Edited By Supreet Kaur,Updated: 05 Jul, 2018 04:28 PM
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपए क्विंटल की वृद्धि के केन्द्र सरकार के फैसले को ऐतिहासिक विश्वासघात करार देते हुए इसे भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किसानों की आंखों में...
बिजनेस डेस्कः अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपए क्विंटल की वृद्धि के केन्द्र सरकार के फैसले को ऐतिहासिक विश्वासघात करार देते हुए इसे भाजपा नीत राजग सरकार द्वारा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किसानों की आंखों में धूल झोंकने के समान बताया है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) द्वारा लिया गया एमएसपी वृद्धि का यह निर्णय अगले आम चुनावों से करीब साल भर पहले आया है। फसल वर्ष 2012-13 में धान के एमएसपी में पिछली सर्वाधिक वृद्धि 170 रुपए प्रति क्विंटल की हुई थी। पिछले चार वर्षों में राजग सरकार ने धान के एमएसपी में 50 से 80 रुपए प्रति क्विंटल के बीच वृद्धि की है। एआईकेएस ने एक बयान में कहा कि यद्यपि मोदी और भाजपा ने भारी उम्मीदें जगाई थी और 2014 के चुनावों में किसानों का समर्थन प्राप्त करने के बाद उन्होंने किसानों को धोखा दिया। संगठन ने कहा कि सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के मुताबिक सी 2 + 50 प्रतिशत फॉर्मूला के मुताबिक एमएसपी तय करने का वादा किया था लेकिन उन्होंने ए 2 + एफएल लागतों के आधार पर एमएसपी की घोषणा की। जबकि उन्होंने अधिक व्यापक सी 2 लागत का वादा किया था।
स्वामीनाथन आयोग ने सुझाव दिया है कि एमएसपी को कृषि लागतों के व्यापक उपाय के आधार पर तय किया जाएगा जिसमें पूंजी की लागू लागत और जमीन पर किराए (जिसे सी 2 कहा जाता है) और किसानों को 50 प्रतिशत लाभ दिया जाएगा, लेकिन उसके बजाय एक संकुचित उपाय के तहत किसानों को आई लागत और पारिवारिक श्रम (ए 2 + एफएल) को संज्ञान में लेने वाले फार्मूले को अपनाया गया है। एआईकेएस ने एक बयान में कहा भाजपा सरकार के चार साल किसानों के लिए कुछ भी किए बिना पूरे हो गए और वे होने वाले चुनावों के मौके पर आक्रामक अभियान चलाकर किसानों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास कर रहे हैं।