Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Aug, 2020 10:47 AM
कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित घरेलू उड्डयन उद्योग को अपना वजूद बचाए रखने के लिए करीब 37,500 करोड़ रुपए (5 अरब डॉलर) के पूंजी निवेश की आवश्यकता पड़ सकती है। इसकी वजह यह है कि पूरे विमानन उद्योग को मिलाकर इस वित्त
मुंबईः कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित घरेलू उड्डयन उद्योग को अपना वजूद बचाए रखने के लिए करीब 37,500 करोड़ रुपए (5 अरब डॉलर) के पूंजी निवेश की आवश्यकता पड़ सकती है। इसकी वजह यह है कि पूरे विमानन उद्योग को मिलाकर इस वित्त वर्ष में छह से साढ़े छह अरब डॉलर का घाटा हो सकता है। विमानन क्षेत्र में परामर्श देने वाली एक कंपनी ने यह अनुमान जताया है।
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सेंटर फोर एशिया पैसिफिक एविएशन (CAPA) ने एक प्रस्तुतिकरण में बताया कि मौजूदा अनिश्चितता समेत संरचनात्मक दिक्कतें विमानन उद्योग को कच्चे तेल की कम कीमतों और भारत व वैश्विक दोनों स्तर पर अधिशेष पूंजी से मदद नहीं लेने दे सकती है।
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कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए दुनिया भर में यात्रा पर लगी पाबंदियों से भारत समेत पूरी दुनिया में विमानन कंपनियां दिक्कतों से जूझ रही हैं। देश की दो सूचीबद्ध विमानन कंपनियों में से एक इंडिगो को जून तिमाही में 2,844 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। दूसरी कंपनी स्पाइसजेट ने अभी जून तिमाही का परिणाम घोषित नहीं किया है।
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कई कंपनियां बंद होने के कगार पर
सीएपीए ने कहा, ‘कोविड19 उद्योग पर एक अभूतपूर्व वित्तीय प्रभाव डालेगा। विमानन उद्योग सबसे कमजोर स्थिति में है और कुछ कंपनियां बंद होने के कगार पर हैं।’ उसने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में करीब छह से साढ़े छह अरब डॉलर के घाटे के अनुमान को देखते हुए विमानन व सहायक उद्यमों को साढ़े चार से पांच अरब डॉलर के पूंजी निवेश की जरूरत पड़ सकती है।