Edited By Supreet Kaur,Updated: 09 Aug, 2018 11:02 AM
प्रमुख शहरों में बिक्री कारोबार में गिरावट, डेवलपरों के समक्ष नकदी का संकट तथा परियोजनाओं की मंजूरी से संबंधित मुद्दों के कारण देशभर में 3.3 लाख करोड़ रुपये (47 अरब डॉलर) से अधिक की आवासीय परियोजनाएं देरी से चल रही है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी...
नई दिल्लीः प्रमुख शहरों में बिक्री कारोबार में गिरावट, डेवलपरों के समक्ष नकदी का संकट तथा परियोजनाओं की मंजूरी से संबंधित मुद्दों के कारण देशभर में 3.3 लाख करोड़ रुपये (47 अरब डॉलर) से अधिक की आवासीय परियोजनाएं देरी से चल रही है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
प्रॉपइक्विटी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन परियोजनाओं में 4.65 लाख से अधिक आवासीय इकाइयां तैयार की जानी है जो विभिन्न कारणों से देरी से चल रही हैं। प्रॉपइक्विटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि करीब 1,687 परियोजनाएं जिनमें करीब 60 करोड़ वर्ग फुट का बिक्री क्षेत्र है, अपने तय समय से काफी विलंब से चल रही हैं। उसने कहा कि इनका वर्तमान मूल्य अभी 3,32,848 करोड़ रुपये यानी 47 अरब डॉलर से अधिक है। प्रॉपइक्विटी के संस्थापक तथा प्रबंध निदेशक समीर जसुजा ने कहा, ‘‘इन परियोजनाओं में 2-8 साल की देरी है और इस बारे में भी अनिश्चितता है कि ये कब पूरी होंगी।’’
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत में चुनिंदा क्षेत्र के बाजारों में रियल एस्टेट में सुधार के संकेत मिल रहे हैं हालांकि देश में 4.65 लाख से अधिक आवासीय इकाइयां तैयार होने के तय समय से काफी देरी से चल रही हैं। इन परियोजनाओं का कुल मूल्य 3.3 लाख करोड़ रुपये यानी 47 अरब डॉलर से अधिक हैं।’’ रिपोर्ट में देरी का कारण वित्तीय दिक्कतें, क्रियान्वयन की चुनौतियां, डेवलपरों की महत्वाकांक्षी पेशकश के कारण आपूर्ति की अधिकता, पर्यावरणीय मंजूरियां तथा बिक्री में गिरावट आदि बताए गए हैं।