Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 04:47 AM
कस्टम विभाग के अनुसार डायरैक्टोरेट ऑफ रैवेन्यू इंटैलीजैंस (डी.आर.आई.) के फैसला देने वाले अधिकारी की तरफ से तकरीबन 400 करोड़ रुपए के साजो-सामान के मूल्यांकन केस के संबंध में डी.आर.आई. की तरफ से अडानी ग्रुप की 2 फर्मों के विरुद्ध सभी सुनवाइयों को रद्द...
मुम्बई: कस्टम विभाग के अनुसार डायरैक्टोरेट ऑफ रैवेन्यू इंटैलीजैंस (डी.आर.आई.) के फैसला देने वाले अधिकारी की तरफ से तकरीबन 400 करोड़ रुपए के साजो-सामान के मूल्यांकन केस के संबंध में डी.आर.आई. की तरफ से अडानी ग्रुप की 2 फर्मों के विरुद्ध सभी सुनवाइयों को रद्द करने का जो फैसला लिया गया है, वह बिल्कुल गलत और गैर-कानूनी है।
28 नवम्बर को मुम्बई में कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपील ट्रिब्यूनल (सी.ई.एस.टी.ए.टी.) के पास दायर की गई अपील संबंधी यह दावा किया गया है कि फैसले से संबंधित जो आदेश पास किए गए हैं उनमें कई खामियां पाई गई हैं और ये आदेश लापरवाही के साथ और बिना सोचे-समझे दिए गए हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि फैसला देने वाले अधिकारी ने बहुत जल्दी में और वास्तविकता को अनदेखा कर बिना सोचे-समझे फैसला दिया है।
22 अगस्त 2017 को डी.आर.आई. की एजुडिकेटिंग अथॉरिटी के.वी.एस. सिंह एजैंसी की तरफ से अडानी शक्ति महाराष्ट्र लिमिटेड (ए.पी.एम.एल.) और अडानी शक्ति राजस्थान लिमिटेड (ए.पी.आर.एल.) विरुद्ध लगाए सभी आरोपों को रद्द कर दिया था जिनमें कहा गया था कि शक्ति और इन्फ्रास्ट्रक्चर हैड्स अधीन निर्यात की वस्तुओं की कुल घोषित कीमत जीरो या 5 प्रतिशत से कम ड्यूटी बनती है और यह कुल 3,974.12 करोड़ रुपए तक बनती है।
डी.आर.आई. ने आरोप लगाया कि फैसला बाद में आया था कि वस्तुएं पावर जैनरेशन और ट्रांसमिशन सामान ए.पी.एम.एल. और ए.पी.आर. एल. की तरफ से वर्ष 2009 और 2010 में निर्यात किया था जो चीन और दक्षिणी कोरिया में स्थापित असली निर्माताओं ओ.ई.एम्ज से सीधे तौर पर समुद्री रास्ते भारत पहुंचा था जबकि इन वस्तुओं के दस्तावेज दुबई से तैयार कर इलैक्ट्रोजन इंफ्रा एफ.जैड.ई.यू.ए.ई. (ई.आई.एफ.) के मार्फत आए थे।