2019 के चुनाव से पहले नहीं बिकेगी एयर इंडिया, सरकार ने टाली योजना

Edited By Supreet Kaur,Updated: 19 Jun, 2018 03:00 PM

air india will not sell before 2019 elections

सरकार ने कर्ज के बोझ तले दबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया को बेचे जाने की योजना को फिलहाल टाल दिया है। खबरों के मुताबिक 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले एयर इंडिया को बेचना संभव नजर नहीं आ रहा है। बिक्री तक सरकार एयर इंडिया को संचालन के लिए जरूरी...

बिजनेस डेस्कः सरकार ने कर्ज के बोझ तले दबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया को बेचे जाने की योजना को फिलहाल टाल दिया है। खबरों के मुताबिक 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले एयर इंडिया को बेचना संभव नजर नहीं आ रहा है। बिक्री तक सरकार एयर इंडिया को संचालन के लिए जरूरी फंड मुहैया कराएगी।

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एयर इंडिया को नहीं मिला कोई खरीदार
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, ‘एयरलाइन ऑपरेशनल प्रॉफिट दर्ज कर रही है। कोई भी फ्लाइट खाली नहीं चल रही है। कॉस्ट इफीशिएंट मेकैनिज्म लागू कर दिया गया है। विनिवेश की कोई जल्दबाजी नहीं है।’ साथ ही एयर इंडिया को जल्द ही अपने डेली ऑपरेशन के लिए सरकार से फंड मिलेगा और कंपनी दो एयरक्राफ्ट के लिए ऑर्डर भी जारी करेगी। बता दें कि बीते महीने एयर इंडिया को बेचने की आखिरी कोशिश भी फेल हो गई थी। तय डेडलाइन तक एयर इंडिया को कोई खरीददार नहीं मिला। सरकार पहले ही कह चुकी थी कि रुचि पत्र जमा करने की आखिरी तारीख (31 मई) को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। विमानन कंपनी ने अपने कर्मचारियों को मई का वेतन अब तक नहीं दिया है।

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शेयर बाजार में कराया जा सकता है सूचीबद्ध
एक सूत्र ने बताया कि सरकार एयर इंडिया के पुनरोद्धार के जरिए उसके कुल लाभ की स्थिति में लाने की कोशिश कर रही है, जिसे इसे सूचीबद्ध कराया जा सके। सूत्र ने कहा कि सूचीबद्धता के लिए जाने से पहले कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। एक बार एयर इंडिया इन शर्तों को पूरा कर देती है तो हम इसकी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश ला सकते हैं और इसे सूचीबद्ध करा सकते हैं।’’ भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार किसी कंपनी को शेयर बाजारों में तभी सूचीबद्ध कराया जा सकता है जबकि पिछले तीन वित्त वर्षोें में उसने मुनाफा कमाया हो।

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एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ का कर्ज
केंद्र सरकार घाटे में चल रही एयरलाइंस की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बताया गया है। जून 2017 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी से इसके विनिवेश की मंजूरी मिली थी। सरकार ने एयर इंडिया को पांच हिंस्सों में बांटा था। इनमें चार हिस्सों को बेचने की योजना थी, जिनमें एक हिस्सा एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस और एआई एसएटएस है, दूसरा हिस्सा ग्राउंड हैंडलिंग यूनिट, तीसरा हिस्सा इंजीनियरिंग यूनिट और चौथा हिस्सा अलायंस एयर है। जबकि पांचवे हिस्से एसवीपी को सरकार अपने पास रखेगी।  

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