Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Nov, 2020 04:07 PM
आलू-प्याज के बढ़ते दाम के बाद अब तेल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। खाने में उपयोग होने वाले सभी खाद्य तेलों मूंगफली, सरसों का तेल, वनस्पती, सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ की औसत कीमतें एक बार फिर बढ़ गई हैं।
बिजनेस डेस्कः आलू-प्याज के बढ़ते दाम के बाद अब तेल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। खाने में उपयोग होने वाले सभी खाद्य तेलों मूंगफली, सरसों का तेल, वनस्पती, सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ की औसत कीमतें एक बार फिर बढ़ गई हैं। पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कीमतों में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। यहीं कारण है कि इसकी कीमतों को कम करने के तरीकों को लेकर सरकार विचार कर रही है।
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जानिए क्यों बढ़ रही तेल की कीमतें
भारत में पाम ऑयल का आयात होता है लेकिन लॉकडाउन के कारण मलेशिया जैसे देशों में इसका प्रोडक्शन घट गया है। इसके साथ ही बीज के दाम भी बढ़े हैं। हालांकि सरकारी स्तर पर प्राइस पर नियंत्रण के प्रयास हो रहे हैं।
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उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मूल्य निगरानी सेल से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि सरसों के तेल की औसत कीमत बीते गुरुवार को 120 प्रति लीटर थी, जबकि बीते साल ये कीमत 100 रुपए प्रति लीटर थी। वनस्पती तेल की कीमत एक साल पहले 75.25 थी जो अब बढ़कर 102.5 प्रति किलोग्राम हो गई है। सोयाबीन तेल का औसत मूल्य 110 प्रति लीटर पर बिक रहा था जबकि 18 अक्टूबर 2019 को औसत मूल्य 90 रुपए था। सूरजमुखी और ताड़ के तेल के मामले में भी यही रुझान रहा है।
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