फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक का विचार बुरा नहीं: पुरी

Edited By ,Updated: 17 Feb, 2017 07:16 PM

aditya puri says national bad bank is not a bad idea

एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी ने फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक बनाने के विचार का समर्थन करते हुए आज कहा कि गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की सर्वकालिक समस्या के समाधान में मदद करने वाले किसी भी कदम का स्वागत है।

मुंबईः एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी ने फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक बनाने के विचार का समर्थन करते हुए आज कहा कि गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की सर्वकालिक समस्या के समाधान में मदद करने वाले किसी भी कदम का स्वागत है।

पुरी ने नासकाम के एक कार्यक्रम में संवाद में कहा, "फंसे कर्ज के लिए अलग बैंक (नैशनल बेड बैंक) का विचार बुरा नहीं है। सरकार और नियामक विभिन्न चर्चा कर रहे हैं कि एनपीए की समस्या से कैसे निपटा जाए और यह जरूरी भी है ताकि बैंकिंग प्रणाली और अधिक करने में सक्षम हो।" उन्होंने कहा कि इस बारे में दीवाला संहिता पर भी चर्चा हो रही है। इसके साथ ही 'हम बैंकर भी एनपीए मुद्दे के निपटान को लेकर काम कर रहे हैं।'

उल्लेखनीय है कि लगभग 20 प्रतिशत बैंकिंग आस्तियां दबाव में या फंसी हुई हैं और सितंबर तिमाही में एनपीए 13.5 प्रतिशत रहा। इसमें भी 90 प्रतिशत से अधिक फंसा हुआ कर्ज सरकारी बैंकों के पास है। सरकार ने वित्त वर्ष 2017 व पूर्व वित्त वर्ष में इन बैंकों में बड़ी राशि डाली है और अगले दो वित्त वर्ष में इनकी मांग कम से कम 91000 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। फंसे कर्ज के लिए अलग से बैंक का विचार लंबे समय से चल रहा है लेकिन हाल ही में आर्थिक समीक्षा में एक बार फिर इस तरह के संस्थान की जरूरत वपर जोर दिया गया है।  

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