88 हजार करोड़ रुपए के लोन डिफॉल्‍ट में फंसी है कंपनी, सरकार अब ऑडिटर्स के खिलाफ करेगी कार्रवाई!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Dec, 2018 02:18 PM

88 thousand crore rupees loan default is the company

88 हजार करोड़ रुपए के देश के सबसे बड़े लोन डिफॉल्‍ट मामलों में से एक में अब नया खुलासा हुआ है। न्‍यूज एजेंसी ब्‍लूमबर्ग के अनुसार, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) लोन डिफॉल्‍ट मामले में

नई दिल्लीः 88 हजार करोड़ रुपए के देश के सबसे बड़े लोन डिफॉल्‍ट मामलों में से एक में अब नया खुलासा हुआ है। न्‍यूज एजेंसी ब्‍लूमबर्ग के अनुसार, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) लोन डिफॉल्‍ट मामले में जांच के दौरान चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। मामले की जांच में जुटी सीरियस फ्रॉड इन्‍वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) की जांच में कंपनी के खातों की जांच करने वाली ऑडिट कंपनियों के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। SFIO ने इस बाबत ठोस सबूत मिलने का दावा किया है। जांच एजेंसी ने फाइनेंस कंपनी के खातों में गड़बड़ियां मिलने का दावा किया है। दरअसल, SFIO कंपनी के फंड का किसी दूसरे मद में इस्‍तेमाल से जुड़े मामलों की जांच कर रही थी, जिसमें खातों में गड़बड़ी की बात सामने आई। 

कंपनी मामलों के मंत्रालय के वकील संजय शौरी ने शुक्रवार (21 दिसंबर) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल को इसकी जानकारी दी। उन्‍होंने ट्रिब्‍यूनल को बताया कि SFIO की जांच में IL&FS के अकाउंट में फर्जीवाड़े की बात सामने आई है। साथ ही कंपनी के खातों के कुप्रबंधन को लेकर भी नई जानकारी मिली है। कोर्ट ने सरकार को इन सब पर नजर रखने वाली नियामक संस्‍थाओं और टैक्‍स अथॉरिटी समेत इसमें संलिप्‍त अन्‍य के बारे में जानकारी तलब की है। ट्रिब्‍यूनल ने इस मामले की सुनवाई 1 जनवरी तक के लिए टाल दी है।

जांच में सामने आई ऑडिटर्स की लापरवाही
संजय शौरी ने कोर्ट को बताया कि SFIO की छानबीन में IL&FS के अकाउंट्स की निगरानी करने वाले ऑडिटर्स की ओर से घोर लापरवाही बरती गई। उनकी ओर से सौंपे गए दस्‍तावेज में इंस्‍टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की शुरुआती राय भी शामिल है, जिसमें डेलॉयट हैसकिंस एंड सेल्‍स एलएलपी, एसआरबीसी एंड को. एलएलपी और बीएसआर एंड एसोसिएट्स एलएलपी द्वारा किए गए ऑडिट की पड़ताल की गई है। 

सरकारी वकील ने IL&FS कंपनी के पिछले पांच साल के खातों की जांच करने की भी मांग की है। साथ ही ट्रिब्‍यूनल से मांग की क‍ि सरकार को ऑडिटर नियुक्‍त करने की इजाजत दी जाए, ताकि कंपनी के खातों को तीन महीनों में दुरुस्‍त किया जा सके। बता दें कि IL&FS 88 हजार करोड़ रुपए से ज्‍यादा का कर्ज समय पर चुकाने में विफल रही थी। इसके बाद वित्‍तीय बाजार में अस्थिरता का माहौल बन गया था। स्थिति को संभालने के लिए सरकार को सामने आना पड़ा। केंद्र सरकार ने इसके बाद IL&FS के बोर्ड का पुनर्गठन किया है। बता दें कि कंपनी के डिफॉल्‍ट होने से नॉन बैंकिंग फायनेंस कंपनियों के लिए फंड जुटाने की समस्‍या बढ़ गई है।
 

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