Edited By Supreet Kaur,Updated: 02 Jun, 2018 04:51 PM
चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 24.3 फीसदी रहा है। ऊंचे राजस्व और कम खर्च की वजह से पिछले साल के इसी माह की तुलना में राजकोषीय घाटा कम रहा है। पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल महीने में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 37.6...
नई दिल्लीः चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 24.3 फीसदी रहा है। ऊंचे राजस्व और कम खर्च की वजह से पिछले साल के इसी माह की तुलना में राजकोषीय घाटा कम रहा है। पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल महीने में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 37.6 फीसदी रहा था। कुल राजस्व और खर्च का अंतर राजकोषीय घाटा कहलाता है।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल, 2018 में सरकार की प्राप्तियां 71,450 करोड़ रुपए रहीं जो 2018-19 के कुल बजट अनुमान का 3.93 फीसदी हैं। इसमें से 57,533 करोड़ रुपए सरकार को कर राजस्व के रूप में मिले। वहीं 13,124 करोड़ रुपए गैर-कर राजस्व और 793 करोड़ रुपए गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां रहीं। गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियों में कर्ज की वसूली (359 करोड़ रुपए) और सार्वजनिक उपक्रम विनिवेश से (434 करोड़ रुपए) प्राप्तियां शामिल हैं। इस अवधि में सरकार का कुल खर्च 2,23,417 करोड़ रुपए रहा। यह कुल बजट अनुमान का 9.15 फीसदी रहा । इसमें से 1.76 लाख करोड़ रुपए राजस्व खाते और 46,703 करोड़ रुपए पूंजी खाते से खर्च हुए।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सरकार ने इस अवधि में राज्य सरकारों को करों में उनके हिस्से के रूप में 55,789 करोड़ रुपए स्थानांतरित किए। यह इससे पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 7,611 करोड़ रुपए अधिक है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 फीसदी पर रखने का लक्ष्य तय किया है। वर्ष 2017-18 में यह 3.53 फीसदी रहा ।