Edited By Supreet Kaur,Updated: 25 Sep, 2019 03:24 PM
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि सरकार देश को वापस आठ से नौ फीसदी की उच्च आर्थिक वृद्धि दर के रास्ते पर लाने को प्रतिबद्ध है और देश के समक्ष मुख्य चुनौती उच्च आर्थिक वृद्धि दर को बनाये रखने की है। कांत ने यह टिप्पणी...
नई दिल्लीः नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि सरकार देश को वापस आठ से नौ फीसदी की उच्च आर्थिक वृद्धि दर के रास्ते पर लाने को प्रतिबद्ध है और देश के समक्ष मुख्य चुनौती उच्च आर्थिक वृद्धि दर को बनाये रखने की है। कांत ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब सरकार आर्थिक वृद्धि दर को पांच फीसदी के छह साल के निचले स्तर से ऊपर उठाने के लिए कई उपायों की घोषणा कर चुकी है।
कांत ने कहा, ‘‘सरकार देश को आठ-नौ फीसदी की उच्च वृद्धि दर की पटरी पर वापस लाने के लिये प्रतिबद्ध है और देश के समक्ष मुख्य चुनौती आने वाले तीन दशकों तथा उसके बाद तक भी इस वृद्धि दर को बनाए रखने की है।'' वह भारतीय खनन, भूगर्भीय एवं धातुकर्म संस्थान द्वारा आयोजित 61वें हॉलैंड स्मरण व्याख्यान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कोई भी देश ऊर्जा पर जोर दिये बिना लंबे समय तक वृद्धि करने में सक्षम नहीं हो सका है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यदि हमें यह अगले तीन दशकों तक करना है तो ऊर्जा क्षेत्र को इसके केंद्र में रखना होगा।''
कांत ने कहा कि देश का मौजूदा प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपभोग वैश्विक औसत का करीब एक तिहाई है। यदि भारत विकसित देश बनना चाहता है तो उसे प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत कई गुणा बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘2017-18 की अंतिम तिमाही में हमने 8.10 फीसदी की दर से वृद्धि हासिल की जो कि 2019-20 की पहली तिमाही में गिरकर पांच फीसदी पर आ गई। अब बहस हो रही है कि क्या यह चक्रीय गिरावट है या कि अर्थव्यवस्था के समक्ष संरचनात्मक चुनौतियां हैं।'' उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। रिजर्व बैंक ने इस साल अब तक रेपो दर में 1.10 फीसदी की कटौती की है। वित्त मंत्री उद्योग एवं कारोबार जगत को चार खेप में राहत की पेशकश की चुकीं हैं।