सात शहरों में 4.8 लाख घर अभी तक अधूरे, NCR में 2.4 लाख आवासीय इकाइयां अटकीं

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2022 03:37 PM

4 8 lakh houses in seven cities still incomplete 2 4 lakh residential units

देश के सात प्रमुख शहरों में 4.48 लाख करोड़ रुपए मूल्य की करीब 4.8 लाख आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य अटका हुआ है या बहुत देरी से चल रहा है। हालांकि, इस साल अबतक बिल्डरों ने 37,000 इकाइयों का काम पूरा किया है। संपत्ति सलाहकार कंपनी एनारॉक ने अपनी एक...

नई दिल्लीः देश के सात प्रमुख शहरों में 4.48 लाख करोड़ रुपए मूल्य की करीब 4.8 लाख आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य अटका हुआ है या बहुत देरी से चल रहा है। हालांकि, इस साल अबतक बिल्डरों ने 37,000 इकाइयों का काम पूरा किया है। संपत्ति सलाहकार कंपनी एनारॉक ने अपनी एक शोध रिपोर्ट में यह दावा किया है। इसके मुताबिक अटकी पड़ी आवासीय इकाइयों में से करीब 2.4 लाख सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में ही स्थित हैं। 

अपने शोध में एनारॉक ने केवल उन आवासीय परियोजनाओं को ही शामिल किया जो देश के सात शहरों- दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में वर्ष 2014 या उससे पहले शुरू की गई थीं। शोध से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जनवरी, 2022 से मई, 2022 के बीच इन सात शहरों में 36,830 घरों का निर्माण पूरा किया गया। मई, 2022 के अंत में इन सात शहरों में विभिन्न निर्माण चरणों में 4,48,129 करोड़ रुपए मूल्य की 4,79,940 इकाइयां फंसी हुई थीं। 

कैलेंडर वर्ष 2021 के अंत में इन सात शहरों के संपत्ति बाजार 4.84 लाख करोड़ रुपए मूल्य की लगभग 5.17 लाख इकाइयों के बोझ तले दबे हुए थे। एनारॉक के वरिष्ठ निदेशक एवं शोध प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने कहा, ‘‘डेवलपर अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और रहने के लिए तैयार घरों की मांग का फायदा उठा रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच महीनों में लागत बढ़ने से पैदा हुई काफी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद डेवलपर अपनी रफ्तार बनाए हुए हैं। इसके अलावा पिछले दो वर्षों में घरों की मांग मजबूत बने रहने से भी मदद मिली है।'' 

ठाकुर ने कहा कि कई बड़े डेवलपर अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आगे आ रहे हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से गठित सस्ते और मध्यम आय वर्ग के आवास के लिए विशेष सुविधा यानी ‘स्वामी' कोष और एनबीसीसी के आगे आने से भी लंबित निर्माण कार्यों को पूरा किया जा रहा है। एनारॉक ने कहा कि अधूरी पड़ी हुई आवासीय इकाइयों में दिल्ली-एनसीआर और एमएमआर का सम्मिलित योगदान 77 प्रतिशत है। वहीं बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद की इसमें भागादारी सिर्फ नौ प्रतिशत है। पुणे की हिस्सेदारी करीब नौ फीसदी और कोलकाता की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत है। 

दिल्ली-एनसीआर ने इस साल के पहले पांच महीनों में 16,750 इकाइयों का काम पूरा किया। समूचे एनसीआर क्षेत्र में इस समय 1.81 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 2,40,610 इकाइयां अटकी हुई हैं। दिसंबर, 2021 के अंत में एनसीआर में अधूरी पड़ी इकाइयों की संख्या 2,57,360 थी। जेपी इंफ्राटेक, यूनिटेक, आम्रपाली और द 3सी कंपनी समेत कई बिल्डरों के तय समय पर परियोजनाएं पूरी नहीं करने से दिल्ली-एनसीआर में घर खरीदारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
 

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