Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Sep, 2018 01:22 PM
33 लाख ऐक्टिव डायरेक्टर्स में 12 लाख से भी कम ने सरकार की नई व्यवस्था के तहत नो योर कस्टमर्स (KYC) की कसौटी पर खरे उतर पाए हैं। नए प्रावधानों के मुताबिक कंपनियों में बोर्ड पोजिशन बरकरार रखने के लिए डायरेक्टर्स को केवाईसी की प्रक्रियाओं को पूरा करना...
नई दिल्लीः 33 लाख ऐक्टिव डायरेक्टर्स में 12 लाख से भी कम ने सरकार की नई व्यवस्था के तहत नो योर कस्टमर्स (KYC) की कसौटी पर खरे उतर पाए हैं। नए प्रावधानों के मुताबिक कंपनियों में बोर्ड पोजिशन बरकरार रखने के लिए डायरेक्टर्स को केवाईसी की प्रक्रियाओं को पूरा करना था। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (MCA) ने इसके लिए शनिवार आधी रात तक डेडलाइन तय कर रखी थी।
ऐसा कहा जा रहा है कि अब मंत्रालय इस डेडलाइन को आगे नहीं बढ़ाएगा। नई गाडइलाइन को फॉलो नहीं करने की वजह इन डायरेक्टर्स के डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) फ्रीज कर लिए जाएंगे। साल की शुरूआत में MCA ने DIN रखने वाले लोगों के लिए 15 सितंबर तक केवाईसी की फॉर्मेल्टी पूरी करने के डेडलाइन तय की थी।
कंपनियों में डायरेक्टर्स रखने में हेरफेर करने, नौकरों को उनकी जानकारी के बिना डायरेक्टर्स बना देने जैसी गतिविधियों पर लगाम के लिए यह फैसला लिया गया था। हालांकि जो डायरेक्टर्स चूक से अपना केवाईसी नहीं करा पाए हैं उनके पास एक मौका है। वे चाहें तो रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को पूरा कर और 5000 रुपए की फी चुका ऐसा कर सकते हैं।
देश में 50 लाख के करीब DIN जारी किए गए हैं। इनमें से केवल 33 लाख को ही ऐक्टिव डायरेक्टर्स माना जा रहा था। हालांकि इनमें भी एक बड़ी संख्या घोस्ट डायरेक्टर्स की भी होने की संभावना है। यह केवाईसी फॉर्मेल्टी देशभर में शेल कंपनियों को बंद करने की बड़ी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इसके माध्यम से यह पहचान करने की कोशिश हो रही है कि असल में कंपनियों का स्वामित्व किसके पास है।
शेल कंपनियों पर लगातार सख्ती बढ़ाई जा रही है। रिटर्न नहीं भरने की वजह से करीब 3 लाख कंपनियों का पंजीकरण समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा 3 लाख से अधिक डायरेक्टर्स भी अयोग्य घोषित किए गए हैं। सरकार का मानना है कि ये शैल कंपनियां और इनके फर्जी डायरेक्टर्स कालेधन के मुख्य स्रोत हैं।
इसी कवायद के तहत अधिकतर डायरेक्टर्स जिनके पैन को लिंक करना अनिवार्य था, उन्हें अब DIN के साथ आधार को भी लिंक करना होगा। सरकार ने इसे भी अनिवार्य कर दिया है। हालांकि उन्हें फिलहाल छूट है जिनके पास आधार नहीं है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है। DIN धारकों को चार्टर्ड अकाउंटेंट या कंपनी सेक्रटरी से प्रमाणित किया हुआ एक फॉर्म भी साइन करके जमा करना है।