Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jun, 2018 02:02 PM
8 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपए पुराने नोटों का प्रचलन समाप्त कर दिया था। सरकार ने यह फैसला कालेधन को बाहर निकालने और आतंकियों एवं माओवादियों की फंडिंग पर चोट पहुंचाने के लिए लिया गया।
नई दिल्लीः 8 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों का प्रचलन बंद कर दिया था। सरकार का यह फैसला कालेधन को बाहर निकालने और आतंकियों एवं माओवादियों की फंडिंग पर चोट पहुंचाने के लिए था। नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा राशि को लेकर सरकार ने डाटा जारी किया है। जिसके बाद देश भर में लगभग 73,000 कंपनियों ने 24,000 करोड़ रुपए की राशि बैंकों में जमा कराई, जिनका रजिस्ट्रेशन कंपनी रजिस्ट्रार ने रद्द कर दिया था।
2.26 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसल
कालेधन के बहाव को रोकने और अवैध एवं बेनामी संपत्तियों पर शिकंजा कसने के मकसद से कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने 2.26 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया था। इन सभी फर्म्स की कोई बिजनेस ऐक्टिविटी नहीं थी, ऐसे में सरकार ने कालेधन के लेन-देन में शामिल होने और बेनामी संपत्ति बनाने की आशंका के चलते इनका रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया था। इनमें से ज्यादातर कंपनियों पर अवैध रूप से फंड जुटाने और हेराफेरी करने का आरोप है।
24,000 करोड़ रुपए जमा कराए
जिन 2.26 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया था, उनमें से 1.68 फर्म्स के खाते में नोटबंदी के बाद कैश जमा किया गया। मंत्रालय ने अपने एक दस्तावेज में कहा, 'जिस कंपनियों ने कैश जमा कराया था। उनमें से 73,000 ने अपने खातों में 24,000 करोड़ रुपए जमा कराए। अलग-अलग बैंकों से इन कंपनियों की विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।'
68 कंपनियों के खिलाफ जांच
मंत्रालय के बीते 4 सालों के कामकाज का ब्योरा देने वाले डॉक्युमेंट में यह भी बताया गया है कि ऐसी 68 कंपनियों के खिलाफ जांच की जा रही है। सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस ऐसी 19 कंपनियों की जांच कर रहा है, जबकि कंपनी रजिस्ट्रार की ओर से ऐसी 49 फर्म्स के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।