Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Feb, 2021 06:02 PM
गरीब लोग और देश की आम जनता सरकार के ‘मित्र’ हैं और वह उन्हीं के लिए काम करती है। यह बात केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सरकार पर सांठगांठ वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का जवाब देते हुए कही।
बिजनेस डेस्कः गरीब लोग और देश की आम जनता सरकार के ‘मित्र’ हैं और वह उन्हीं के लिए काम करती है। यह बात केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सरकार पर सांठगांठ वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का जवाब देते हुए कही। सीतारमण ने 2021-22 के बजट पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत गरीबों, रेहड़ी-पटरी वाले विक्रेताओं को 10,000 रुपए की आर्थिक मदद एक साल के लिए दी, जिसे एक वर्ष बाद लौटाने या चुका नहीं पाने की स्थिति में और समय लेने का प्रावधान है। देश के 50 लाख रेहड़ी-पटरी वालों ने इस योजना का लाभ उठाया।
यह भी पढ़ें- बजट में किए गए सुधार उपाय भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में करेंगे मदद: सीईए
सीतारमण ने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा, ‘‘हमारे मित्र (क्रोनीज) दामाद नहीं हैं। ऐसे लोग उस पार्टी की आड़ में छिपे हैं, जिसे जनता ने अस्वीकार कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि यह गरीबों, किसानों का बजट है। उल्लेखनीय है कि बजट चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर दो-तीन उद्योगपतियों मित्रों के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए काम करने का आरोप लगाया था।
यह भी पढ़ें- लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा- महामारी में तलाशे मौके, नहीं रुकी रिफॉर्म्स की रफ्तार
वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों का निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी के तहत आम जनता को, गरीबों को लाभान्वित किया गया है न कि किसी सांठगांठ वाले पूंजीपति को। सीतारमण ने नसीहत दी कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर झूठे आरोप लगाने के बजाय विपक्षी दलों को इन सभी योजनाओं का अध्ययन करके आना चाहिए।
यह भी पढ़ें- IRDAI ने नोटिस जारी कर किया सावधान, कहा- इस कंपनी से न कराएं अपनी गाड़ी का बीमा
MSME के हित में भी उठाए कदम
बजट पर चर्चा के दौरान विभिन्न विपक्षी सदस्यों के एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) को समर्थन नहीं देने के आरोपों को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान भी अपनी घोषणाओं में स्पष्ट किया था कि संकटग्रस्त एमएसएमई क्षेत्र को दो स्तर पर सहयोग दिया जा रहा है। एक तो किसी उद्यम को कर्ज आदि के मामले में अदालतों में नहीं खींचा जाएगा और इसके लिए समयसीमा को भी बढ़ाया गया, वहीं आर्थिक मदद भी दी गई। सीतारमण ने कहा, ‘‘हमने जो प्रयास किए, उसकी मंशा सभी की मदद की थी।’’
आगे कहा कि लॉकडाउन के दौरान सभी बैंकों को निर्देश दिए गए कि एमएसएमई से संपर्क साधा जाए और उन्हें बिना किसी गिरवी के आर्थिक मदद मुहैया कराने की पेशकश की जाए। एक भी कंपनी, एक भी एमएसएमई को अनदेखा नहीं किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि हमने इस दौरान ऐसे क्षेत्रों को भी अलग नहीं रखा जो एमएमएमई की परिभाषा में नहीं आते।