Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Mar, 2019 12:52 PM
मई 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने से शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखी गई थी। बाजार के भागीदारों को उम्मीद थी कि बहुमत वाली सरकार के
मुंबईः मई 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने से शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखी गई थी। बाजार के भागीदारों को उम्मीद थी कि बहुमत वाली सरकार के सत्ता में आने से उद्योग के पक्ष में नीतिगत निर्णय में तेजी आएगी। हालांकि मौजूदा सरकार के 5 साल बाद यानी 26 मई, 2014 से अब तक बेंचमार्क सेंसेक्स 53 फीसदी ही चढ़ा है। कुल मिलाकर देखें तो सेंसेक्स ने 9.2 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है जो शेयरों में दीर्घावधि में औसतन 10 से 14 फीसदी रिटर्न से कम है।
केंद्र की सरकारों के दौरान बाजार का प्रदर्शन
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कार्यकाल शुरू होने की तारीख |
सेंसक्स बदलाव (%) |
सीएजीआर (%) |
अटल बिहारी वाजपेयी |
13 अक्तूबर, 1999 |
-1.9 |
-0.4 |
मनमोहन सिंह |
मई 22, 2004 |
176.9 |
22.6 |
|
मई 22, 2009 |
79.8 |
12.4 |
नरेंद्र मोदी |
मई 26, 2014 |
53.1 |
9.2 |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में मनमोहन सिंह की अगुआई वाले संयुक्त प्र्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दोनों कार्यकाल की तुलना में कम रिटर्न मिला है। संप्रग-1 (2004 से 2009) में सेंसेक्स का सालाना रिटर्न 22.6 फीसदी रही जबकि संप्रग-2 (2009 से 2014) के दौरान 12.4 फीसदी सालाना चक्रवृद्घि दर से रिटर्न मिला।
मोदी के कार्यकाल में बाजार का प्रतिफल
नाम |
बदलाव (%) |
5 साल सीएजीआर (%) |
बीएसई मिड कैप |
72.1 |
11.9 |
बीएसई स्मॉल कैप |
61.6 |
10.4 |
निफ्टी 50 |
54.1 |
9.4 |
बीएसई सेंसेक्स |
53.1 |
9.2 |
मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान उम्मीद से कम रिटर्न निवेशकों को निराश किया है क्योंकि उन्हें मोदी सरकार में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। पिछले पांच साल के दौरान बड़े नीतिगत निर्णय जैसे नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर तथा ऋणशोधन एवं दिवालिया संहिता की वजह से कंपनियों की आय उम्मीद से कम रही। नोटबंदी से खासतौर पर छोटी-मझोली कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च एडवाइजरी के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, 'राजग सरकार को जो जनादेश मिला था उससे राजनीतिक स्थिरता आई और बाजार में भरोसा बढ़ा। जीएसटी, दिवालिया संहिता और बीमा में सुधार को भी बाजार ने सकारात्मक तरीके से लिया।'