतन करा दिए हैं। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (एमसीए) ने 15 सितंबर तक केवाईसी की फॉर्मेल्टी पूरी करने के डेडलाइन तय की थी। लेकिन तब तक सिर्फ 21 लाख निदेशकों ने एेसा नहीं किया।
सरकार ने बढ़ाई 3 अक्टूबर तक बढ़ाई तिथि
मिनिस्ट्री को शिकायत मिली है कि निदेशक मंत्रालय के पोर्टल एमसीए 21 पर अनुपालन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि यह ठीक से काम नहीं कर रहा है। इस मसले पर कंपनी मामलों के सचिव इंजेति श्रीनिवास को कई अभ्योवेदन प्राप्त हुए। कुछ मेल केरल से मिले जहां निदेशकों ने कहा कि बाढ़ की वजह से वह राज्यों से बाहर थे। 18 सितंबर को कंपनी मामलों के मंत्रालय ने केवाईसी अनुपालन की तिथि बढ़ाकर 3 अक्टूबर कर दी थी। इसका मतलब यह हुआ कि सिर्फ 3 लाख निदेशक ही बढ़ी हुई अवधि के दौरान अपनी जांच पूरी करने में सफल हुए।