AIBEA का दावा, बैंकों के बड़े कर्जदारों को बचाना चाहती है सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 03:13 PM

aibea says government wants to save big borrowers of banks

बैंकों के बड़े कर्जदारों पर कार्रवाई के संबंध में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (ए.आई.बी.ई.ए.) ने आज मांग की कि जान-बूझकर बैंक कर्ज नहीं चुकाने वाले लोगों के विरुद्ध फौजदारी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। ए.आई.बी.ई.ए....

नई दिल्लीः बैंकों के बड़े कर्जदारों पर कार्रवाई के संबंध में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (ए.आई.बी.ई.ए.) ने आज मांग की कि जान-बूझकर बैंक कर्ज नहीं चुकाने वाले लोगों के विरुद्ध फौजदारी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। ए.आई.बी.ई.ए. के महासचिव सीएच वेंकटाचलम ने एक कार्यक्रम के दौरान यहां संवाददाताओं से कहा, सरकार बड़े बैंक कर्जदारों को बचाना चाहती है। वह उनके खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाना चाहती।

कर्जदारों के नाम सार्वजनिक करे सरकार
वेंकटाचलम ने कहा, सरकार को सभी बैंक कर्जदारों के नामों को सार्वजनिक करना चाहिए। जान-बूझकर कर्ज न चुकाने वाले लोगों के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि विजय माल्या सरीखे कॉर्पोरेट दिग्गजों के कर्ज नहीं चुकाने के कारण देश में बैंकों की कुल गैर- निष्पादित आस्तियां (एन.पी.ए.) बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गई हैं। ए.आई.बी.ई.ए. महासचिव ने सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अगले दो साल के भीतर 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी डालने की योजना पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, इन बैंकों को सरकार से मूल धन के रूप में पांच लाख करोड़ रुपए की जरूरत है। मूल धन की कमी के चलते इन बैंकों को कर्ज बांटने और अपना कारोबार बढ़ाने में खासी मुश्किल हो रही है। वेंकटाचलम ने देश के सरकारी बैंकों के विलय और निजीकरण के विचार को बेहद घातक बताते हुए कहा कि इन बैंकों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है और उसे इनका विस्तार करना चाहिए।

27 दिसंबर को होगी राष्ट्रव्यापी हड़ताल
उन्होंने कहा कि बैंकिंग सुधारों के नाम पर सरकार के उठाए जा रहे कथित गलत कदमों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए ए.आई.बी.ई.ए.ए अगले महीने से देशव्यापी अभियान चलाएगा। वेंकटाचलम ने आई.डी.बी.आई. बैंक में वेतन वृद्धि की मांग के समर्थन में 27 दिसंबर को बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल को ए.आई.बी.ई.ए. के समर्थन की घोषणा भी की। आई.डी.बी.आई. बैंककर्मियों की वेतन वृद्धि एक नवंबर 2012 से लंबित है। उन्होंने आरोप लगाया कि माल और सेवा कर (जी.एस.टी.) का बैंकिंग उद्योग पर विपरीत असर पड़ रहा है और खासकर छोटे कारोबारी नई कर प्रणाली के दायरे में आने के डर से बैंकिंग लेन-देन से बच रहे हैं।   

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