Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Oct, 2018 02:55 PM
348 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में देरी और अन्य कारणों से लागत में तीन लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। यह सभी परियोजनाएं 150 करोड़ रुपए या उससे ऊपर की हैं। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
नई दिल्लीः 348 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में देरी और अन्य कारणों से लागत में तीन लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। यह सभी परियोजनाएं 150 करोड़ रुपए या उससे ऊपर की हैं। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए और उससे अधिक की प्रॉजेक्ट्स की निगरानी करती है।
मंत्रालय की मई 2018 की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 1,351 प्रॉजेक्ट्स के क्रियान्वयन की कुल वास्तविक लागत 15,72,066.02 करोड़ रुपए थी। अब इन प्रॉजेक्ट्स की लागत 18,72,201.51 करोड़ रुपए बैठने की उम्मीद है। इस तरह प्रॉजेक्ट्स की लागत में 3,00,135.49 करोड़ रुपए या 19.09 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कुल 1,351 प्रॉजेक्ट्स में से 348 परियोजनाएं की लागत बढ़ी है जबकि 263 प्रॉजेक्ट्स के क्रियान्वयन के समय में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार इन प्रॉजेक्ट्स पर मई 2018 तक 7,47,302.42 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जो इन प्रॉजेक्ट्स की अनुमानित लागत का 39.92 प्रतिशत है।
इसमें कहा गया है कि यदि प्रॉजेक्ट्स को पूरा करने की समयावधि को देखा जाए तो देरी वाली प्रॉजेक्ट्स की संख्या घटकर 191 रह जाएगी। करीब 650 प्रॉजेक्ट्स के चालू होने के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। 66 प्रॉजेक्ट्स में 1 से 12 महीने, 50 में 13-24 महीने, 71 में 25-60 महीने और 76 में 61 या उससे अधिक महीने की देरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रॉजेक्ट्स में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण मंजूरी, उपकरणों की आपूर्ति, कोष की कमी, नक्सलवादियों की घुसपैठ, कानूनी मामलों और कानून-व्यवस्था की वजह से देरी हुई।