Edited By ,Updated: 25 Mar, 2016 09:24 AM
बैंकिंग उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (ए.आई.बी.ई.ए.) ने सार्वजनिक क्षेत्र के आई.डी.बी.आई. बैंक के निजीकरण के विरोध का मुद्दा केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली के समक्ष उठाया।
चेन्नई: बैंकिंग उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (ए.आई.बी.ई.ए.) ने सार्वजनिक क्षेत्र के आई.डी.बी.आई. बैंक के निजीकरण के विरोध का मुद्दा केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली के समक्ष उठाया।
वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में कर्मचारी संघ ने आई.डी.बी.आई. बैंक के निजीकरण के विरोध के बारे में अपने विचारों से उन्हें अवगत कराया। ए.आई.बी.ई.ए. महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने एक वक्तव्य में यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कहा कि आई.डी.बी.आई. बैंक के समक्ष जो समस्या है उसकी मुख्य वजह हाल के वर्षों में बैंक के फंसे कर्ज में भारी वृद्धि होना रहा है। उनसे आग्रह किया गया कि इसकी विस्तृत जांच कराई जानी चाहिए।’’
एसोसिएशन ने वित्त मंत्री को सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों के समक्ष आ रही समस्या से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा, ‘‘बातचीत के दौरान भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी बैकों के कर्मचारियों के समक्ष आ रही समस्याओं की तरफ हमने उनका ध्यान दिलाया। सहयोगी बैंकों के कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच हुये द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया जा रहा है और उन पर स्टेट बैंक सेवा शर्तों को थोपा जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें अपने इस विचार से भी अवगत कराया कि स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों को स्टेट बैंक के अंकुश से अलग किए जाने की जरूरत है।’’ वेंकटचलम ने कहा कि जेतली ने ज्ञापन पर गौर किया और उठाए गए मुद्दों का समाधान करने का आश्वासन दिया। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के सचिव बी.एस. रामबाबू, उपाध्यक्ष जे पी शर्मा और एन. वेणुगोपाल और संयुक्त सचिव डी डी रस्तगी भी बैठक में उपस्थित थे।