रेरा के 2 साल: होम बायर्स के काम नहीं आ रहा कानून, रिपोर्ट में खुलासा

Edited By Supreet Kaur,Updated: 27 Apr, 2018 10:30 AM

2 years of rera home byers not gained by law

बिल्डर्स पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार द्वारा बनाया गया रियल एस्टेट रैगुलेटरी एक्ट-2016 (रेरा) होम बायर्स के काम नहीं आ रहा है। 2 साल बाद भी राज्यों में यह कानून लागू नहीं हो पाया है। केवल महाराष्ट्र को छोड़ दें तो किसी भी राज्य में बिल्डर्स के...

नई दिल्लीः बिल्डर्स पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार द्वारा बनाया गया रियल एस्टेट रैगुलेटरी एक्ट-2016 (रेरा) होम बायर्स के काम नहीं आ रहा है। 2 साल बाद भी राज्यों में यह कानून लागू नहीं हो पाया है। केवल महाराष्ट्र को छोड़ दें तो किसी भी राज्य में बिल्डर्स के खिलाफ  कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां तक कि अब तक 8 राज्यों में तो रूल्स तक नहीं बन पाए हैं जबकि 25 राज्यों में परमानैंट रैगुलेटरी अथॉरिटी तक नहीं है। एक्ट के 2 साल पूरे होने पर प्रॉपर्टी रिसर्च एजैंसी नाइट फ्रैंक ने व्हाइट पेपर जारी कर कहा है कि रेरा का मुख्य मकसद रियल एस्टेट मार्कीट के प्रति बायर्स के सैंटीमैंट में सुधार लाना था लेकिन अभी सैंटीमैंट में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है।

महाराष्ट्र बना उदाहरण 
अपनी रिसर्च में नाइट फ्रैंक ने कहा है कि केवल महाराष्ट्र ने रियल एस्टेट एक्ट को ढंग से लागू किया है। यही वजह है कि अब तक लगभग 25,000 बिल्डर्स ने रैगुलेटरी अथॉरिटी में रजिस्ट्रेशन करवाया है, इसमें से 62 प्रतिशत महाराष्ट्र से हैं। महारेरा (महाराष्ट्र रियल एस्टेट रैगुलेटरी अथॉरिटी) ने अब तक 1000 से अधिक केसों का निपटारा कर दिया है।

इन राज्यों में रूल्स तक नहीं बने 
रेरा अथॉरिटी तो दूर, 8 राज्यों ने एक्ट के रूल्स तक नहीं बनाए हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक एक्ट में प्रावधान किया गया था कि 1 मई, 2017 से जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में रियल एस्टेट रैगुलेटरी अथॉरिटी काम करना शुरू कर देगी लेकिन एक साल बाद भी अब तक केवल 3 राज्यों में परमानैंट रैगुलेटरी अथॉरिटी बन पाई है। इनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व पंजाब शामिल हैं। बाकी राज्यों में अंतरिम अथॉरिटी से काम चलाया जा रहा है। रिपोर्ट बताती है कि केवल 10 राज्यों और 5 केन्द्र शासित राज्यों में ही अपीलेट ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं।

पैनल्टी लगाने की सिफारिश 
नाइट फ्रैंक ने रिपोर्ट में केन्द्र से सिफारिश की है कि अगर वह इस कानून का लाभ बायर्स तक पहुंचाना चाहता है तो कानून को लागू न करने वाले राज्यों पर पैनल्टी लगाए। 

कब-क्या हुआ
 

10 मार्च, 2016 राज्यसभा ने रेरा बिल को मंजूरी दी। 
15 मार्च, 2016 लोकसभा से भी बिल पास हो गया। 
25 मार्च, 2016 राष्ट्रपति ने एक्ट को मंजूरी दी। 
26 मार्च, 2016 एक्ट की अधिसूचना जारी की गई। 
1 मार्च, 2016 सैक्शन 2, 20 से 39, 41 से 58, 71 से 78 और 81 से 92 नोटिफाई किए गए। शेष सभी सैक्शन नोटिफाई के साथ ही एक्ट लागू हो गया।

राज्यों के लिए तय थी डैडलाइन 
एक्ट में प्रोविजन किया गया था कि एक्ट को तय समय में लागू किया जाएगा। जैसे कि  
31 अक्तूबर, 2016 : सभी राज्यों को एक्ट के रूल्स नोटिफाई करने होंगे। 
31 अक्तूबर, 2016 : सभी राज्यों को एग्रीमैंट ऑफ  सेल के रूल्स भी नोटिफाई करने होंगे। 
30 अप्रैल, 2017 : सभी राज्यों में रैगुलेटरी अथॉरिटी बन जाएगी। 
30 अप्रैल, 2017 : सभी राज्यों में अपीलेट ट्रिब्यूनल बन जाएगा। 

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