एआरसी को बेचे गए 2.44 लाख करोड़ रुपए के एनपीए

Edited By ,Updated: 02 May, 2017 06:53 PM

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बैंकों ने फंसे कर्ज की समस्या के समाधान के प्रयास करते हुए वर्ष 2003 के बाद से अब तक अपना 2440 अरब रुपए का फंसा कर्ज 23 संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) को बेचा है। देश के प्रमुख उद्योग संगठन एसोचैम के एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है।

नई दिल्लीः बैंकों ने फंसे कर्ज की समस्या के समाधान के प्रयास करते हुए वर्ष 2003 के बाद से अब तक अपना 2440 अरब रुपए का फंसा कर्ज 23 संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) को बेचा है। देश के प्रमुख उद्योग संगठन एसोचैम के एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि बैंकों की काफी बड़ी राशि कर्ज में फंसी है। उनके कुल मिलाकर 15 प्रतिशत अग्रिम जिसमें 9.84 प्रतिशत एनपीए है और 4.2 प्रतिशत पुनर्गठित संपत्तियां हैं कर्ज में फंसी हैं जो कि अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। यह स्थिति एआरसी के लिए व्यापक अवसरों की पेशकश करती है।   

एसोचैम-एसआईपीआई-एडेलवेइस के इस अध्ययन के अनुसार प्रणाली में फंसी आस्तियों का कुल भार लगभग 15 प्रतिशत यानी 11800 अरब रुपए है। इसमें कहा गया है कि ज्यादातर एआरसी का गठन खुद बैंकों ने किया है। इन संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भी अनुमति दी गई है। अध्ययन के मुताबिक इसे एनपीए समस्या के समाधान के तौर पर देखा जाना चाहिए न कि कर्ज वसूली व्यावसाय के तौर पर।  

अध्ययन दस्तावेज में कहा गया है कि इसमें सभी को समान स्तरीय सुविधायें दी जानी चाहिए और जिन कंपनियों पर बैंकों का काफी बकाया है उनके प्रवर्तकों के साथ व्यवस्था में एआरसी को ज्यादा अधिकार दिए जाने चाहिए। किसी भी संपत्ति के पुनर्गठन के समय एआरसी को कम से कम 51 प्रतिशत कनवर्जन की अनुमति होनी चाहिए। दस्तावेज में कहा गया है कि जिन बैंकों का 100 प्रतिशत एनपीए एआरसी को बेच दिया गया है उनके लिए प्रोत्साहन ढांचे की शुरूआत की जानी चाहिए। 
 

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