200 से अधिक कंपनियों में 1 लाख करोड़ रुपए का घपला

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Apr, 2019 05:40 PM

200 lacs of rs 1 lakh crores in companies

दिसंबर 2016 में कॉर्पोरेट इन्सॉल्वंसी रेजॉलुशन का प्रावधान लागू होने के बाद 200 से अधिक कंपनियों की फॉरेंसिक ऑडिट से एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि के घपले की जानकारी मिली है। भारतीय उद्योग जगत में घपले-घोटालों की बाढ़ से आई हुई है

नई दिल्लीः दिसंबर 2016 में कॉर्पोरेट इन्सॉल्वंसी रेजॉलुशन का प्रावधान लागू होने के बाद 200 से अधिक कंपनियों की फॉरेंसिक ऑडिट से एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि के घपले की जानकारी मिली है। भारतीय उद्योग जगत में घपले-घोटालों की बाढ़ से आई हुई है। इसका खुलासा दिवालिया कानून के तहत हो रही जांच में हुआ है। खबर है कि इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड (आईबीसी) के तहत कॉर्पोरेट इन्सॉल्वंसी रेजॉलुशन का सामना कर रहीं इन कंपनियों से फंड डायवर्जन की भी आशंका है। 

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कड़ी कार्रवाई की उम्मीद 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने जिन दर्जनभर हाई प्रोफाइल मामलों को आईबीसी के तहत रेजॉलुशन के लिए नामित किया, उनमें ज्यादातर में गड़बड़ियां पाई गई हैं। इसलिए, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस जैसी एजेंसियां भी इनकी अलग से जांच कर रही हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि अब कंपनी मामलों का मंत्रालय इन कंपनियों के प्रमोटरों, डायरेक्टरों और कुछ कंपनियों के ऑडिटरों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करेगा। कुछ सूत्रों ने यह जानकारी दी। गौरतलब है कि कॉर्पोर्ट मिनिस्ट्री पर ही आईबीसी को लागू करने की जिम्मेदारी है। 

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इन कंपनियों में धोखाधड़ी 
ऑडिट में पैसे को इधर से उधर किए जाने के अलावा संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन के साथ-साथ कुछ अन्य तरह की गड़बड़ियां भी पकड़ी गई हैं, जिनमें बैंकों का सहारा भी लिया गया। फॉरेंसिक ऑडिट के तहत धोखाधड़ी और वित्तीय गड़बड़ियों के आंकड़े और साक्ष्य जुटाने के मकसद से किसी संस्था या कंपनी के खातों और लेनदेन की जांच किसी स्वतंत्र आकलन किया जाता है। इसने जेपी इन्फ्राटेक जैसे मामलों में इस बात से पर्दा उठाया है कि इसकी पैरंट कंपनी जयप्रकाश असोसिएट्स ने बैकों से लोन लेने के लिए जेपी इन्फ्राटेक के पास पड़ी जमीन का किस तरीके से इस्तेमाल किया। इसी तरह, ऐमटेक ऑटो और भूषण स्टील के मामलों में गड़बड़ियां सामने आई हैं। 

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दो साल में 1,484 कंपनियों पर लगाम 
IBC के तहत लाए गए ज्यादातर मामलों में नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त रेजॉलुशन प्रफेशनल्स फॉरेंसिक ऑडिट कर रहे हैं। कुछ मामलों में कर्जदाताओं ने इन्सॉल्वंसी प्रोसेस के लिए कंपनियों को एनसीएलटी में भेजे जाने से पहले उनकी फॉरेंसिक ऑडिट की थी। गौरतलब है कि दिसंबर 2016 में कॉर्पोरेट इन्सॉल्वंसी रेजॉलुशन का प्रावधान लागू होने के बाद से दिसंबर 2018 तक 1,484 मामले आईबीसी के तहत कार्रवाई के लिए लाए जा चुके हैं। इनमें 900 मामलों को निपटाना बाकी है। कुल मामलों में आधे वेंडरों जैसे ऑपरेशनल क्रेडिटरों ने कंपनियों को आईबीसी में घसीटे हैं। 

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