Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Sep, 2019 10:17 AM
ऑफलाइन मोबाइल स्टोर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (ए.आई.एम.आर.ए.) ने ई-कॉमर्स कम्पनियों पर उनके धंधे को चौपट करने का आरोप लगाया है।
नई दिल्लीः ऑफलाइन मोबाइल स्टोर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (ए.आई.एम.आर.ए.) ने ई-कॉमर्स कम्पनियों पर उनके धंधे को चौपट करने का आरोप लगाया है।
एसोसिएशन ने वाणिज्य मंत्रालय, कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया और डिपार्टमैंट फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड (डी.पी.आई.आई.टी.) को एक पत्र लिखकर कहा है कि मोबाइल फोन निर्माता कम्पनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉम्र्स की वजह से पिछले एक साल में 30,000 से ज्यादा स्टोर बंद हो गए हैं और लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। एसोसिएशन ने पत्र में अपना धंधा बचाने की गुहार लगाई है। एसोसिएशन ने कहा कि कम्पनियां ई.कॉमर्स कम्पनियों को स्मार्टफोन पहले ही दे देती हैं। मार्कीट में फोन बाद में आते हैं।
ऐसे चौपट हो रहा है धंधा
ए.आई.एम.आर.ए. ने पत्र में लिखा है कि ई-कॉमर्स कम्पनियां सीधे मोबाइल फोन निर्माता कम्पनियों से समझौता करके स्मार्टफोन को कम कीमत पर बेचती हैं। इससे ऑनलाइन और ऑफलाइन स्टोर्स पर कीमत में भारी अंतर होता है जिससे ऑफलाइन रिटेल स्टोर पर बिक्री नहीं होती है। इसके अलावा कम्पनियां भी नए लांच हुए स्मार्टफोन सीधे ई-कॉमर्स कम्पनियों को उपलब्ध कराती हैं। जब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिक्री कम हो जाती है तब उन्हें ऑफलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध कराया जाता है। इससे इनकी बिक्री नहीं होती है। केवल वही लोग ऐसे स्मार्टफोन की खरीदारी करते हैं जो ऑनलाइन खरीदारी से चूक जाते हैं।
एक प्रोडक्ट, एक कीमत की मांग
एसोसिएशन ने पत्र में कहा है कि मोबाइल फोन निर्माता कम्पनियों और ई-कॉमर्स कम्पनियों के इस गठजोड़ की वजह से ऑफलाइन स्टोर लगातार बंद होते जा रहे हैं। एसोसिएशन ने पत्र में सभी जगह पर एक प्रोडक्ट और एक समय में सभी जगहों पर एक ही कीमत तय करने का आग्रह किया है। एसोसिएशन ने कहा है कि ऑनलाइन रिटेलर वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) का भुगतान नहीं करते हैं जिससे सरकार को राजस्व का भी नुक्सान होता है।