Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Feb, 2021 02:46 PM
सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया का घाटा काफी बढ़ गया है। आशंका है कि पिछले 13 सालों में इसको सबसे बड़ा घाटा हुआ है। वित्त वर्ष 2020-21 में इसका घाटा 10 हजार करोड़ रुपए हो सकता है। ऐसे में, इसका वैल्यूएशन घटने से सरकार को इसे बेचने में दिक्कत हो सकती है।
बिजनेस डेस्कः सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया का घाटा काफी बढ़ गया है। आशंका है कि पिछले 13 सालों में इसको सबसे बड़ा घाटा हुआ है। वित्त वर्ष 2020-21 में इसका घाटा 10 हजार करोड़ रुपए हो सकता है। ऐसे में, इसका वैल्यूएशन घटने से सरकार को इसे बेचने में दिक्कत हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन एयरलाइंस के साथ इसके विलय के बाद घाटे में और तेजी आई। इंडियन एयर लाइंस को 2007 में मिलाया गया था। महाराजा के नाम से प्रसिद्ध एयर इंडिया को कोविड-19 से सबसे ज्यादा फटका लगेगा। इसके रेवेन्यू और घाटा में और ज्यादा अंतर आने की आशंका है। सरकार की ओर इसे बेचने की कोशिश में कामयाब होती नहीं दिख रही है।
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तेजी से बढ़ता जा रहा है एयर इंडिया का घाटा
एयर इंडिया के घाटे के बारे में जानकारी रखने वाले विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक एयरलाइंस को 8000 करोड़ रुपए का कैश घाटा हुआ है। बाकी का घाटा डेप्रिसएशन लागत के मद में है। इस घाटे से एयरलाइंस के वैल्यूएशन और कम हो जाएगी। इससे इसे बेचने पर सरकार को और कम रकम मिलेगी। एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2019-20 में भी 8000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। वित्त वर्ष 2018-19 में एयरलाइंस को 8500 करोड़ से कम घाटा हुआ था। वित्त वर्ष 2017-18 में एयर इंडिया का घाटा 5300 करोड़ रुपए का था।
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NSSF से जुटाया पांच हजार करोड़ का फंड
एयरलाइंस पिछले कुछ साल से अपने घाटे को पूरा करने के लिए कर्ज ले रही है। अपनी परिचालन लागतों को पूरा करने के लिए एयरलाइंस नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड यानी NSSF से 5 हजार करोड़ रुपए कर्ज उठाने का फैसला किया है। तीन बैंकों से एयर इंडिया 10 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी। एनएसएसएफ से चार हजार करोड़ रुपए मिल गए हैं और बाकी 1 हजार करोड़ रुपए भी जल्द मिल जाएंगे।
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20 साल से बिक रही है एयर इंडिया
बता दें कि एअर इंडिया को बेचने की कोशिश काफी लंबे समय से हो रही है। 20 साल पहले से इसे बेचा जा रहा है। उस समय 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की बात हो रही थी। हालांकि इस समय इसकी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। अब तक ढेर सारी कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। पर सरकार की शर्तों और इसके भारी-भरकम कर्ज के कारण कोई खरीदार नहीं आ पा रहा है।
टाटा ग्रुप की दिलचस्पी
हालांकि टाटा ग्रुप अभी भी इसको खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है क्योंकि टाटा ग्रुप ने ही इसकी शुरुआत की थी। टाटा ग्रुप के सामने यह दिक्कत है कि वह एयर एशिया और विस्तारा में पहले से ही भागीदार है। एयर एशिया में एयर एशिया अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। ऐसे में टाटा ग्रुप इसकी पूरी हिस्सेदारी खरीद सकता है।