Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Sep, 2018 06:19 PM
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया ''आदेश के अनुरूप'' दोबारा शुरू की जाएगी।
नई दिल्लीः भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया 'आदेश के अनुरूप' दोबारा शुरू की जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि निर्वाचन आयोग के सचिवालय को आधार और चुनावी राजनीति को अपराधमुक्त करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अध्ययन करने के लिए कहा गया है।
आधार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध करार देने के बाद वोटर आईडी से जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा- ‘यह परियोजना, अदालत में आधार का मामला विचाराधीन होने के कारण रोकनी पड़ी थी। अब फैसले के अध्ययन के बाद अदालत के आदेश के अनुरूप इसे फिर से शुरू किया जा सकेगा।’
रावत ने कहा कि मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने के लिए फरवरी 2015 में आधार से मतदाता पहचान पत्र को जोड़ने की योजना शुरू की गई। अगस्त 2015 में आधार की वैधता से जुडा मामला सर्वोच्च अदालत पहुंच गया। तब तक लगभग 33 करोड़ मतदाता पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके थे। इसे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करने के सवाल पर उन्होंने कहा 'योजना को शुरू करने भर की देर है। काम को यथाशीघ्र पूरा करने की कोशिश होगी। देखते हैं कि कितना समय लगता है।'
अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के संबंध में रावत ने कहा कि आयोग इस फैसले का भी अध्ययन कर इसे यथाशीघ्र लागू करने के उपाय करेगा। न्यायालय ने अपने फैसले में उम्मीदवारों को उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी विभिन्न माध्यमों से मतदाताओं तक पहुंचाने को कहा था।