Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Aug, 2019 01:45 PM
टाइटैनिक जहाज बनाने वाली कंपनी हार्लेंड एंड वोल्फ शिपयार्ड 158 साल बाद बंद होने जा रही है। कंपनी पिछले कई सालों से घाटे में चल रही है। इसके अतिरिक्त प्रतिस्पर्धा के कारण भी कंपनी डूब चुकी है और इसी वजह से कंपनी पर जल्द ताला लग सकता है।
नई दिल्लीः टाइटैनिक जहाज बनाने वाली कंपनी हार्लेंड एंड वोल्फ शिपयार्ड 158 साल बाद बंद होने जा रही है। कंपनी पिछले कई सालों से घाटे में चल रही है। इसके अतिरिक्त प्रतिस्पर्धा के कारण भी कंपनी डूब चुकी है और इसी वजह से कंपनी पर जल्द ताला लग सकता है।
कंपनी में काम करते थे 35,000 लोग
हार्लेंड एंड वोल्फ शिपयार्ड ने साल 1909 से 1911 के बीच टाइटैनिक जहाज बनाया था। इसे उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में 31 मार्च, 1911 को लॉन्च किया गया था। आज से करीब 100 साल पहले कंपनी में 35,000 लोग काम करते थे। अब दिवालिया हो चुकी कंपनी में महज 123 लोग ही बचे हैं।
दूसरे विश्व युद्ध में बनाए थे युद्धपोत
कंपनी ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लगभग 150 से ज्यादा युद्धपोत भी बनाए थे। 1945 के बाद से कंपनी जहाज निर्माण से दूर होते चली गई। बंद होने से पहले यह कंपनी पनबिजली और समुद्री इंजीनियरिंग परियोजनाओं पर काम कर रही थी।
1912 में टाइटैनिक जहाज के डूबने पर कंपनी चर्चा में आई थी
हार्लेंड एंड वोल्फ कंपनी अप्रैल 1912 को तब चर्चा में आई जब उसका बनाया विशाल जहाज टाइटैनिक अपनी पहली यात्रा में आइसबर्ग से टकराकर समुद्र में समा गया। समुद्री इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटना में 1,517 लोग मारे गए थे। जहाज साउथेम्प्टन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ था।
टाइटैनिक का मलबा 1 सितंबर 1985 को खोजा गया था। इसे अमेरिकी नौसेना के पूर्व कमांडर और महासागर विज्ञान के प्रोफेसर रॉबर्ट डुआने बालार्ड ने खोजा था। शुरू में जहाज की स्थिति को गुप्त रखने की योजना बनाई गई ताकि कोई भी इस जगह का पता न लगा सके, जिसे कब्रिस्तान माने जाने लगा था।