प्याज के बाद अब कुकिंग ऑयल की कीमतों में आई जोरदार तेजी!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Dec, 2019 01:51 PM

after onion now a sharp rise in the prices of cooking oil

प्याज के बाद अब देश में खाने के तेल के दाम बढ़ने लगे हैं। सोयाबीन उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से फसल को भारी नुकसान हुआ है। इसीलिए देश में सोयाबीन और सरसों समेत तमाम तेल और तिलहनों के दामों में तेजी का रुख बना हुआ है।

नई दिल्लीः प्याज के बाद अब देश में खाने के तेल के दाम बढ़ने लगे हैं। सोयाबीन उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से फसल को भारी नुकसान हुआ है। इसीलिए देश में सोयाबीन और सरसों समेत तमाम तेल और तिलहनों के दामों में तेजी का रुख बना हुआ है। अंग्रेजी के बिजनेस अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक, सोयाबीन तेल की कीमतें बढ़ने से भारत में कई खाने-पीने वाली डिशेज भी महंगी हो सकती हैं। देश में बढ़ती डिमांड के चलते भारत ने सोयाबीन तेल का इंपोर्ट 100 गुना तक बढ़ा दिया है। वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2016-17 तक देश में कुल 10-70 लाख रुपए का सोयाबीन तेल भारत में इंपोर्ट किया गया था। वहीं, वित्त वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 1.67 करोड़ रुपए हो गया था। साथ ही, मौजूदा वित्त वर्ष में अभी तक 167 करोड़ रुपए का सोयाबीन तेल इंपोर्ट किया जा चुका है।

आपको बता दें कि भारत खाद्य तेल का दुनिया में प्रमुख आयातक है। पिछले सीजन 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) में भारत ने 155 लाख टन से ज्यादा वनस्पति तेल का आयात किया, जिसमें खाद्य तेल का कुल आयात 2018-19 में 149.13 लाख टन था। देश में सबसे ज्यादा आयात पाम तेल का होता है, ऐसे में आने वाले दिनों में पाम तेल के दाम बढ़ने से देश मे उपभोक्ताओं को और महंगा खाद्य तेल मिलेगा।

क्यों महंगा हुआ खाने का तेल
बीते दो महीने में क्रूड पाम ऑयल के दाम में 26 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है। वहीं, सरसों की कीमतों में 300 रुपए क्विंटल की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि सोयाबीन का दाम करीब 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा है। कारोबारियों का कहना है कि देश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश के कारण खरीफ तिलहन फसल, खासतौर पर सोयाबीन के खराब होने और चालू रबी सीजन में तिलहनों की बुवाई सुस्त होने की वजह से घरेलू बाजार में तेल और तिलहनों के दाम बढ़ गए है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने राज्यसभा को बताया कि घरेलू उत्पादन इतना नहीं हो रहा है कि डिमांड को पूरा किया जा सके। इसीलिए सरकार खाद्य तेल का आयात कर रही है।

उत्पादन में आई गिरावट
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार मौजूदा फसल सीजन 2019-20 में सोयाबीन का उत्पादन घटकर 89.84 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 109.33 लाख टन का उत्पादन हुआ था। नई फसल की आवक के समय उत्पादक राज्यों में 1.70 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, अत: चालू सीजन में कुल उपलब्धता 91.54 लाख टन की बैठेगी।

  • मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन के भाव 4,000 से 4,050 रुपए और प्लांट डिलीवरी भाव 4,150 से 4,200 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
  • सोया रिफाइंड तेल में मांग अच्छी बनी हुई है लेकिन डीओसी में निर्यात पड़ते नहीं लग रहे है। सोया डीओसी के भाव 33,000 से 33,500 रुपए प्रति टन हैं।
  • सोपा के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में उत्पादक मंडियों में 30.50 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है जबकि पिछले साल इस दौरान 41 लाख टन की आवक हुई थी।
  • सोया डीओसी का उत्पादक अक्टूबर-नवंबर में 11.74 लाख टन का हुआ है, जबकि इस दौरान निर्यात केवल 1.13 लाख टन का ही हुआ है।
  • पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में 4.57 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ था। कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2019-20 में सोयाबीन का उत्पादन 135.05 लाख टन होने का है, जबकि पिछले साल 137.86 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

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