Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Sep, 2020 10:24 AM
भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड के चेयरपर्सन एम. एस. साहू ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिवाला कानून के तहत समाधान योजना के जरिए जून 2020 तक करीब 250 कर्ज बोझ तले दबी कंपनियों को बचाया गया।
नई दिल्लीः भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड के चेयरपर्सन एम. एस. साहू ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिवाला कानून के तहत समाधान योजना के जरिए जून 2020 तक करीब 250 कर्ज बोझ तले दबी कंपनियों को बचाया गया। इस कानून का मूल उद्देश्य ही कंपनियों को जिंदा रखना है। दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) को लागू हुए चार वर्ष हो चुके हैं। यह कानून दबाव वाली परिसंपत्तियों के समयबद्ध और बाजार से जुड़े समाधान की सुविधा देता है।
कोविड-19 संकट के दौरान दिवाला प्रक्रिया के प्रावधान निलंबित करने के बारे में साहू ने कहा कि एक सीमित और सुस्पष्ट सनसेट नियम के साथ प्रक्रिया में सुधार की जरूरत थी। साहू ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि जून 2020 तक आईबीसी ने करीब 250 दबाव वाली फर्मों का समाधान योजना के माध्यम से बचाव किया है। इसमें से करीब एक तिहाई कंपनियां तो भारी दबाव से जूझ रही थी।
इन कंपनियों को बचाने से इनके ऋणदाताओं ने प्रक्रिया में प्रवेश करने के समय इनके परिसमापन मूल्य का करीब 200 प्रतिशत तक वसूल किया। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में यह संहिता असफल कंपनी के माले में बाजार ताकतों को अनुपूरक उपचार में सक्षम बनाता है वहीं वहनीय कंपनी को बचाने और ऐसी कंपनी जो व्यवहार्य नहीं रह गई है उसके परिसमापन की बात करता है। उन्होंने कहा कि इस संहिता में एक धारा ऐसी भी है जो कि बेहतर साख नहीं रखने वालों को समाधान योजना सौंपने से दूर रखती है।