Edited By Supreet Kaur,Updated: 21 Sep, 2018 01:59 PM
अग्रिम कर के भुगतान की वजह से इस हफ्ते बैंकिंग तंत्र में नकदी की खासी कमी आई है और आने वाले दिनों में इसकी किल्लत हो सकती है। स्थिति को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खुले बाजार परिचालन के माध्यम से बॉन्ड की खरीद शुरू कर दी है।
नई दिल्लीः अग्रिम कर के भुगतान की वजह से इस हफ्ते बैंकिंग तंत्र में नकदी की खासी कमी आई है और आने वाले दिनों में इसकी किल्लत हो सकती है। स्थिति को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खुले बाजार परिचालन के माध्यम से बॉन्ड की खरीद शुरू कर दी है।
बुधवार को आरबीआई ने 100 अरब रुपए के बॉन्ड खरीदे जिससे बैंकिंग प्रणाली में थोड़ी नकदी बढ़ाने में मदद मिली। अल्पावधि में नकदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं लेकिन इस तरह के किसी भी कदम से प्रणाली में स्थायी रूप से तरलता में इजाफा होता है। मंगलवार को बैंकिंग तंत्र में 1.32 लाख करोड़ रुपए की नकदी कम हुई थी। नकदी की किल्लत के बीच 91 दिन के ट्रेजरी बिल जैसे अल्पावधि पूंजी बाजार इंस्ट्रूमेंट का प्रतिफल भी बढ़ गया है।
जानकारों का कहना है कि नकदी की किल्लत होने से आगे अल्पावधि उधारी का प्रतिफल और बढ़ सकता है। भारतीय स्टेट बैंक समूह के अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष के अनुसार आरबीआई रुपए को सहारा देने के लिए अभी कम से कम 25 अरब डॉलर की और बिकवाली कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सितंबर के बाद बैंकिंग प्रणाली में नकदी और कम हो सकती है। प्रवासी भारतीयों को डॉलर बॉन्ड जारी करने से रुपए की गिरावट को थामने में मदद मिल सकती है लेकिन यह पसंदीदा विकल्प नहीं होगा क्योंकि भारत का कुल बाह्य कर्ज का करीब 42 फीसदी अल्पावधि में परिपक्व हो रहे हैं। हालांकि इस तरह के कदम से बाजार में नकदी की समस्या नहीं होगी।