RBI ने RTI के तहत दी जानकारीः मर्जर से 2,118 बैंक की शाखाओं का वजूद खत्म, चेक करें लिस्ट

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 May, 2021 04:02 PM

2 118 bank branches closed till now after mahavilaya check list

भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत बताया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 सरकारी बैंकों की कुल 2,118 बैंकिंग शाखाएं या तो हमेशा के लिए बंद कर दी गई या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में मिला दिया गया है। नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़...

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत बताया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 सरकारी बैंकों की कुल 2,118 बैंकिंग शाखाएं या तो हमेशा के लिए बंद कर दी गई या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में मिला दिया गया है। नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को बताया कि रिजर्व बैंक ने उन्हें सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी दी है। 

इस जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में शाखा बंदी या विलय की प्रक्रिया से बैंक ऑफ बड़ौदा की सर्वाधिक 1,283 शाखाओं का वजूद खत्म हो गया। इस प्रक्रिया से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 332, पंजाब नेशनल बैंक की 169, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 124, केनरा बैंक की 107, इंडियन ओवरसीज बैंक की 53, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की 43, इंडियन बैंक की 5 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र एवं पंजाब एंड सिंध बैंक की एक-एक शाखा बंद हुई। 

BoI और यूको बैंक की बंद नहीं हुई कोई शाखा
इस ब्योरे में स्पष्ट नहीं किया गया है कि आलोच्य अवधि के दौरान इन बैंकों की कितनी शाखाएं हमेशा के लिए बंद कर दी गईं और कितनी शाखाओं को दूसरी शाखाओं में मिला दिया गया। रिजर्व बैंक ने आरटीआई के तहत बताया कि 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक की कोई भी शाखा बंद नहीं हुई। 

आरटीआई के तहत दिए जवाब में संबंधित 10 सरकारी बैंकों की शाखाओं के बंद होने या इन्हें अन्य शाखाओं में मिलाए जाने का कोई कारण नहीं बताया गया है लेकिन सरकारी बैंकों के महाविलय की योजना के एक अप्रैल 2020 से लागू होने के बाद शाखाओं की संख्या को युक्तिसंगत बनाना इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। 

गौरतलब है कि सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें चार बड़े बैंकों में तब्दील कर दिया था। इसके बाद अब सरकारी बैंकों की तादाद घटकर 12 रह गई है। महाविलय के तहत एक अप्रैल 2020 से ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिला दिया गया था। 

AIBEA के महासचिव ने क्या कहा
इस बीच, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि सरकारी बैंकों की शाखाएं घटना भारत के बैंकिग उद्योग के साथ ही घरेलू अर्थव्यवस्था के हित में भी नहीं है तथा बड़ी आबादी के मद्देनजर देश को बैंक शाखाओं के विस्तार की जरूरत है। वेंकटचलम ने कहा, "सरकारी बैंकों की शाखाएं घटने से बैंकिंग उद्योग में नए रोजगारों में भी लगातार कटौती हो रही है जिससे कई युवा मायूस हैं। पिछले तीन साल में सरकारी बैंकों में नई भर्तियों में भारी कमी आई है।" दूसरी तरफ, अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के सरकारी कदम को सही ठहराते हैं। उन्होंने कहा, "देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हमें छोटे आकार के कमजोर सरकारी बैंकों के बजाए बड़े आकार के मजबूत सरकारी बैंकों की जरूरत है।" 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!